जिले 52, दावेदार आईएएस दोगुने, डीपीसी से 33 और नए आईएएस की लगेगी लाइन
भोपाल । मप्र में सैकड़ों आईएएस ऐसे हैं जो कलेक्टर बनने की आस लगाए हैं, लेकिन उन्हें समय पर कलेक्टरी नहीं मिल पा रही है। जहां अन्य प्रदेशों में 2018-19 बैच के आईएएस को भी कलेक्टर पद मिलने लगा है, वहीं प्रदेश में अभी 2014 बैच के ही अधिकारी कतार में हैं। प्रदेश में वर्तमान में कलेक्टरी वाले आईएएस अधिकारियों की बैच 2009 से 2014 तक को ही देखें तो कलेक्टरी के लिए पात्र अधिकारियों की कुल आईएएस संख्या 157 होती है। इसमें आरआर कैटेगरी (रेगुलर रिक्रूटमेंट यानी जो सीधे यूपीएससी से आते हैं) में 81 तो प्रमोट (जो पीएससी में चयनित होने पर प्रमोशन के बाद आईएएस बनते हैं) में 76 अधिकारी हैं। वहीं जिलों की संख्या की बात करें तो 52 ही हैं।
विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) के बाद 33 पदों पर और नए प्रमोटी आईएएस मिलने जा रहे हैं, यानि यह कतार और लंबी होने जा रही है। अब हालत यह हो गई है कि डायरेक्ट आईएएस कैटेगरी वाले अधिकारियों को भी बमुश्किल कलेक्टरी मिल रही है और मिल भी रही है तो एक-दो जिले में लंबी कलेक्टरी कर लें यही बहुत है, जैसे रजनी सिंह को कलेक्टरी मिली और छह माह में हटा दिया गया। ऐसे कई नाम है, जो कलेक्टरी से हटकर वल्लभ भवन, संभागायुक्त कार्यालयों, नगर निगम, जिला पंचायत सीईओ या अन्य विभागों में बैठे हुए हैं। कई नाम है जिन्हें अभी तक कलेक्टरी मिली ही नहीं है, जबकि उन्हीं के बैच के अधिकारियों को आईएएस अवार्ड होने के बाद कलेक्टर पद मिल चुका है।
लंबे-लंबे बैच के कारण बिगड़ी स्थिति
जानकारों का लंबे-लंबे बैच के कारण कलेक्टरी मिलने में देरी हो रही है। वर्तमान में साल 2009 से लेकर 2014 तक की बैच के अधिकारियों के पास ही जिलों की कलेक्टरी है। फिलहाल साल 2013 के अधिकारी सबसे ज्यादा जिलों में तैनात है। वहीं अभी 2015 बैच का नंबर शुरू नहीं हुआ है, जो अगली फेरबदल में दिख जाएगा। अब बैच की बात करें तो पहले मुश्किल से आठ से दस अधिकारियों की बैच होती थी, लेकिन अब औसतन 20 से ज्यादा अधिकारियों की हो गई है, वहीं कई बैच तो 30 से ज्यादा अधिकारियों की है। साल 2007 तक आईएएस की बैच मुश्किल से दस अधिकारियों की होती थी ।
2009 से 2017 तक की स्थिति
मप्र कैडर को 2009 में आरआर कैटेगरी से 13 तो प्रमोटी आईएएस में 11 यानी कुल 24 अफसर है। इसी तरह 2010 में आरआर के 11 तो प्रमोटी के 13 अधिकारी है, यानि 24 की बैच है। 2011 में आरआर कैटेगरी में 8 तो प्रमोटी में 16 अधिकारी है, यानि यह भी 24 की बैच, 2012 में आरआर कैटेगरी में 16 तो प्रमोटी में भी 16 है, यानि 32 की बैच, 2013 में आरआर से 17 तो प्रमोटी से 13 आईएएस है, यानि 30 की बैच 2014 में आरआर से 16 तो प्रमोटी से अभी सात आईएएस है, यानि 23 की बैच, 2015 में आरआर कैटेगरी से 11 आईएएस है, प्रमोटी से अभी एक नियाज खान अकेले हैं। वहीं 2016 में आरआर कैटेगरी से दस तो प्रमोटी आईएएस सात है और बैच 17 की है, 2017 में आरआर कैटेगरी से ही 13 आईएएस है प्रमोटी अभी नहीं है।
अन्य राज्यों में छह साल में मिल रहा कलेक्टर पद
अन्य राज्यों की बात करें तो वहां वहां अब 2018-19 बैच के आईएएस को भी कलेक्टर पद मिलने लगा है. लेकिन साल 2023 में भी अभी आरआर कैटेगरी के 2015 बैच के अधिकारियों को ही कलेक्टर पद नहीं मिला है। यानी उन्हें नौकरी के बाद कलेक्टर बनने में आठ साल का समय लग रहा है। वहीं प्रमोटी आईएएस की बात करें तो यह बहुत लंबा समय है, प्रमोशन के लिए उन्हें औसतन 20 साल का समय लगता है और फिर इसके बाद कलेक्टरी का इंतजार 7 प्रमोटी आईएएस जो एक से ज्यादा जिलों की कलेक्टरी पाते हैं, वह उंगलियों पर गिनने वाले अधिकारी है।
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