असम में
बाल विवाह का जाल लगभग सभी जिलों में फैला हुआ है. इसके लेकर सरकार ने कार्रवाई भी की है. इस मामले में गिरफ्तार किए गए प्रत्येक 10 में से छह मुसलमान हैं, उसमें भी निचले असम के 10 जिलों में ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं. मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक
असम पुलिस की कार्रवाई के दौरान 3,141 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. यौन अपराध अधिनियम (पॉक्सो) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों में से करीब 62 फीसदी को अदालतों ने जमानत दे दी है. रिकॉर्ड के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोगों में से 62.24 प्रतिशत मुस्लिम हैं, जबकि बाकी 1,186 या 37.76 प्रतिशत हिंदू या अन्य समुदायों के लोग हैं. दरअसल असम में विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया था कि इस कार्रवाई में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को निशाना बनाया गया था, जिस मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि गिरफ्तार किए गए मुसलमानों और हिंदुओं का अनुपात 55:45 था. बता दें कि गिरफ्तार किए गए लोगों का आंकड़ा एआईयूडीएफ विधायक अशरफुल हुसैन के एक प्रश्न के जवाब में विधानसभा में पेश किया गया था.
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इन जिलों में ज्यादा गिरफ्तारियां
अगर जिलेवार गिरफ्तारियों को देखें तो पता चलता है कि इसमें शिर्ष पांच जिलों में नागांव (224), होजई (219), धुबरी (217), बक्सा (179) और बारपेटा (174) शामिल हैं. वहीं मिश्रित आबादी वाले निचले असम के जिले बक्सा में, गिरफ्तार लोगों में हिंदू और अन्य 62.64 प्रतिशत हैं. मोटे तौर पर 40 फीसदी गिरफ्तारियां असम के 10 निचले जिलों में की गईं. सबसे कम गिरफ्तारी वाले पांच जिले जोरहाट (8), पश्चिम कार्बी आंगलोंग (10), डिब्रूगढ़ (11), माजुली (24) और डिब्रूगढ़ (25) हैं. जबकि जोरहाट, डिब्रूगढ़, माजुली और डिब्रूगढ़ ऊपरी असम में हैं, एक ऐसा क्षेत्र जिसे असमिया हृदयभूमि के रूप में देखा जाता है. पश्चिम कार्बी आंगलोंग मध्य असम का एक बड़ा आदिवासी जिला है.
कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर मुकदमा
जब जनवरी में कार्रवाई की घोषणा की गई, तो सरकार ने कहा कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले सभी लोगों पर POCSO अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. आंकड़ों से पता चलता है कि 2,361 मामलों में से 2,289 मामलों में POCSO के प्रावधानों को लागू किया गया था, जिनमें गिरफ्तारी की गई है. धारा 6 (गंभीर भेदक यौन हमला) और 17 (उकसाना) - POCSO अधिनियम के तहत गैर-जमानती अपराध के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. बाल विवाह निषेध अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत भी गिरफ्तारियां की गई हैं. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इतनी बड़ी संख्या में POCSO के तहत गिरफ्तार 3,098 लोगों को में से लगभग 62 प्रतिशत यानी 1,922 लोगों को फरवरी के अंत तक जमानत मिल गई थी.
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जमानत देना अदालत का विशेषाधिकार
असम के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा कि जमानत देना तो अदालत का विशेषाधिकार है. साथ ही उन्होंने कहा कि हमने अब तक 889 चार्जशीट जमा की हैं. सभी मामलों में जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करने का प्रयास किया जा रहा है. पिछले महीने ऐसे चार मामलों में अग्रिम जमानत देते हुए न्यायमूर्ति सुमन श्याम ने POCSO की धारा के कारण जमानत देने के खिलाफ आपत्तियों पर जवाब दिया था. उन्होंने कहा कि आरोप के नाम पर POCSO की धारा जोड़ सकते हैं. लेकिन सवाल है कि उसमें पॉक्सो (अपराध) क्या है? केवल इसलिए कि POCSO धारा लगी है तो क्या इसका मतलब यह है कि न्यायाधीश यह नहीं देखेंगे कि इस मामले में क्या है.
विधायकों के दावों का खंडन किया
15 मार्च को असम विधान सभा में बोलते हुए, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विपक्षी विधायकों के दावों का खंडन किया कि हाईकोर्ट ने इन मामलों में POCSO एक्ट लगाने के लिए सरकार की आलोचना की थी. मुख्यमंत्री ने कहा था जिम्मेदारी के साथ, मैं कहना चाहता हूं कि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार के खिलाफ कोई भी नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है.
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अपराध के खिलाफ एक कड़ा संदेश
अगर किसी को जमानत दी जाती है तो हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन अभी भी 1,000 अभियुक्त ऐसे हैं जिन्हें अदालतों से जमानत नहीं मिली है. यहां तक कि पुलिस ने भी कहा है कि अगर किसी को जमानत दी जाती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. हमें अपराध के खिलाफ एक संदेश देना था, हमने दिया है.