Happy New Year 2022: क्या 2022 बनेगा बदलाव का साल, देश में खत्म होंगी ये 5 बड़ी समस्याएं!

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Happy new year 2022: साल 2021 पिछले कई दशकों के लिहाज से देखा जाए तो बेहद बुरा साल साबित हुआ क्योंकि यह साल जाते-जाते दुनिया को ओमिक्रॉन वेरिएंट का एक ऐसा दंश दे गया जिसने नए साल के जश्न को फीका तो कर गया और यह भी नहीं पता कि कितनी तबाही मचाएगा. साल के अंत तक देश में ओमिक्रॉन के 1200 से ज्यादा मामले सामने आ चुके थे.

2020 की तरह 2021 भी महामारी की भेंट चढ़ गया और अब 2022 का आगाज होने जा रहा है. नए साल में हर किसी को यही उम्मीद होगी कि नया साल हमारे लिए सुख-समृद्धि वाला साल साबित हो. खासकर कोरोना महामारी ने जिस तरह से हमारी जीवन-शैली को कोरोना गाइडलाइंस के तहत समेट दिया है, उससे तो निजात मिलनी ही चाहिए. आइए, जानते हैं और उम्मीद करते हैं कि नए साल में हम देश में मौजूद 5 बड़ी समस्याओं का खात्मा होते देखेंगे.

1. कोरोना के कहर के आगे सब बेबस, क्या मुक्ति मिलेगी?

साल 2021 में कोरोना वायरस ने जमकर कहर बरपाया. इस महामारी से सबसे ज्यादा नुकसान का सामना करने वाले देशों में भारत का नाम भी शीर्ष पर है. अप्रैल-मई में कोरोना का कहर इस कदर था कि देश में रोजाना 4 लाख से ज्यादा केस सामने आते थे. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच देश ने ऑक्सीजन की खासी कमी का सामना किया और बड़ी संख्या में लोग मारे गए.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आज शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना के दैनिक मामले करीब 64 दिनों बाद 16,000 का आंकड़ा पार कर गए हैं जिससे देश में कोविड-19 के कुल केस की संख्या 3,48,38,804 हो गई है. साल के अंतिम दिन एक दिन में संक्रमण के 16,794 नए मामले आए जबकि 220 मरीजों के जान गंवाने से मृतकों की संख्या 4,81,080 पर पहुंच गई.

अब ओमिक्रॉन ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. हालांकि अभी ओमिक्रॉन के मामले 1300 से अधिक ही हैं, लेकिन जिस रफ्तार में यह बढ़ रहा है उससे लगता है कि आने वाला समय संकटपूर्ण है. इसके रोकथाम का असरदार तरीका है कि कोरोना संयत व्यवहार का पालन किया जाए. और दूसरी तरफ सभी का वैक्सीनेशन किया जाए. 31 दिसंबर तक देश में 145 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन के डोज दे दिए गए हैं, अब उम्मीद है कि नए साल में सभी का टीकाकरण हो जाएगा और यह महामारी हमारे समाज से सदा के लिए विदा हो जाएगी.

2. सड़क हादसों में मौत और देश के राजस्व को घाटा

कोरोना महामारी के अलावा देश में कई ऐसी समस्याएं हैं जो देश के लिए मुसीबत का सबब बनते हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले दिनों संसद को जानकारी दी थी कि हाईवे पर 2019 में गड्ढों के कारण 4,775 दुर्घटनाएं हुईं और 2020 में 3,564 ऐसी दुर्घटनाएं हुईं. पिछली बार की 2019 की तुलना में 2020 में हादसा कम जरुर हुए हैं, लेकिन अभी भी यह खतरनाक स्थिति में है.

इसी तरह फरवरी में वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में सालाना करीब साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सड़क हादसों में हताहत होने वाले लोगों में सबसे ज्यादा भारत के होते हैं. भारत में दुनिया के सिर्फ एक फीसदी वाहन हैं, लेकिन सड़क हादसों में दुनिया भर में होने वाली मौतों में भारत का हिस्सा 11 प्रतिशत है. देश में हर घंटे 53 सड़क हादसे हो रही हैं और हर चार मिनट में एक मौत होती है.

