

US Sanctions on Russia: यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. भारत पर भी इन प्रतिबंधों का खासा प्रभाव पड़ा है. रूसी हथियारों की डिलीवरी भारत में ठप पड़ गई. भारत अधिकतर सैन्य हथियार और हार्डवेयर रूस से खरीदता है. मगर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद से भारत रूस से सैन्य सामान नहीं खरीद पा रहा है. इस पूरे मामले की जड़ पेमेंट सिस्टम है.
पिछले साल भारत ने रूस से 200 करोड़ डॉलर के हथियार खरीद थे. इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि रूस ने 1000 करोड़ डॉलर के स्पेयर पार्ट्स कि डिलीवरी अभी तक नहीं की है. इसके साथ-साथ दो S-400 मिसाइल डिफेंस भी अटका हुआ है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से इस प्रकार की दिक्कतें हो रही हैं.
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भारत अमेरिकी डॉलर देने में असमर्थ
भारत आज से नहीं बल्कि दशकों से रूस से बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है. अधिकारियों ने कहा कि रूस रुपये में पेमेंट लेना नहीं चाहता और भारत अमेरिकी डॉलर देने में सक्षम नहीं है. यही कारण है कि भारत में रूसी हथियारों की बिक्री ठप पड़ गई है. हथियारों की खरीद बिक्री के लिए दोनों देश कोई और तरीके ढूंढ सकते हैं.
यूरो और दिरहम का हो सकता इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि भारत ने रूस को हथियारों की बिक्री से मिले रुपये का इस्तेमाल भारतीय ऋण और पूंजी बाजार में निवेश करने का प्रस्ताव दिया है. ताकि रुपये जमा करने से बचा जा सके. मगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भारत सरकार का यह प्रस्ताव ठीक नहीं लगा. अधिकारी ने बताया कि इसका एक समाधान ये हो सकता है कि यूरो और दिरहम का इस्तेमाल हो क्योंकि भारत इन करेंसियों का इस्तेमाल रूस से कच्चे तेल खरीदने में कर सकता है.
भुगतान का मुद्दा एक गंभीर समस्या
बता दें कि हथियारों के लिए भुगतान का मुद्दा एक गंभीर समस्या बन गया है. मॉस्को दौरे के दौरान एनएसए अजीत डोभाल ने इस मुद्दे को उठाया था. वहीं रूस के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच भी इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी. इस दौरान दोनों नेताओं जल्द से जल्द इस मसले को हल करने की बात कही थी.
इन हथियारों में स्पेयर पार्ट्स की दरकार
भारत वर्तमान में 250 से अधिक Su-30 MKi रूसी-निर्मित फाइटर जेट, सात किलो-श्रेणी की पनडुब्बियों और 1,200 से अधिक रूसी-निर्मित T-90 टैंकों का संचालन करता है. ये सभी एक दशक से चालू हैं और इनमें स्पेयर पार्ट्स की आवश्यकता है. पांच में से तीन S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी पहले ही हो चुकी है.
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