Vedic scholar Tridandi Chinna Jeeyar: आध्यात्मिक गुरु त्रिदंडी चिन्ना जियर स्वामी को बुधवार को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पद्म सम्मान मिलने के बाद खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि पहले रिकमेंडेशन से पद्म अवार्ड मिलते थे पर अब असल जमीन पर काम करने वालों को यह अवाॅर्ड मिल रहा है. गांव/कस्बों के आम लोगों को ये अवाॅर्ड मिल रहा है और ये अच्छी बात है. चिन्ना जियर स्वामी ने कहा कि इस अवॉर्ड के मिलने से जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. चिन्ना जियर स्वामी ने पद्म सम्मान को अपने लाखों भक्तों को समर्पित किया. जब उनसे यह पूछा गया कि ये अवॉर्ड धार्मिक प्रचार प्रसार के लिए है या फिर सामाजिक काम के लिए? इस पर उन्होंने कहा कि हम सामाजिक और धार्मिक दोनों ही क्षेत्र में काम करते हैं और सेवा का काम भी करते हैं. पद्म अवॉर्ड की एक पहचान है. इससे उन लोगों ने जो अब तक सेवा की थी वे लोग और बेहतर व अच्छे ढंग से काम कर सकते हैं और अपने काम को विस्तार दे सकते है. इस अवॉर्ड से उनके ऊपर एक बड़ा दायित्व और बढ़ गया. उन्होंने कहा कि हमने अबतक जो भी सेवा की है वह अकेले सेवा तो नहीं की. हमारे साथ लाखों लाख भक्त लोगों ने सेवा किया. तेलुगू राष्ट्र में दक्षिण भारत में और उत्तर में हर जगह पर. मैं समझता हूं जो मुझे आज जो सम्मान मिला है, यह उन लोगों के लिए है. मैंने केवल उन लोगों की तरफ से स्वीकार किया है. सोशल इक्वलिटी पर काम करने में कितनी चुनौती? चिन्ना जियर स्वामी ने कहा कि इक्वलिटी के लिए हम भी रामानुजाचार्य जी के रास्ते पर छोटे-मोटे काम करते हैं लेकिन हम प्रायः महिलाओं के स्वास्थ उसमें भी कैंसर अवेयरनेस, उसमें भी सर्वाइकल कैंसर पर हम विशेष काम करते हैं. करीब 20 लाख महिलाओं की कैंसर स्क्रीनिंग का काम हम लोगों ने किया है. उन्होंने कहा कि हम गाय की सेवा करते हैं, गाय को रखना भूमि के पोषण के लिए कितना आवश्यक है इस बारे में हमने अवेयरनेस फैलाया. हमने ट्राईबल्स के अंदर शिक्षा के बढ़ावा के लिए काम किया. उसमें भी हम प्रायः हम अंधों के पढ़ाई के लिए. साथ-साथ अंधों में कंप्यूटर को सिखाने का काम भी करते हैं. भारत में एकमात्र हमारा ही कॉलेज है, जो ब्लाइंड्स को 12वीं तक और बाद में डिग्री में भी कंप्यूटर का शिक्षा देता है. हमारा नारा 'सारे प्राणियों की सेवा करो' का गुजरात में जो भूकंप हुआ था तो लोगों ने कहा कि धरती मां ने आंख लाल करके दिखाया है यानी नाराज हैं तो हमने सोचा कि कोई भी मां अपने बच्चे को लाल आंख तो करके नहीं दिखाती है लेकिन असल में हम अपने माताजी का अपमान कर रहे हैं. अपने जीवन काल में हम पानी का प्रदूषण, हवा का प्रदूषण, मिट्टी का प्रदूषण, हम पेड़ों को काटते हैं, जानवरों को मारते हैं, अपने जीवन के लिए और अपने जरूरतों के लिए आसपास के ही इकोलॉजी के सिस्टम को खराब करते. भूमि का दुख जब बढ़ जाता है तब प्राकृतिक आपदा जैसे साइक्लोन, सुनामी सब आता है इसलिए उन लोगों को जानकारी देकर करीब 20000 गांव को हमने जोड़ा है. हमने एक पुराने नारा जन सेवा ही जनार्दन सेवा है को बदल कर नया नारा दिया सारे प्राणियों की सेवा करो. सामाजिक समरसता का काम आज की तारीख में कितनी बड़ी चुनौती? स्वामी जी ने आगे कहा कि रंग, जाति, धर्म के आधार पर लोग वायक्तिगत फायदे के लिए लड़वाते हैं, हमें मिलकर रहना होगा. आप किसी भी धर्म को मानें लेकिन दूसरे धर्मावलंबी से ईश्या ना करें. हम सभी को मिल जुलकर रहना है. इसके लिए हमने एक दूसरा नारा दिया "आराधना अपनी मान्यता सबका". उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो समाज को बांट कर अपना काम चलाते हैं. समाज को डिवाइड करके काम चलाते हैं, वैसे लोगों को समझना होगा और सचेत रहना होगा. समाज सुधार का काम सबको मिलकर करना चाहिए. गुजरात भूकंप के बाद हमने यह नारा लिया और उससे काफी बदलाव दिखा और 20 हजार गांव जुड़ गए. हनुमान जयंती को लेकर दिया ये संदेश हनुमान जयंती पर हनुमान जी की सोच से चलें. सबको साथ ये संदेश जाए कि वो शांति से अपने अपने दायरे में रहें. हनुमान ने रावण को पाठ तब पढ़ाया जब वो उनकी नहीं सुना. उन्होंने कहा कि हमारा देश आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहा है. आजादी के अमृत महोत्सव के काल में हमें दुनिया को ये मैसेज देना है कि सभी भारतवासी एक हैं. हम किसी भी जाति, किसी भी मजहब या किसी भी पार्टी के हों, चुनाव में भले ही हम लड़ेंगे लेकिन बाद में हम सभी एक हैं का मैसेज देना चाहिए.
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