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले एक दशक में भारतीय सड़कों पर 13 लाख लोगों की मौत हुई और 50 लाख लोग घायल भी हुए. रिपोर्ट में दावा किया गया कि सड़क हादसों के चलते भारत में 5.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.14 प्रतिशत के बराबर नुकसान होता है.

3. प्राकृतिक आपदा और हजारों करोड़ की संपत्ति स्वाह

हमारा देश पूरे साल कहीं न कहीं किसी न किसी तरह की प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त रहता है. नवंबर में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि प्राकृतिक आपदाओं से 2001 से अब तक कुल 100 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं और जिसमें करीब 83,000 लोगों की जान चली गई. अगर नुकसान को मौजूदा कीमतों के आधार पर देखें, तो नुकसान 13 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत हो जाता है.

1991 और 2021 के बीच, देश में कुल नुकसान का केवल आठ प्रतिशत ही कवर किया गया है. इसलिए, इस अवधि के दौरान करीब 92 प्रतिशत सुरक्षा अंतर है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2020 की बाढ़ से कुल आर्थिक नुकसान 7.5 अरब डॉलर या 52500 करोड़ रुपये था, लेकिन बीमा केवल 11 प्रतिशत था.

एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष का कहना था कि 1900 के बाद से, हमें 144 अरब डॉलर का राजस्व का नुकसान हुआ. बाढ़ से सबसे अधिक 86.8 अरब डॉलर का नुकसान हुआ और उसके बाद तूफान की वजह से 44.7 अरब डॉलर प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ गए.

4. देश में बढ़ते जा रहे हेट स्पीच के मामले

देश में हाल के दिनों में हेट स्पीच की घटनाएं काफी बढ़ी हैं. पिछले दिनों हरिद्वार में धर्म संसद में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हेट स्पीच मामले ने तुल पकड़ा था. इस मामले पर सेना के 5 पूर्व प्रमुखों समेत देश के 100 से ज्यादा प्रमुख हस्तियों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्‌ठी लिखकर विरोध जताया है. हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक धर्म संसद चली थी.

इससे पहले कई अन्य जगहों पर हेट स्पीच के मामले सामने आए हैं. हेट स्पीच के मामले सामने आने पर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच तनातनी की स्थिति बन सकती हैं. ऐसे में जरुरत है कि साल 2022 में हेट स्पीच के मामले खत्म हो और आपसी सद्भाव बना रहे. पिछले कुछ सालों में देश में हेट स्पीच और मॉब लिंचिंग की घटनाओं ने दुनियाभर में देश को शर्मसार किया है.

5. तेजी से बढ़ती बेरोजगारी दर पर अंकुश

कोरोना संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है. इससे बेरेजगारी भी बढ़ी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार हमला बोलते रहे हैं.

साल 2021 भारत में 8.01 प्रतिशत की बेरोजगारी दर के साथ बंद हो रहा है, जबकि जनवरी में यह 6.52 प्रतिशत था. निराशा की एक बड़ी वजह यह है कि जनवरी में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 8.09 प्रतिशत थी जो 30 दिसंबर को बढ़कर 9.26 प्रतिशत हो गई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.81 प्रतिशत के मुकाबले 7.44 प्रतिशत है. पिछले साल दिसंबर में बेरोजगारी दर 9.06 फीसदी थी. शहरी क्षेत्रों के लिए यह और भी अधिक 9.15 प्रतिशत था. कोरोना संकट के बीच सरकार के पास यह चुनौती की तरह है कि तेजी से बढ़ते बेरोजगारी के दर को कैसे कम करें और नियंत्रित करें. उम्मीद है कि नए साल में कुछ ऐसी व्यवस्था अमल में आए जिससे देश खासकर युवाओं की बड़ी समस्या का हल निकल सके.

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