भोपाल : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की अध्यक्ष सैयद शहजादी ने कहा है कि अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित योजनाओं के लक्ष्यों को शत-प्रतिशत हासिल किया जाये। उन्होंने कहा कि केन्द्र से प्राप्त होने वाली राशि का समय पर पूरा उपयोग हो। आयोग की अध्यक्ष आज मंत्रालय में सरकार के विभिन्न विभागों के कार्यक्रमों की समीक्षा कर रही थीं। बैठक में सचिव पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण स्वतंत्र कुमार सिंह, आयुक्त पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण गोपाल चन्द्र डाड भी मौजूद थे।
आयोग की अध्यक्ष शहजादी ने कहा कि केन्द्र सरकार अल्पसंख्यकों के समग्र विकास के लिये प्रतिबद्ध है। इसे ध्यान में रखते हुए इन वर्गों के शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिये केन्द्र सरकार की मदद से राज्यों में योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में मुस्लिम, क्रिश्चियन, जैन, सिक्ख, बौद्ध और पारसी वर्ग के छात्रों के शैक्षणिक सुधार के लिये करीब एक लाख 40 हजार विद्यार्थियों को प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति में करीब 48 करोड़ रूपये की छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई गई है। इन वर्गों के 23 हजार 700 विद्यार्थियों को 16 करोड़ 15 लाख की पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई गई। टेक्निकल कोर्स के लिये 2530 विद्यार्थियों को 7 करोड़ 50 लाख रूपये की मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई गई।
बैठक में बताया गया कि अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिये 7 गर्ल्स हॉस्टल भोपाल, बुरहानपुर, श्योपुर और खरगौन में संचालित हो रहे हैं। इन हॉस्टल्स में कम्प्यूटर ट्रेनिंग की व्यवस्था भी है। बैठक में प्रधानमंत्री जन-विकास कार्यक्रम की समीक्षा भी की गई। यह कार्यक्रम अल्पसंख्यक बहुल भोपाल, बुरहानपुर, नीमच, मंदसौर, रतलाम, इंदौर, खरगौन और खण्डवा में मुख्य रूप से चलाये जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के जरिये अल्पसंख्यकों के सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिये कार्य किये जा रहे हैं। जानकारी दी गई कि भोपाल के शासकीय यूनानी कॉलेज में 180 क्षमता का गर्ल्स हॉस्टल बनकर तैयार हो गया है। खण्डवा के पॉलीटेक्निक कॉलेज में स्मार्ट क्लॉस-रूम तैयार किया गया है। भोपाल में रैनबसेरा भवन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। बैठक में अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम की योजनाओं की समीक्षा की गई।
मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा भी दें
राष्ट्रीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को परम्परागत शिक्षा के साथ अंग्रेजी शिक्षा देने की भी व्यवस्था हो। बताया गया कि राज्य में 1755 मदरसे संचालित हो रहे हैं। इन विद्यार्थियों को नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें और मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। बैठक में महिला-बाल विकास की आँगनवाड़ी, मुख्यमंत्री निकाह योजना और स्व-सहायता समूहों की गतिविधियों की भी समीक्षा की गई।
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