
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार को ‘अवैध विदेशियों’ के लिए बने मटिया ट्रांजिट कैंप के हिस्सों को ‘अस्थायी जेल’ में बदलने के लिए फटकार लगाई है. हाल ही में बाव विवाह के खिलाफ अभियान में गिरफ्तार किए गए लोगों को इनमें रखा गया है. 5 फरवरी से शुरू किए गए अभियान में सामूहिक गिरफ्तारियों के कारण मौजूदा जेलों में जगह कम पड़ गई, जिसके बाद कम से कम 350 लोगों को मटिया में कैद किया गया है. राज्य के गृह विभाग ने अगले आदेश तक आधिकारिक तौर पर इसके एक हिस्से को “अस्थायी जेल” घोषित किया है.
मटिया इससे एक हफ्ते पहले 27 जनवरी को ही चालू हो गया था. सरकार ने 68 “विदेशियों” को हाईकोर्ट के आदेश के बाद कैंप में स्थानांतरित कर दिया था. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संदीप मेहता ने मंगलवार की सुनवाई में राज्य के महाधिवक्ता डी सैकिया से कहा. ‘यह कुछ अजीब है और प्रथम दृष्टया अस्वीकार्य है. औचित्य क्या है? यदि आप अपनी जेल की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, तो इसे उस स्थान पर करें जहां आपके जेल बने हैं. आपको इस डिटेंशन सेंटर को जेल में बदलने की क्या जरूरत है?’
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चीफ जस्टिस मेहता और जस्टिस सौमित्र सैकिया की खंडपीठ की ओर से सुनवाई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के एक बैच पर केंद्रित थी, जिसने असम की जेलों में सजायाफ्ता और घोषित विदेशी नागरिकों की हिरासत को चुनौती दी गई थी. मंगलवार को याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि मटिया को अब आधिकारिक तौर पर एक जेल के रूप में अधिसूचित किया गया है. सरकार ने आज तक प्रस्तुत किए गए सभी प्रमाणों को खत्म कर दिया है.
‘डिटेंशन सेंटर में 200 से कम लोग’
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा, ‘बच्चे को नहाने के पानी के साथ बाहर फेंक दिया जाता है…सरकार अब विदेशी नागरिकों (घोषित विदेशी नागरिकों और सजायाफ्ता विदेशी नागरिकों) के साथ-साथ अपराधी नागरिकों को भी आवास दे रही है.’ महाधिवक्ता सैकिया ने कहा, ‘मुझे अप-टू-डेट जानकारी प्राप्त करनी है, लेकिन प्रथम दृष्टया मुझे जो पता चला है वह यह है कि इस डिटेंशन की क्षमता 3,000 लोगों की है. बमुश्किल 200 से कम लोग हिरासत में हैं.’
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