आंखों में सुनहरे भविष्य के सपने लिए परदेस जाने की बाट जोह रहे देसी भारतीयों को लेकर एक गुड न्यूज है. वर्ल्ड डेवलपमेंट की नई रिपोर्ट (World Development Report) ने विदेशों में नौकरी तलाशने वाले भारतीयों (Indians in Overseas) की आंखों में चमक ला दी है. ना सिर्फ डॉक्टर-इंजीनियर बल्कि लो स्किल कैटेगरी में आने वाले आम भारतीयों के लिए भी तमाम देशों ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं.
कमाई के मामले में भारतीय विदेशी धरती पर झंडे गाड़ रहे हैं. खाड़ी देश ही नहीं सात समंदर पार अमेरिका में भी भारतीयों की बल्ले-बल्ले हो रही है. वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट के मुताबिक विदेशों में भारतीयों की कमाई में 30-40 नहीं बल्कि 120 फीसदी का इजाफा हुआ है. एक और अच्छी बात यह भी कि अमेरिका में डॉलर्स में कमाई करने वालों में हाई स्किल प्रोफेशनल्स ही नहीं कम कुशल भारतीय भी हैं.
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खेती-मजदूरी में भी कमाई
अमेरिका से जो अच्छी खबर आई है, उससे बिना किसी प्रोफेशनल डिग्री के काम की तलाश में अमेरिका जाने वाले भारतीय जरूर खुश होंगे. रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में Low Skilled Workers की कमाई में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. अमेरिका में तो इसमें 500 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. जबकि UAE में 298 फीसदी तो गल्फ कंट्रीज में 118 प्रतिशत कमाई में बढ़ोतरी हुई है. सबसे ज्यादा फायदा बांग्लादेश, घाना और भारत को ही हुआ है.
40 फीसदी परदेसियों को लौटना पड़ता है देश
नौकरी और बेहतर भविष्य के लिए लोग दूसरे देश का रुख तो करते हैं, लेकिन वहीं हमेशा के लिए बस जाना बहुत ही कम होता है. 40 फीसदी से ज्यादा वर्कर्स को अपने देश लौटना पड़ता है या फिर नौकरी के लिए किसी और देश जाना पड़ता है. हालांकि हर देश के हिसाब से चीजें अलग-अलग हैं. मसलन अगर खाड़ी देशों की बात करें तो लगभग सभी वर्कर्स को कुछ समय बाद वापस ही लौटना पड़ता है.
इन देशों की अर्थव्यवस्था विदेशी आय पर टिकी
विदेशों में कमाई करने की वजह से कई देशों की अर्थव्यवस्था ही इन्हीं पर टिकी हुई है. मसलन टोंगा की राष्ट्रीय आय में 50 फीसदी हिस्सेदारी तो विदेशों से आने वाला राजस्व ही है; इसी तरह पड़ोसी मुल्क नेपाल की बात करें तो इस देश की कमाई का 22 फीसदी हिस्सा दूसरे देशों पर ही निर्भर है. लेबनान, सामोआ, ताजिकिस्तान, गाम्बिया, होंडुरास, एल साल्वाडोर और हैती भी ऐसे ही देश हैं, जो काफी हद तक विदेशों में होने वाली कमाई के भरोसे हैं.
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पाकिस्तान-बांग्लादेश को बेलने पड़ रहे पापड़
दक्षिण एशियाई वर्कर जो खाड़ी देशों (Gulf Cooperation Council) में नौकरी की तलाश में जाते हैं, उन्हें अपने इस सपने को पूरा करने के लिए काफी पैसा भी खर्च करना पड़ रहा है. खासतौर से पाकिस्तान और बांग्लादेशियों को तो खूब पापड़ बेलने पड़ते हैं. पाकिस्तानियों की तो करीब पूरे साल की कमाई ही एजेंट, वीजा वगैरह के चक्कर में उड़ जाती है. बांग्लादेश का भी कमोबेश यही हाल है. भारत की बात करें तो कतर में अपनी दो महीने की कमाई तो भारतीय नागरिकों को कागजी कार्रवाई और नौकरी पाने के चक्कर में देनी पड़ जाती है.
वर्कर ही नहीं छात्रों के लिए इन देशों ने दरवाजे खोले
दुनियाभर में 60 लाख से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं. कुछ ऐसे देश हैं, जो पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों का दिल खोलकर वेलकम करते हैं. दक्षिण एशियाई देशों से पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया, यूएई और अमेरिका में इनके लिए सबसे ज्यादा मौके रहते हैं. भारत में विदेशों से आने वाली कमाई में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी अमेरिका की ही है. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में 89,127 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा के तौर पर आए. इनमें से 23.4 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका की थी.