एक प्रिंस से एक जननेता बनने तक, कैसे राहुल गांधी अपने फायदे के लिए बदल रहे हैं रूप?

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Rahul Gandhi (1)

राहुल गांधी के नए लुक, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनके दाढ़ी वाले अवतार से लेकर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भाषण देने की तैयारी के दौरान ट्रिम किए गए दाढ़ी की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है. कटे हुए बालों और स्टाइलश दाढ़ी के साथ कांग्रेस सांसद की तस्वीर को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने #NewLook हैशटैग के जरिए शेयर किया है. राहुल गांधी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रपौत्र हैं.

वंशवादी राजनीति को आगे बढ़ाते उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में हत्या कर दी गई थी. इस दर्दनाक घटना का निश्चित रूप से राहुल के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा और वह अक्सर अपने भाषणों में इसका जिक्र करते हैं. मार्च 2004 में, राहुल ने यह घोषणा करते हुए राजनीति में प्रवेश किया कि वह मई 2004 का चुनाव अपने पिता के पूर्व लोकसभा क्षेत्र अमेठी, उत्तरप्रदेश से लड़ेंगे. उन्होंने 2,00,000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की और कांग्रेस सत्ता में आई और केंद्र में यूपीए सरकार का नेतृत्व किया.

वंचितों और दलितों के मसीहा

बाद में कांग्रेस की यूथ विंग के प्रमुख बने. खुद को एक युवा राजनेता के रूप में पेश करते हुए उन्होंने खुद को वंचितों और दलितों के मसीहा के रूप में स्थापित किया. नियामगिरी आदिवासियों का समर्थन करने के साथ उन्होंने वर्षों तक यूपी में गांव के घरों में रातें बिताईं, मुंबई में लोकल ट्रेनें में यात्रा की, दिल्ली में रिक्शा चालकों और सफाई कर्मचारियों से मुलाकात की.

मतदाताओं से जुड़ने के प्रयास असफल

हालांकि, मतदाताओं से जुड़ने के ये सांकेतिक प्रयास सफल नहीं हुए और उनके विशेषाधिकार प्राप्त और संरक्षित जीवन के कारण जनता से अलग होने के आरोप तेजी से बढ़ते गए. यह सब 2014 में खत्म हो गया, जब कई घोटालों से घिरे यूपीए ने सत्ता खो दी और कांग्रेस को लोकसभा में सिर्फ 44 सीटों मिलीं. इससे राहुल के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीदों को झटका लगा. अपने पूरे करियर के दौरान राहुल को अपने विरोधियों से व्यक्तिगत आलोचना का भी सामना करना पड़ा है, जिसमें सबसे प्रसिद्ध उनका उपनाम ‘पप्पू’ है, जिसका अर्थ कमजोर व्यक्तित्व है.

फैशन और उपस्थिति

राजनीतिक संदेश के लिए सोशल मीडिया के उपयोग ने राजनीति में छवि प्रबंधन बेहतर किया है. हमारे दैनिक जीवन में छवियों का प्रचलन अभूतपूर्व है और उनकी जोड़-तोड़ की शक्ति अहम है. राजनीतिज्ञ अपने फायदे के लिए इन परिवर्तनों को अपनाने में तत्पर रहे हैं. राजनेताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रणनीति, अपने वोटरों को संदेश देने के लिए पहनावे का रणनीतिक उपयोग है. हालांकि, इन दृश्य संकेतों का प्रभाव तत्काल नहीं होता, लेकिन एक राजनेता की सफलता में छवि निर्माण एक महत्वपूर्ण कारक है.

ट्रेडमार्क साड़ियों के बिना इंदिरा गांधी के बारे में सोचना मुश्किल

अपनी ट्रेडमार्क साड़ियों के बिना इंदिरा गांधी के बारे में सोचना मुश्किल है. रैलियों के दौरान वह अपने सिर को ‘पल्लू’ से ढक लिया करती थीं. जिन्ना को उनकी विशिष्ट टोपी, महात्मा गांधी को उनकी लंगोटी और अम्बेडकर को नीले सूट के लिए याद किया जाता है.

राजनेता जो साफ और साधारण कपड़े पहनते हैं, वह उनके व्यक्तित्व और निजी जीवन का प्रतीक होता है. वे अपनी क्षमता और अपने कार्यों के निर्णायक तरीके को भी दिखाते हैं. निर्वाचन क्षेत्रों की संस्कृति के आधार पर राजनेता अपना पहनावा तय करते हैं. वे एक ऐसी छवि बनाने की कोशिश करते हैं जो लोगों की संस्कृति और स्थानीयता से जुड़ती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां भी प्रचार करते हैं वहां स्थानीय और पारंपरिक पोशाक पहनकर प्रभाव जताते हैं.

