भोपाल । केन्द्र सरकार ने देश के 40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी, जबकि ऐसे ही करीब 150 मेडिकल कॉलेज अभी रडार पर हैं। जिन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई, उनमें जांच के दौरान कई कमियां पाई गईं। नेशनल मेडिकल कमिशन के यूजी बोर्ड ने तमाम कमियों के चलते इन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द करने का फैसला लिया है, इनमें इंदौर के मालवांचल यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित इंडेक्स मेडिकल कॉलेज भी शामिल हैं। 2 दिसम्बर को की गई जांच में कॉलेज में कई तरह की अनियमितताएं पाए जाने के बाद आगामी वर्ष के लिए एमबीबीएस की 250 सीटों की मान्यता रोक दी है। काउंसिल ने 11 जनवरी को प्रस्तुत की गई अपनी रिपोर्ट में टीचिंग फैकल्टी में 49 प्रतिशत की अनियमितता पाई, वहीं बिस्तरों की क्षमता 28 प्रतिशत कम पाई गई, आईसीयू भी स्तर का नहीं पाया गया, वहीं क्लिनिकल मटेरियल को भी प्रदूषित पाया। रिपोर्ट के बाद कॉलेज को शोकॉज नोटिस भी दिया गया। इसके बावजूद कॉलेज ने कोई सुधार नहीं किया। इसके चलते कॉलेज की परमिशन रोक दी गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि इंडेक्स मेडिकल कॉलेज को आयुष्मान भारत योजना के लिए भी अधिकृत किया गया था, लेकिन जांच में यहां स्वास्थ्य सेवाएं निम्न स्तर की पाई गईं। यह बात भी कॉलेज प्रशासन ने काउंसिल से छुपाई। रिपोर्ट में जांच करने वाली टीम ने आरोप लगाया कि जांच के दौरान कॉलेज के डीन, प्राचार्य और प्रबंधन ने कोई सहयोग नहीं किया। इन्हीं सभी कारणोंं के चलते नवीनीकरण रोक दिया गया। इंस्पेक्शन के दौरान जब फैकल्टी की 54 दिनों की हाजिरी चेक की गई तो 45 फैकल्टी ऐसी पाई गई, जिन्होंने एक भी दिन कॉलेज में हाजिरी नहीं दी थी। इनमें डॉ. हेमलता सिंधिया और डॉ. अनिल बक्षी जैसे नामचीन डॉक्टर भी शामिल हैं। जिन्हें नोटिस दिया जा सकता है।
मान्यता के लिए निर्धारित मरीजों की संख्या पूरी करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने अच्छे भले लोगों को मरीज बनाकर बिस्तरों पर लेटा दिया, लेकिन जांच टीम ने एक-एक मरीज से सच उगलवा लिया। अस्पताल प्रबंधन ने राकेश नामक एक मरीज को जांच वाले दिन ही भर्ती किया, लेकिन उसकी भर्ती होने की तारीख 28 अप्रैल दर्शाई। इसके अलावा शेखर नामक मरीज से जब उसके पिता का नाम पूछा तो पेशेंट रिकार्ड में उसके पिता का नाम कुछ और लिखा हुआ था, जिसे केवल इंंस्पेक्शन के लिए भर्ती किया गया था। इसी तरह जमुनादेवी नामक महिला का ऑपरेशन करना बताया गया, लेकिन उसका ऑपरेशन ही नहीं हुआ था। इसके अलावा संजय को बोतल चढ़ाना लिखा गया, लेकिन वह स्वस्थ था और उसे कोई बोतल नहीं चढ़ी थी। एक अन्य मरीज गोविंद पिता गोपाल के पिता का नाम कमल लिखा गया था। वहां मौजूद अर्पिता पिता जितेन्द्र की केस शीट में कोई और नाम लिखा था। जांच टीम ने ऐसे कई मरीज फर्जी रूप से भर्ती पाए। इन्हीं सब कारणों से इंडेक्स कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गई।
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