प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर बने ‘राष्ट्रीय प्रतीक‘ का अनावरण किया. सेंट्रल विस्टा योजना के तहत तैयार हो रही संसद भवन की नई बिल्डिंग (New Parliament Building) की ऊंचाई लगभग 40 मीटर होगी, 42 मीटर ऊंचे इंडिया गेट से महज़ दो मीटर कम होगी. इस योजना के मुख्य वास्तुकार ने पहले बताया था कि सेंट्रल विस्टा योजना (Central Vista Project) के तहत बनने वाली किसी भी बिल्डिंग की ऊंचाई इंडिया गेट से ज्यादा नहीं होगी.
प्रोजेक्ट से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि ‘राष्ट्रीय प्रतीक’ (National Emblem) के बिना नई पार्लियामेंट बिल्डिंग की ऊंचाई 32 मीटर होगी. जबकि प्रतीक और उसके बेस के साथ इसकी ऊंचाई 39.6 मीटर तक पहुंच जाएगी. प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, राष्ट्रीय प्रतीक ब्रॉन्ज (कांस्य) से बना है. इसका कुल वजन 9500 किलोग्राम है. जबकि इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है. इसे नए संसद भवन के सेंट्रल रूम के टॉप पर बनाया गया है. राष्ट्रीय प्रतीक को सपोर्ट देने के लिए इसके आसपास करीब 6500 किलोग्राम वजन वाले स्टील की एक सहायक ढांचे का भी निर्माण किया गया है.
इंडिया गेट से ऊंची नहीं होंगी इमारतें
राष्ट्रीय प्रतीक की बनावट की रूपरेखा तैयार करने के लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई गई. इनमें क्ले मॉडलिंग, कंप्यूटर ग्राफिक्स, ब्रॉन्ज कास्टिंग और पॉलिशिंग शामिल हैं. सेंट्रल विस्टा योजना के भीतर बनने वाले नए संसद भवन और अन्य इमारतों पर जब चर्चा की गई थी. तब राजपथ के आसपास कई विशाल संरचनाओं का प्रपोज़ल रखा गया था. हालांकि सरकारी अधिकारियों ने इसपर आग के खतरे की चिंता जताई थी. एक सूत्र ने बताया कि उस दौरान यह भी तय किया गया था कि हर प्रस्तावित बिल्डिंग की ऊंचाई इंडिया गेट की ऊंचाई से एक इंच भी ज्यादा नहीं बनाई जाएगी.
सिर्फ राष्ट्रपति भवन का गुंबद इंडिया गेट से ऊंचा
इस समय सिर्फ राष्ट्रपति भवन का गुंबद इंडिया गेट से ऊंचा है, जिसकी उंचाई 55 मीटर के लगभग है. नई पार्लियामेंट बिल्डिंग को तैयार करने की परियोजना का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट को 971 करोड़ रुपये में सौंपा गया है. साल 2021 में कंपनी द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया था. इस टास्क को पूरा करने के लिए शामिल किए आर्टिस्ट्स में सुनील देवड़ा (49) भी शामिल थे. देवड़ा मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स के गोल्ड मेडलिस्ट मूर्तिकार हैं. उनके एक्सपीरियंस और काम करने के तरीके को देखते हुए उन्हें आर्टिस्ट की लिस्ट में शामिल किया गया था. देवड़ा ने कहा था कि उन्हें औरंगाबाद स्थित अपने स्टूडियो में मिट्टी का मॉडल तैयार करने में पांच महीने लगे, जिसे बाद में पैनल ने अपनी मंजूरी दे दी.