संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर से सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसान पेंशन और एक व्यापक फसल बीमा योजना की कानूनी वैधता की मांग की जा रही है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि इन मांगों को लेकर वह देशभर में बड़े स्तर विरोध प्रदर्शन करने जा रहा है. संगठन का कहना है कि प्रदर्शन 1 अगस्त से 15 अगस्त के बीच किए जाएंगे. Samyukt Kisan Morcha को उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों के आगे झुकेगी.
दरअसल, रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की राष्ट्रव्यापी बैठक हुई, जिसमें विरोध प्रदर्शन को लेकर फैसला किया गया. एसकेएम अलग-अलग किसान यूनियनों का एक संगठन है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि ये बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें 200 किसान नेताओं ने शिरकत किया, जो अलग-अलग संगठनों से आते हैं.
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मई से होगी आंदोलन की शुरुआत
SKM का कहना है कि देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 26 मई से 31 मई के बीच आंदोलन होगा. इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून, कर्ज से मुक्ति, किसान और खेतिहर मजदूरों की पेंशन, व्यापक फसल बीमा योजना आदि प्रमुख मांगों को उठाया जाएगा.
एक बयान में कहा गया कि इस दौरान सांसदों और प्रमुख नेताओं के गृह निर्वाचन क्षेत्रों में बड़े विरोध मार्च किए जाएंगे. नेताओं को एक मेमोरेंडम दिया जाएगा, जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि अगर वे किसानों की सभी मांगों को पूरा नहीं करते हैं, तो व्यापक प्रदर्शन होंगे. साथ ही उन्हें विरोध का सामना करने की भी चेतावनी दी जाएगी.
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किसान सम्मेलन का होगा आयोजन
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि मई, जून और जुलाई के महीनों में देश के हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एसकेएम के राज्य और जिला स्तर के सम्मेलन आयोजित होंगे. इसका मकसद किसानों ओर खेतिहर मजदूरों को एकजुट करना होगा. 1 अगस्त से 15 अगस्त के बीच किसानों और मजदूरों के हितों को कॉरपोरेट्स से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होगा. एसकेएम का कहना है कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट्स को जरूरी चीजें बेच रही है, जिससे किसानों और मजदूरों का नुकसान होगा.