रिटायरमेंट की उम्र की आग में फ्रांस जल रहा है. सरकार ने
पेंशन बिल पास करके रिटार्यमेंट की उम्र को 62 से बढ़ाकर 64 कर दिया गया है. फ्रांस 24' की रिपोर्ट के मुताबिक, नई भर्तियां हुई नहीं हैं, जिसके कारण सरकार को ये कदम उठाना पड़ा और प्रदर्शन की स्थिति बनी है. ये तो बात रही फ्रांस की, ऐसा माना जा रहा है कि भारत का हाल भी कुछ ऐसा ही हो सकता है. बता दें कि
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कठिन समय का सामना कर रहे हैं. सोमवार को उनकी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा, हालांकि वह बच गई. अगर यह सफल होता, तो राष्ट्रपति को नए चुनाव कराने पड़ते. फिलहाल भारत की बात करें तो यहां भी पुरानी पेंशन योजना की तुलना में नई पेंशन योजना के लाभों को लेकर बहस छिड़ी हुई है. फ्रांस में रिटायरमेंट की उम्र को लेकर विरोध प्रदर्शन पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बनाम नई पेंशन योजना (एनपीएस) के मुद्दे पर भारत में विरोध के ही जैसा है. बता दें कि साल 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया था और नई पेंशन योजना लागू कर दी थी.
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कर्मचारी के अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन
पुरानी व्यवस्था के हिसाब से पेंशन कर्मचारी के अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत होता था और पूरी राशि का भुगतान सरकार ही करती थी. वहीं अब नई व्यवस्था में सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी सेवानिवृत्ति कोष में देना होता है. सरकार पेंशन के लिए 14 फीसदी तक का भुगतान करती है.
एनपीएस और पेंशन बिल एक जैसे
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की नई पेंशन योजना (एनपीएस) और फ्रांस में प्रस्तावित पेंशन सुधार कई मायनों में एक जैसी ही है. एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों का उद्देश्य पेंशन प्रणाली की वित्तीय स्थिरता से निपटना है. दोनों सरकारों का तर्क है कि पेंशन भुगतान के बोझ को कम करने के लिए सुधार आवश्यक हैं.
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पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग
भारत के कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी अब पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है. अन्य राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ ने पहले ही नई पेंशन योजना को खारिज कर दिया है.
तीन सदस्यीय समिति का गठन
वहीं महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने पुरानी और नई पेंशन योजनाओं का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा के बाद, सरकारी कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल को वापस ले लिया है. राज्य के कर्मचारियों का तर्क है कि वह नई योजना के तहत सेवानिवृत्ति के बाद कम पेंशन पर कैसे जीवन यापन करेंगे. हरियाणा में भी कर्मचारी पुरानी व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं.
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सरकारी विभागों में काफी पद खाली
इसके अलावा नौकरियों से जुड़े रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भी काफी ज्यादा पद खाली हैं लेकिन उस लिहाज भर्तियां नहीं की जा रही हैं. ऐसे में काम का लोड बढ़ रहा है और इसका असर कर्मचारियों पर भी पड़ रहा है. यहां सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं. भारी संख्या में कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, ज्यादातर होने भी वाले हैं, लेकिन भर्ती नहीं की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2022 के अगस्त माह में लोकसभा में सरकार ने बताया था कि देशभर में लगभग 9 लाख 79 हजार 327 पद खाली हैं. इनमें ग्रुप-ए के 23,584, ग्रुप बी के 118801 और ग्रुप सी के 836936 पद शामिल हैं.
10 लाख से ज्यादा पद खाली
बता दें कि पिछले जब ये डेटा लोकसभा में जारी किया गया था तो उस वक्त देश में एक मार्च 2020 तक 8.72 लाख पद खाली थे. वहीं 2022 तक यही संख्या बढ़कर लगभग 10 लाख पहुंच गई. अब 2023 तक इन खाली पदों की संख्या में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि कर्मचारियों का संख्या कम और वर्कलोड ज्यादा होना भी फ्रांस में पेंशन बिल के विरोध की एक वजह है.
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फ्रांस में विरोध प्रदर्शन जारी
जानकारी के मुताबिक फ्रांस में शुक्रवार को भी प्रदर्शन जारी रहा. इसका असर ट्रेनों के आवागमन पर भी पड़ा. वहीं पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गुरुवार को पेरिस और आसपास से लगभाग 450 से अधिक प्रदर्शनकारियों को अरेस्ट कर लिया. इस बाबात फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन ने शुक्रवार कहा कि हिंसा में करीब 441 पुलिसकर्मी और अधिकारियों के घायल होने की खबर है. डारमैनिन ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान पेरिस में हजारों कूड़ेदानों को जला दिया गया था.
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