सुरक्षा बल हो या फिर पुलिस. भला इनमें ‘सिपाही’ से लेकर ‘साहब’ तक ऐसा कौन होगा जिसके दिल में उसे अपनी ईमानदारी-मेहनत के ‘इनाम’ की दरकार मौजूद न रहती हो. यह उनका ह़क है इसलिए ऐसी हसरत करना नाजायज भी नहीं है. यह इनाम-इकराम “आउट ऑफ टर्न” और मेडल यानी पदक (President Police Medal 2022)के रूप में सामने आता है. हर साल की तरह इस (Republic Day Parade 2022)वर्ष भी देश भर के बहादुर और भीड़ से अलग हटकर वर्दी में काम को अंजाम देने वालों को अपने-अपने तरीके से उन्हें ‘नवाजा’ जा रहा है. कुछ को राज्य सरकारें नवाज रही हैं, तो कुछ को हिंदुस्तान के महामहिम यानी राष्ट्रपति (President of India) द्वारा पुलिस मेडल प्रदान किए जा रहे हैं.
इस भीड़ में भी मगर मंगलवार को दिन भर भारतीय पुलिस सेवा में सेवारत एक मियां-बीवी (IPS Couple) का चर्चा जोर-शोर से होता रहा. आईपीएस दंपत्ति की इस चर्चित जोड़ी का नाम है अनिल शुक्ला और शालिनी सिंह. आईपीएस पति-पत्नी की यह जोड़ी अग्मूटी कैडर (Arunachal Pradesh-Goa-Mizoram and Union Territory AGMUT) 1996 बैच की है. शालिनी सिंह दिल्ली पुलिस में स्पेशल पुलिस कमिश्नर हैं. जबकि उनके पति अनिल शुक्ला वर्तमान में अंडमान निकोबार द्वीप समूह में अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात हैं. इस आईपीएस दंपत्ति के नाम का चर्चा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि, इन्हें इनकी विशिष्ट पुलिस सेवा के लिए इस बार एक साथ नवाजा जा रहा है.
लंबे समय बाद आया है यह अवसर
इस बार पदक दिए जाने के लिए चुने गए आईपीएस अफसरों के बीच यह पहला मौका है जब, हिंदुस्तानी हुकूमत ने किसी आईपीएस पति-पत्नी की जोड़ी को एक साथ राष्ट्रपति से “विशिष्ट पुलिस सेवा पदक” दिए जाने की सिफारिश की है. अब से पहले भी अमूमन हिंदुस्तानी पुलिस या अर्धसैनिक बलों में तैनात आईपीएस मियां-बीवी की जोड़ी को एक साथ इस तरह से कभी एक ही वर्ष में भारत के राष्ट्रपति द्वारा मिलने वाले ‘विशिष्ट पुलिस सेवा पदक’ के उदाहरण कम ही या फिर न के बराबर देखने को मिले हैं. शालिनी सिंह और अनिल शुक्ला को जिस विशिष्ट सेवा पुलिस पदक से नवाजा जा रहा है, वो 25 साल की आईपीएस सेवा के बाद दिया जाता है. बशर्ते कि आईपीएस की अतीत की पूरी सेवा बेदाग और यादगार रही हो तब.
तब चर्चा में आए थे IPS Anil Shukla
आईपीएस अनिल शुक्ला उन दिनों दिल्ली पुलिस में चर्चा में आए थे जब उन्हें, दक्षिणी दिल्ली जैसे संवेदनशील जिले का डीसीपी बनाया गया था. उसके बाद वे दिल्ली पुलिस में डीसीपी क्राइम ब्रांच, अरुणाचल में पुलिस उप-महानिरीक्षक भी रहे. अनिल शुक्ला पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के दौरान हिंदुस्तान की इकलौती सबसे बड़ी जांच एजेंसी एनआईए यानी नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी में आईजी (पुलिस महानिरीक्षक) पद पर तैनात थे. पुलवामा अटैक कांड की जांच में मुकदमा दर्ज करके उसकी पड़ताल की जिम्मेदारी इन्हीं अनिल शुक्ला की टीम के कंधों पर थी, जिसे एनआईए ने बखूबी सिर-ए-अंजाम तक पहुंचाया था.
दिल्ली में पहली महिला ज्वाइंट कमिश्नर रेंज
फिलहाल इन दिनों वे अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात हैं. जबकि अनिल शुक्ला की पत्नी शालिनी सिंह लंबे समय से दिल्ली पुलिस में तैनात हैं. वे कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के उत्तरी परिक्षेत्र (नार्दन रेंज) की संयुक्त पुलिस आयुक्त थीं. शालिनी सिंह दिल्ली पुलिस के 43-44 साल के पुलिस कमिश्नर सिस्टम के दौरान ऐसी पहली महिला आईपीएस भी साबित हुईं, जिन्हें हुकूमत ने दिल्ली के किसी रेंज की बागडोर (एक रेंज में तीन जिले होते हैं) पहली बार सौंपी थी. यह वही शालिनी सिंह हैं जिन्होंने कोरोना की पहली लहर के दौरान गर्भवती महिलाओं को, आपात स्थिति में उनके घरों से दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम और थाने चौकी के सरकारी वाहनों में अस्पताल में दाखिल कराने की विशेष मुहिम छेड़ दी थी.
ताबूत में मुर्दे की जगह शराब तलाशने वाली IPS
आईपीएस शालिनी सिंह इन दिनों दिल्ली पुलिस मुख्यालय में स्पेशल कमिश्नर (वैलफेयर) के पद पर तैनात हैं. दिल्ली पुलिस में वे डीसीपी दक्षिण-पश्चिमी जिला, दक्षिण-पूर्वी जिला, संयुक्त आयुक्त दिल्ली पुलिस मुख्यालय, राष्ट्रपति भवन, पुलिस उप-महानिरीक्षक अंडमान निकोबार भी तैनात रह चुकी हैं. सन् 2019 में शालिनी सिंह को अण्डमान निकोबार का डीआईजी तब बनाया गया था जब देश में लोकसभा चुनाव होने थे.
कोरोना काल में अस्पताल की एंबूलेंस में रखे इलैक्ट्रिक कफन (ताबूत) के अंदर, मुर्दे के बजाए शराब की बोतलों की बड़ी खेप पकड़ने का काम अपनी टीम से कराने वाली यही आईपीएस शालिनी सिंह थीं जिन्हें उनकी 25 साल की आईपीएस की बेदाग नौकरी के बाद अब राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट पुलिस सेवा पदक से इस बार नवाजा जा रहा है.
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