उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) समेत 5 राज्यों में चुनावी प्रक्रिया चल रही है और इसमें पंजाब, उत्तराखंड तथा गोवा (Goa) में मतदान हो चुका है अब यहां पर 10 मार्च का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है क्योंकि इसी दिन परिणाम सामने आएगा. उत्तर प्रदेश में भी वोटिंग की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में चल रही है और 7 चरणों के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2022) में 5 चरणों के चुनाव हो चुके हैं. चुनावी जोर के बीच देश की राजनीति में एक ऐसे शख्स का जिक्र करने जा रहे हैं जो पहले मुख्यमंत्री बने फिर देश के शीर्ष पद प्रधानमंत्री पर विराजमान भी हुए. यानी इस दिग्गज नेता ने मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री बनने का जो सिलसिला शुरू किया वो आज भी जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM narendra Modi) भी इसी फेहरिस्त में शामिल हैं. खास बात यह है कि मोदी की तरह उनका भी जन्म गुजरात में हुआ था.
बात हम आज आजाद हिंदुस्तान के बड़े नेताओं में शुमार किए जाने वाले मोरार जी देसाई की रहे हैं. 29 फरवरी, 1896 को पैदा होने वाले मोरार देसाई का जन्म गुजरात के भदेली नामक स्थान पर हुआ था. 29 फरवरी चूंकि 4 साल में एक बार आता है, इस लिहाज से 28 फरवरी को ही उनकी जयंती मनाई जाती है. वह देश के पहले ऐसे नेता रहे जो पहले मुख्यमंत्री बने, फिर उपप्रधानमंत्री बने और फिर देश के प्रधानमंत्री भी बने.
1952 में बने बंबई के मुख्यमंत्री
स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने की वजह से मोरारजी देसाई को कई बार जेल जाना पड़ा. देश जब आजाद हुआ तो 1952 में वह तत्कालीन बंबई (अब मुंबई) प्रांत के मुख्यमंत्री बने. उस समय गुजरात तथा महाराष्ट्र को बंबई प्रोविंस के नाम से जाना जाता था और दोनों राज्यों का पृथक गठन नहीं हुआ था. वह इस पद पर साढ़े 4 साल तक रहे. वह आजाद मुल्क के शुरुआती 3 दशकों में देश के शीर्ष और कद्दावर नेताओं में से एक थे.
27 मई 1962 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद वह पीएम पद के दावेदारों में से थे, लेकिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री. शास्त्री के निधन के बाद भी वह इस रेस में बने रहे लेकिन एक बार फिर किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और इस रेस से दूर हो गए तथा इंदिरा गांधी देश की तीसरी प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि इंदिरा के पीएम बनने के दौरान वह 13 मार्च 1967 से 16 जुलाई 1969 तक उपप्रधानमंत्री रहे. वह गृह मंत्री भी बनाए गए, साथ में उनके पास वित्त मंत्रालय भी था. लेकिन इंदिरा के साथ मतभेद की वजह से सवा दो साल बाद उन्होंने 1969 में उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री दोनों पद एक साथ छोड़ दिया. मोरार जी इंदिरा गांधी की कैबिनेट में वित्त मंत्री बनने से पहले उनके पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में भी लंबे समय तक वित्त मंत्री रहे.
नेहरू और शास्त्री के निधन के बाद PM बनने से चूके मोरारजी
1967 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनाए जाने के फैसले पर मोरारजी देसाई बेहद खफा रहे और उनके कई योजनाओं तथा विचारों का विरोध करते रहे. फिर नंवबर 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद मोरारजी इंदिरा गांधी (आई) से अलग हो गए और कांग्रेस (संगठन) के साथ आ गए. हालांकि वह ज्यादा समय तक यहां नहीं रहे और 1975 में जनता पार्टी में शामिल हो गए.
इंदिरा गांधी के हाथों प्रधानमंत्री का पद गंवाने के करीब 10 साल बाद देश में जब आम चुनाव हुए तो लोग इंदिरा गांधी के आपातकाल की वजह से बेहद नाराज थे और मतदाताओं ने उसका सबक उन्हें सिखाया और लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. 1977 के चुनाव में जब इंदिरा गांधी को करारी हार मिली और जनता पार्टी सत्ता में आई तो मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. लेकिन उसके लिए उन्हें खासा संघर्ष करना पड़ा.
उन्होंने देश के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया. हालांकि तब वह 81 बरस के हो चुके थे लेकिन जोश बरकरार था. उनको इस पद पर लाने में आचार्य कृपलानी और जयप्रकाश नारायण ने भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी क्योंकि तब इस पद के लिए चौधरी चरण सिंह और बाबू जगजीवन राम भी बड़े दावेदारों में से एक थे. लेकिन बाजी मोरारजी के हाथ लगी और उन्होंने देश के पहले गैर-कांग्रेसी पीएम के रूप में शपथ 24 मार्च 1977 को शपथ ग्रहण किया.
हालांकि मोरारजी देसाई की सरकार ज्यादा नहीं चली और आपसी मतभेदों की वजह से 2 साल 126 दिन में ही सरकार गिर गई. वह भले ही लंबे समय तक प्रधानमंत्री नहीं रह सके लेकिन देश के इतिहास में वह पहले ऐसे शख्स बने जिन्होंने प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री का पद संभाला था.
7 उपप्रधानमंत्री में से सिर्फ 2 ही बने प्रधानमंत्री
साथ ही एक और दुर्लभ रिकॉर्ड उनके नाम के साथ जुड़ा हुआ है और वह है कि देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो इससे पहले उपप्रधानमंत्री पद संभाल चुके थे. देश में अब तक 7 उपप्रधानमंत्री बन चुके हैं. सरदार वल्लभभाई पटेल से लेकर लाल कृष्ण आडवाणी तक 7 नेता उपप्रधानमंत्री बने लेकिन सिर्फ 2 नेता ही ऐसे रहे जो बाद में प्रधानमंत्री भी बने. सरदार पटेल (3 साल, 122 दिन) के बाद मोरारजी (2 साल, 128 दिन) ही उपप्रधानमंत्री पद पर सबसे ज्यादा समय तक रहे.
मोरार जी देसाई और चौधरी चरण सिंह ही भारतीय राजनीति में ऐसी सख्सियत हैं जिन्हें पहले उपप्रधानमंत्री फिर प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ. इसी तरह पहले मुख्यमंत्री फिर प्रधानमंत्री बनने वाले नेताओं में सबसे पहला नाम आता है मोरारजी देसाई का. उनके बाद 5 और नेता हुए जो उनकी तरह मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री के पद पर काबिज हुए. मोरारजी के बाद चौधरी चरण सिंह, वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवगौड़ा और नरेंद्र मोदी का नाम आता है. नरेंद्र मोदी तो लगातार दूसरी बार पीएम बने हैं.
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