Azadi Ka Amrit Mahotsav : राम प्रसाद बिस्मिल ने बनाई थी काकोरी कांड की योजना, ब्रिटिश सत्ता का विनाश ही था एकमात्र लक्ष्य

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Bismil

चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने अचानक असहयोग आंदोलन वापस लेने का ऐलान कर दिया. यह फैसला बेहद हैरान करने वाला था, खासकर उन युवा सेनानियों के लिए जो पूरे दम से इसे सफल बनाने में जुटे हुए थे, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां सरीखे क्रांतिकारियों को इससे बहुत चोट पहुंची. ऐसे में क्रांतिकारियों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का ऐलान कर दिया. क्रांतिकारियों को संगठित करने के लिए लाला हरदयाल, सोमदेव के सहयोग से राम प्रसाद बिस्मिल ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन यानी (HRA) की स्थापना की और अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए नई-नई योजनाएं बनाई जाने लगीं. काकोरी कांड भी इन्हीं योजनाओं का एक हिस्सा थी जो स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास की सबसे बड़ी घटना बन गई. इसकी योजना बनाने वाले राम प्रसाद बिस्मिल ही थे. वह हमेशा से ब्रिटिश सत्ता का विनाश चाहते थे, फांसी के तख्ते पर चढ़ने से ठीक पहले भी उन्होंने अपने इसी स्वप्न को दोहराया था. TV9 की इस खास सीरीज के माध्यम से हम उन वीर सेनानी को नमन करते हैं.

शाहजहांपुर में हुआ था जन्म, चंबल के बीहड़ में था पैतृक गांव

राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को शाहजहांपुर में हुआ था, इनके पिता का नाम मुरलीधर और माता का नाम मूलमती था. हालांकि बिस्मिल का पैतृक गांव बरबाई था जो चंबल के बीहड़ों के बीच स्थित है और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पड़ता है, इनके दादा नारायण लाल जी वहीं रहते थे. नौकरी के चलते पिता जी को शाहजहांपुर आना पड़ा था.

बचपन से रहा पढ़ाई पर जोर

राम प्रसाद बिस्मिल की शिक्षा पर बचपन से ही जोर दिया जाने लगा था, लेकिन इनका मन पढ़ाई में कम लगता था, उर्दू भाषा से मिडिल परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने की वजह से इन्होंने अंग्रेजी की पढ़ाई शुरू कर दी. इसी बीच इनकी मुलाकात स्वामी सोमदेव से हुई, जिन्होंने इन्हें आर्य समाज के बारे में जानकारी दी.

मैनपुरी षड्यंत्र कांड का बने हिस्सा

राम प्रसाद बिस्मिल बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों के थे, बहुत कम उम्र में ही उन्होंने मैनपुरी में क्रांतिकारी घटना को अंजाम दिया, यहां बिस्मिल की मातृवेदी संस्था और पंडित गेंदलाल दीक्षित के शिवाजी समिति का विलय हुआ था. पंडित गेंदालाल दीक्षित जी आगरा से हथियार लाते हुए पकड़े गए थे, उन्हें कैद किया गया, लेकिन वे वहां से भाग निकले थे. इसे ही बाद में मैनपुरी षड्यंत्र कांड का नाम दिया गया. इस कांड में शाहजहांपुर के 6 युवक शामिल थे, इनके लीडर राम प्रसाद बिस्मिल ही थे.

HRA का गठन

गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था, क्रांतिकारियों का मानना था कि अब अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र क्रांति की एकमात्र विकल्प है, ऐसे में 3 अक्टूबर 1924 को राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों ने मिलकर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन किया, बिस्मिल की शहादत के बाद यही संगठन HSRA यानी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के नाम से जाना गया.

काकोरी कांड की योजना

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोएिशन सशस्त्र क्रांति का ऐलान तो कर चुकी थी, लेकिन इसके लिए हथियारों की जरूरत थी, ऐसे में राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजों का खजाना लूटने की योजना बनाई और शाहजहांपुर से लखनऊ जा रही पैंसेजर ट्रेन को काकोरी में लूटकर अंग्रेजों को खुली चुनौती दी, इसमें अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र लाहिरी, ठाकुर रोशन सिंह, चंद्रशेखर आजाद समेत कई अन्य क्रांतिकारियों ने साथ दिया.

हुई गिरफ्तारी चला मुकदमा

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के प्रमुख राम प्रसाद बिस्मिल को पुलिस ने 26 अक्टूबर 1925 को गिरफ्तार कर लिया. अंग्रेजों ने शाहजहांपुर के बनारसी को सरकारी गवाह बनाया, बनारसी वही व्यक्ति था जो कभी राम प्रसाद बिस्मिल के साथ कपड़ों के व्यापार में साझीदार हुआ करता था. राम प्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा में इस बात का जिक्र है. 18 महीने तक चले मुकदमे के बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई.

पूरी की आत्मकथा, झूल गए फंदे पर

16 दिसंबर 1927 को राम प्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा के आखिरी अध्याय को पूरा कर परिवार को सौंप दिया, उसी दिन उनकी परिवार से आखिरी मुलाकात हुई. 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में उन्हें फांसी दे दी गई. ठीक उसी समय और उसी दिन उनके अभिन्न मित्र अशफाक उल्ला खां को फैजाबाद जेल में फांसी दी गई थी. देवरिया में बिस्मिल का समाधि स्थल है.

एक लेखक और कवि भी थे बिस्मिल

अपने क्रांतिकारी जीवन के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने कई किताबें लिखी और कई का अंग्रेजी-हिंदी में अनुवाद किया, हालांकि ब्रिटिश सत्ता के विरोध में होने की वजह से इन सभी किताबों पर पाबंदी लगा दी गई. उनके शौर्य को सम्मान देने के लिए 1997 में भारत सरकार की ओर से एक उन पर एक डाक टिकट जारी किया गया था.

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