भोपाल । मप्र में अब 70 हजार अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले नहीं होंगे। सरकार को कलेक्टर का तबादला करने के पहले चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। दो अगस्त से प्रारंभ होने जा रहे मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण कार्य को देखते हुए यह व्यवस्था लागू की गई है।
वहीं, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना की ओर से चुनाव आयोग को एक स्थान पर तीन साल से पदस्थ अधिकारियों को हटाए संबंधी निर्देश का पालन प्रतिवेदन दिया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि 31 अगस्त तक मतदाता सूची में नाम जोडऩे, हटाने और संशोधन के लिए आवेदन लिए जाएंगे। सेक्टर अधिकारी मतदाता सूची का वाचन करेंगे। इसमें जनवरी में हुए संक्षिप्त पुनरीक्षण में जिनके नाम काटे या जोड़े गए थे, उनकी जानकारी दी जाएगी। साथ ही उन आवासों का भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा, जिनमें छह से अधिक मतदाता हैं।
कांग्रेस ने इसको लेकर शिकायत की थी कि भोपाल के नरेला विधानसभा में कई आवास ऐसे हैं, जिनमें कई मतदाता हैं। 22 सितंबर तक दावे-आपत्ति का रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा निराकरण किया जाएगा। जिसका भी नाम सूची से हटाया जाएगा, उसके पहले उसे नोटिस दिया जाएगा ताकि वह अपना पक्ष रख सके।
चार अक्टूबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। मतदाता सूची के कार्य को देखते हुए आयोग ने शासन को निर्देश दिए हैं कि इससे जुड़े किसी भी अधिकारी-कर्मचारी का तबादला न किया जाए। यदि उसे हटाया जाना आवश्यक है तो आयोग से पूर्व अनुमति ली जाए। इसमें 64 हजार 100 बूथ लेवल आफिसर सहित सेक्टर अधिकारी, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी और कलेक्टर शामिल हैं।
उधर, तीन साल से एक स्थान पर पदस्थ अधिकारियों को हटाने के चुनाव आयोग के निर्देश का पालन प्रतिवेदन सोमवार को मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की ओर से आयोग को देना है। राजस्व, सामान्य प्रशासन, गृह सहित अन्य विभाग, ऐसे अधिकतर अधिकारियों का तबादला कर चुके हैं।
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