राहुल गांधी के रूप और छवि का विकास

युवा राहुल को अक्सर इवेंट्स में क्लीन शेव लुक और वेस्टर्न ड्रेस पहने देखा जाता था. राहुल ने 2008 में भूटान के राजा, जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के राज्याभिषेक समारोह में एक अच्छी तरह से तैयार किया गया सूट पहना था. उस समय पेश की गई छवि एक आत्मविश्वासी और शिक्षित युवा व्यक्ति को दिखाया. उनके पहनावे से विरासत में मिला राजवंश झलकता था. इसने भविष्य के नेता को दिखाया जो विदेशी प्रतिनिधियों के साथ आसानी से बातचीत कर सकता था.

खेल और औपचारिकता का मिश्रण

उसी साल उन्होंने (2008 में) गौरी खान के साथ एक आईपीएल मैच देखने के लिए एक पोलो टी और डिजाइनर शेड्स पहनी. खेल और औपचारिकता का मिश्रण, मैच देखने वाले दर्शकों की निगाहें युवा राजनेता पर टिकी थीं. 2018 में मेघालय विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की शुरुआत करते हुए कैजुअल पहनावा पहनना भी राहुल गांधी के लिए महंगा पड़ा. भारतीय जनता पार्टी ने एक ट्वीट में उनकी जैकेट की कीमत का उल्लेख करके उन पर निशाना साधा. जैकेट Burberry की टू-इन-वन डाउन पफर जैकेट थी. ब्लूमिंगडेल्स वेबसाइट पर जैकेट की कीमत 68,145 रुपये बताई गई थी.

पारंपरिक राजनेता की छवि पेश करने की कोशिश

राजनीति में सक्रिय भागीदारी के साथ, राहुल ने भारत में हर उम्र के राजनेताओं के लिए प्रतिष्ठित सफेद कुर्ता पहनना शुरू किया. इसके साथ उन्होंने अपने परदादा की ‘नेहरू’ जैकेट को भी अपनाया और अपने अब तक मौजूद बॉम्बर जैकेट के साथ इसे आधुनिक बनाया. अपने सभी राजनीतिक अभियानों के दौरान इसे पहनकर, राहुल ने एक पारंपरिक राजनेता की छवि पेश करने की कोशिश की जबकि एक ही समय में उन्होंने खुद को एक आधुनिक, शहरी-शिक्षित युवा के रूप में भी दिखाया.

कुर्ते में अनकम्फर्टेबल राहुल गांधी

हालांकि, वह अक्सर अपने कुर्ते में अनकम्फर्टेबल दिखते हैं. ऐसा लगता है कि वह इस बात पर अपना मन नहीं बना पा रहे हैं कि कुर्ते की आस्तीन को मोड़ा जाए या नहीं. यह उनपर कभी भी स्वाभाविक नहीं लगता और उसके शहरी लहजे और भाषण से मेल नहीं खाता. जब कपड़े और हेयर स्टाइल की बात आती है तो उनकी निरंतरता की कमी उनके व्यक्तित्व और राजनीति की विसंगतियों पर एक बड़ा सवाल बन जाती है.

क्लीन-शेव वाली छवि खत्म

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल की उपस्थिति ने बड़ी धूम मचाई, जब उनके दाढ़ी वाले लुक ने उनकी क्लीन-शेव छवि को खत्म कर दिया. उन्होंने अपनी दाढ़ी बढ़ा ली. उनके इस कठोर रूप ने यह संदेश देने की कोशिश की कि उन्होंने कुछ समय के लिए भौतिक जीवन को त्याग दिया है क्योंकि उन्होंने खुद को इस यात्रा में झोक दिया था. यात्रा के दौरान एक और सुर्खियां बटोरने वाली घटना यह थी कि उन्होंने सर्दियां झेलते हुए केवल एक टी-शर्ट पहनी थी और इसने उनकी शारीरिक फिटनेस का संदेश दिया. उन्होंने खुद को शारीरिक रूप से मजबूत नेता के रूप में दिखाने की कोशिश की. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी ऐसा किया था.

चुनावी प्रदर्शन में सुधार की कोशिश

पुराने जमाने की पार्टी कांग्रेस ने राहुल के फैशन विकल्पों को अपना लिया है. हालांकि, यह उनकी पृष्ठभूमि और व्यक्तित्व के परस्पर विरोधी हैं. यह देखते हुए कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश युवा आज भी जींस और टी-शर्ट जैसे पश्चिमी पोशाक पहनते हैं, राहुल के लिए पारंपरिक सफेद कुर्ता पहनना और अंत में अपने शहरी और आधुनिक व्यक्तित्व को अपनाना और समय के साथ चलना मूर्खतापूर्ण लगता है. पहनावे के माध्यम से अपने नए आत्मविश्वास को प्रकट करते हुए राहुल गांधी के लिए समय आ गया है कि अगर वह कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाना चाहते हैं और 2024 में अपने चुनावी प्रदर्शन में सुधार करना चाहते हैं, तो वह अपने पहनावे में नवीनता लाना जारी रखेंगे.

(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं)

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