कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब (Karnataka Hijab Row) पहनने के अधिकार को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. अब मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. इस पर सियासत भी लगातार जारी है. हाल ही में मुस्लिम महिलाओं (Muslim women) ने पूरी दुनिया में जागरूकता पैदा करने, धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने और हिजाब (Hijab) की अहमियत बताने के लिए 1 फरवरी को विश्व हिजाब दिवस मनाया था. अब इसके बाद से विवाद बढ़ गया है. एक हजार से अधिक नारीवादियों, लोकतांत्रिक समूहों, शिक्षाविदों, वकीलों और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं को निशाना बनाने की घटना की निंदा की है. इसे मुस्लिम महिलाओं के साथ ‘भेदभाव’ का नया बहाना करार दिया है.
एक खुले पत्र में इन लोगों ने कहा है कि उनका मानना है कि भारतीय संविधान विद्यालयों और महाविद्यालयों में बहुलतावाद का जनादेश देता है, न कि एकरूपता का. इस पत्र पर 1850 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं. पत्र में कहा गया है कि हिजाब पहनी छात्राओं को अलग कक्ष में बिठाना या कॉलेज से निकलकर अपनी इच्छा के अनुरूप मुस्लिम-संचालित महाविद्यालयों में जाने को कहना कुछ और नहीं, बल्कि भेदभाव है.
पत्र का 130 समूहों ने किया समर्थन
पत्र को 15 राज्यों के 130 से अधिक समूहों ने भी अपना समर्थन दिया है. इन समूहों में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन, बेबाक कॉलेक्टिव, सहेली वीमेन्स रिसोर्स सेंटर, आवाज-ए-निजवान, नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, दलित वीमेन्स कॉलेक्टिव, नेशनल फेडरेशन ऑफ दलित वीमेन और वीमेन अगेंस्ट सेक्सुअल वायलेंस शामिल हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट में हुई मामले की सुनवाई
कर्नाटक हाई कोर्ट की बड़ी बेंच में गुरुवार को हिजाब विवाद को लेकर सुनवाई हुई. उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम काजी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि जब तक इस मामले में अदालत कोई फैसला नहीं सुनाता है, तब तक छात्र हिजाब पहनने की जिद ना करें. कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई तक छात्र धार्मिक पोशाक नहीं पहनेंगे. इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश संजय हेगड़े ने कहा, कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में यूनिफॉर्म से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं है. मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, हम इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं कि क्या हिजाब पहनना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है. कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले पर अब सोमवार को सुनवाई होगी.
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