Assembly Elections 2022: केंद्र और राज्‍य सरकार के ल‍िए चुनावी नतीजों के क्‍या मायने हैं? ऐसे समझ‍िए

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चुनाव आयोग ने गुरुवार को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे (Assembly Election Results 2022) जारी कर दिए हैं. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शानदार प्रदर्शन किया है. पार्टी ने जनसंख्‍या के ह‍िसाब से देश के सबसे बड़े राज्‍य उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की है. गोवा में बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का दावा करने जा रही है. अगर उत्तराखंड की बात करें तो राज्य के गठन के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है जब एक ही पार्टी लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब रही हो. मणिपुर में भी बीजेपी का जमकर जादू चला है, जहां वह 60 में से 32 सीट जीतने में कामयाब रही है. इसके अलावा पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) ने जबरदस्त सफलता हासिल की है. आइए एक नजर डालते हैं कि इन चुनावी नतीजों का केंद्र और राज्‍य सरकार के ल‍िए क्‍या मायने हैं.

उत्तर प्रदेश में यह शुरुआत से ही यह स्पष्ट था कि चुनाव भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘माफियावाद’, ‘लाल टोपीवालों की गुंडागर्दी’ का हवाला देकर सपा और अखिलेश यादव पर निशाना साधा था. सामने आए परिणाम बताते हैं कि इसकी वजह से बीजेपी ने सपा और उनके संबंधित सहयोगियों के मतदाताओं के बीच अपनी पसंद बनाई और यही वजह है कि बड़े पैमाने पर बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की अनदेखी हुई.

सुरक्षा और हिंदुत्व: कई मतदाताओं का मानना ​​था कि कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर ही उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार को सत्ता में लाना जरूरी है. उनका तर्क यह था कि कोई भी सरकार मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसी समस्याओं को पूरी तरह से दूर नहीं कर सकती है. आदित्यनाथ की टिप्पणियों जैसे ‘गर्मी ठंडा कर दूंगा’ या ‘बुलडोजर चलेगा’ को व्यापक रूप से अपराधियों पर कार्रवाई के संदर्भ के रूप में देखा गया था.

पंजाब: पारंपरिक पार्टियों से हटकर

आम आदमी पार्टी (AAP) ने पहली बार 2012 के लोकसभा चुनावों में पंजाब के चुनावी मैदान में प्रवेश किया था. वह 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद पंजाब में मुख्य विपक्ष बन गई थी और अब रिकॉर्ड 92 सीटों के साथ राज्य में जीत हासिल कर ली है. 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद यह किसी भी पार्टी द्वारा अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. यह दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल से दूर होने का प्रतीक है. लोगों ने उन्हें राज्य को बहने देने के रूप में देखना शुरू कर दिया था.

विकास के लिए वोट: पंजाब ने पिछले दो दशकों में अपनी प्रति व्यक्ति आय में लगातार गिरावट देख रहा है. इसल‍िए यहां की जनता ने बड़े पैमाने पर AAP द्वारा वादा किए गए विकास के दिल्ली मॉडल के लिए मतदान किया. समझदार मतदाता अब एक ऐसी पार्टी चाहता है जो उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार का वादा कर सके, न कि केवल मुफ्त के वादों पर जोर दे.

शिअद को शिकस्तः पंजाब की सबसे पुरानी पार्टी शिअद को मतदाताओं ने कड़ा संदेश दिया, जिसने 2020 में 100 वर्ष पूरे किए थे. उनका संदेश स्‍पष्‍ट था कि या तो खुद को बदलें या नष्ट हो जाएं. कभी अपने मोर्चा और लोगों के लिए आंदोलन के लिए जानी जाने वाली एक कैडर संचालित पार्टी श‍िरोमणि अकाली दल एक पारिवारिक पार्टी में बदल गई थी.

गोवा: बीजेपी ने उम्मीदवारों की गिनती की

बीजेपी की पसंद: इन चुनावों में उम्मीदवारों की जीत पर बीजेपी के जोर ने काम किया है. उसे अपने वफादार कैडर पर दलबदलुओं को चुनने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा, लेकिन यह अब सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी.

बंटा हुआ विरोध: चुनावी नतीजों में यह साफ झलकता है विपक्ष भीड़ का ज्यादा था और समूह का कम. कांग्रेस नेताओं ने स्वीकार किया कि आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, क्रांतिकारी गोवा और निर्दलीय सहित पार्टियों के बीच विपक्षी वोट बंट गए.

मणिपुर: बढ़ती बीजेपी ने अपनी पकड़ बनाई

भाजपा का विकास: बीजेपी को 2017 में 21 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और वह उस समय कांग्रेस (27) से पीछे थी. तब पार्टी को राज्‍य में सरकार बनाने के लिए छोटे दलों के साथ गठबंधन करने की जरूरत थी. लेक‍िन इस बार भाजपा अब खुद ही ऐसा करने के लिए तैयार है. इस बार के नतीजे चुनाव शांति, विकास, स्थिरता के लिए ल‍िए किए गए वादों पर मुहर को द‍िखाते हैं.

केंद्र में सत्ता: पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य छोटे राज्यों की तरह, मणिपुर अक्सर केंद्र में सत्ता में रहने वाली पार्टी को वोट देता है. नई दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व में और संसाधनों की कमान के साथ मतदाताओं ने 2022 में पार्टी को एक आसान और सुरक्षित दांव के रूप में देखा.

गिनाए गए मुद्दे: कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 500 रुपये से कम रखने, नौकरी, 5 लाख परिवारों को मौद्रिक भत्ता, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 40% आरक्षण का वादा किया गया था. मतदाताओं ने भाजपा को चुना, जिनके राष्ट्रीय सुरक्षा, सेना कल्याण और धार्मिक पर्यटन के वादे उनके लिए अधिक मायने रखते थे.

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