आरजेडी सांसद मनोज झा का हाल ही में संसद में दिया गया एक भाषण वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने एक राजा की कहानी सुनाई है. यह कहानी बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में राज्यसभा सांसद की टिप्पणी का एक हिस्सा थी. मनोज झा ने कहा, ‘भ्रष्टाचार का जिक्र था (राष्ट्रपति के भाषण में). मैंने इस मुद्दे का उल्लेख नहीं करने का फैसला किया, लेकिन फिर अचानक मैंने आपको (चेयर जगदीप धनखड़) देखा और मुझे एक कहानी याद आ गई.’
सभापति धनखड़ ने बीच में टोका और स्पष्ट करने को कहा कि उनको देखकर सांसद को भ्रष्टाचार की याद क्यों आई? आरजेडी सांसद ने कहा, ‘नहीं, भ्रष्टाचार की नहीं, मुझे राजा की याद आ गई.’ उन्होंने कहानी सुनाते हुए कहा, ‘एक राजा को तोतों का बहुत शौक था. वो कारोबारी तोते रखते थे, लेकिन अचानक उसका खास लगाव एक तोते के लिए हो गया. जो ‘गौतमी’ स्वभाव का था. सभी को चांदी और स्टील की कटोरी मिली, लेकिन उस तोते को कनक की कटोरी मिली और उस तोते राजा बहुत सलाह लिया करते थे…और तोता सलाह भी दिया करता था. वह भूत और भविष्य की भी बात करता था. एक दिन उस तोते के में कुछ पड़ोसियों से अनुसंधान आ गया और उस अनुसंधान के बाद तोता थोड़ा बीमार रहने लगा.’
उन्होंने आगे कहानी सुनाते हुए कहा, ‘अब उस बीमार तोते की वजह से राजा ने भी खाना पीना छोड़ दिया, लेकिन उस तोते का एक और भाई था जो विनोदी स्वभाव का था. फूल’ नाम की एक कंपनी थी और ‘हान’ नाम का एक बैंक था. उस तोते ने हान बैंक के 48,000 करोड़ रुपए दिए 1,303 करोड़ रुपए में केमैन आइलैंड पर दे दिया. यह एक प्राचीनकाल की बात है. अब राजा और तोते की कहानी में पिक्चर अभी बाकी है. शेष अगले अकं बजट में आएगी.’
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राजनीतिकरण होता- मनोज झा
मनोज झा ने कहानी सुनाने के बाद कहा, ‘राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राजनीतिकरण होता है, जोकि होना भी चाहिए, लेकिन 2018 से लेकर अब तक कंटेंट का विश्लेषण करेंगे तो 43 बार 2014 का जिक्र होता है. इतना तो 1947 का जिक्र नहीं होता जब हम आजाद हुए थे. ये कौन सी समझ विकसित कर रहे हैं कि 2014 से पहले अंधेरा था. 2024 में कुछ और हो गया था तो सन्नाटा हो जाएगा.’ दरअसल, इस बार संसद का बजट सत्र हंगामेदार रहा है. अडानी मुद्दे पर विपक्ष लगातार चर्चा की मांग कर रहा है और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग कर रहा है.