भोपाल । कुछ समय पहले तक भाजपा के वरिष्ठ नेता रूठे हुए थे। पिछले दो माह में केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें मनाने के लिए हर संभव प्रयास किए। सभी वरिष्ठ नेताओं को पदों पर बैठाकर उनको सम्मान देकर, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का बेहतर चक्रव्यूह रचने में भाजपा ने सफलता प्राप्त कर ली है।
पिछले दो माह में सत्ता और संगठन से जो उनकी नाराजगी थी। वह दूर करने के हरसंभव प्रयास राज्य और केंद्र स्तर पर किए गए हैं। सभी को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया गया है। संगठन मे विभिन्न पदों की जिम्मेदारी देकर,रूठे हुए नेताओं का मान सम्मान लौटाया गया है।
चुनावी चक्रव्यूह की संरचना में पूर्व सांसद और पूर्व प्रदेशअध्यक्ष प्रभात झा को चुनाव घोषणा पत्र समिति में शामिल किया गया है। पूर्व मंत्री जयंत मलैया को चुनाव घोषणापत्र कमेटी की कमान दी गई है। प्रभात झा को मनाने के लिए,प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा खुद उनके घर गए थे। पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला, लालसिंह आर्य, लता वानखेड़े,ओमप्रकाश धुर्वे,सुमेरसिंह सोलंकी,डीडी उइके,अजय प्रताप सिंह, दीपक विजयवर्गीय,एसएनएस चौहान,अतुल सेठ,मनोज पाल यादव इत्यादि को चुनाव घोषणा पत्र समिति का सदस्य बनाकर पार्टी ने चुनाव घोषणा पत्र के जरिए मतदाताओं को किस तरीके से लुभाया जाए। इसकी जिम्मेदारी वरिष्ठ नेताओं को सौंप दी है।
जो नेता रूठे हुए थे, या जो 75 वर्ष की उम्र की दहलीज पर पहुंच चुके हैं। उनके साथ भी बेहतर संवाद पार्टी ने स्थापित कर लिया है। यदि उनकी टिकट काटी गई,तो उनके स्थान पर उनके परिवार के कोई सक्रिय सदस्य हैं। तो उन्हें टिकट से नवाजा जाएगा। इससे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में जो नाराजगी थी। उसे दूर करने का प्रयत्न किया गया है। जिसका फायदा आने वाले चुनाव में निश्चित रूप से भाजपा को मिलने जा रहा है।
कैलाश विजयवर्गीय को भी राष्ट्रीय महासचिव के रूप में सक्रिय करके, मध्यप्रदेश के नेताओं को एकजुट कर एक मंच में लाने में भाजपा सफल हो गई है। यह सभी ताकतवर नेता हैं। जो अपने अपने क्षेत्रों एवं प्रदेश में जाति समीकरण को लेकर भी बड़ा प्रभाव रखते हैं। इन्हें सक्रिय करके भाजपा ने प्रारंभिक तौर पर अपनी स्थिति को मजबूत बना लिया है। 1 माह पहले तक यह आशंका व्यक्त की जा रही थी,इसमें से बहुत सारे नेता अथवा उनके परिवार के सदस्य कांग्रेस के संपर्क में हैं। जिस कारण चुनाव के दौरान भाजपा को बड़ी चुनौती मिल सकती थी।
भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं को मनाने का काम, पिछले 2 महीने में पूर्ण करने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अपना पूरा जोर लगा दिया। इस काम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अदा की है। जिसका असर अब देखने को मिलने लगा है। नरेंद्र सिंह तोमर के हर कार्यकर्ता और हर नेता के साथ मधुर संबंध हमेशा से रहे हैं। उनके संबंधों की प्रगाढ़ता के कारण, नाराज नेताओं ने उनके ऊपर विश्वास किया। तोमर ने संगठन और सत्ता के जिन कारणों से वह नाराज थे। उनको दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह की है। केंद्रीय नेतृत्व ने भी उनकी सलाह को सर्वोच्चता पर रखा है। जिसके कारण रूठे हुए भाजपा नेताओं की नाराजगी दूर हुई है।
बदलेगा टिकट वितरण का फार्मूला केंद्रीय नेतृत्व इस बार मध्य प्रदेश के टिकट वितरण फार्मूले में भी बदलाव करने सहमत हो गया है। 75 वर्ष की आसपास की आयु के जिन नेताओं का टिकट कटना तय माना जा रहा था। यदि क्षेत्र में उनकी जीतने लायक स्थिति है, तो पार्टी उन्हें टिकट देगी। जिस नेता का प्रभाव अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा है। उनके परिवार का यदि कोई सक्रिय सदस्य जो राजनीति में है। उसे टिकट दी जा सकती है। जिसके कारण मध्यप्रदेश की टिकट वितरण में कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं अपनाया जाएगा। सभी नेता मिलकर,सर्वे रिपोर्ट के आधार पर संगठन की सहमति बनाकर टिकट वितरण किया जायेगा। इस बार भाजपा का लक्ष्यज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटों का जीतने का है।
कांग्रेस को विश्वास था,कि भाजपा के असंतुष्ट और नाराज नेता पार्टी के विरोध में काम करेंगे, या नाराज होकर घर बैठ जाएंगे। भाजपा के नाराज नेता कांग्रेस के लगातार संपर्क में थे। भाजपा के सशक्त नाराज राजनेताओं को कांग्रेस की टिकट देकर अपने पाले में लाने का जो सपना कांग्रेस देख रही थी। वह सपना अब टूटता हुआ नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी संगठित रूप से अब विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरने के लिए तैयार हो चुकी है। कांग्रेस के पास जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन नहीं है। जो भाजपा का मुकाबला कर सके। इस कारण कांग्रेस की चुनौती,आसन्न विधानसभा चुनाव मे बढ़ गई है। भाजपा के विद्रोह को लेकर कांग्रेश अपने आप को बड़े कंफर्ट जोन में मानकर चल रही थी। वर्तमान स्थिति में कांग्रेश के लिए चुनौतियां पहले की तुलना में और बढ़ गई हैं।
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