सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शहरी स्थानीय निकायों में चुनावों को अधिसूचित करने में देरी पर कल गुरुवार को नगालैंड सरकार (Nagaland Government) की जमकर खिंचाई की और राज्य चुनाव आयोग को दो हफ्ते के भीतर चुनाव के कार्यक्रम के बारे में अवगत कराने का निर्देश दिया. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि राज्य की ओर से हर स्तर पर महिलाओं के अधिकारों को बहाल रखने के प्रयास में देरी हुई है.
बेंच ने कहा, ‘जब मामला अदालत के समक्ष सूचीबद्ध होता है और सुनवाई शुरू होती है तब कुछ कदम उठाए जाते हैं. राज्य की विफलता के कारण अब राज्य चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना देर से जारी की जाएगी.’ बेंच मामले में 29 जुलाई को अगली सुनवाई करेगी.
देश की शीर्ष अदालत की बेंच ने मामले का निपटारा करने से इनकार कर दिया और कहा, ‘राज्य सरकार जिस तरह से काम कर रही है, उस पर हमें कोई भरोसा नहीं है.’ शीर्ष अदालत नगालैंड नगरपालिका (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 2006 की धारा 23ए और राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार नगालैंड में सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के लिए चुनाव कराने का अनुरोध करने वाले संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
राज्य सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं कीः याचिकाकर्ता
सुनवाई की शुरुआत में, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में संशोधन शुरू भी नहीं किया है क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार से चुनावों को अधिसूचित करने का अनुरोध किया है कि क्या यह किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें पर्याप्त समय देने के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता के एन बालगोपाल ने बेंच को सूचित किया कि वह इस मुद्दे में देरी नहीं कर रही है और सरकार ने मामले में अपनी प्रशासनिक मंजूरी दे दी है. हालांकि, बेंच ने देरी पर नाराजगी व्यक्त की और कहा, ‘आपने स्थानीय भावनाओं पर ध्यान नहीं दिया. आप 12 साल से महिलाओं के अधिकारों के साथ ऐसा व्यवहार करते रहे हैं. यह चौंकाने वाली स्थिति है.’
हवा बहुत धीमी गति से चल रहीः SC
बालगोपाल ने बेंच को बताया कि हाल में राज्य में दो महिला अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति की गई है और कहा, ‘हवा बदल रही है.’ हालांकि, बेंच ने कहा, ‘हवा बहुत धीमी गति से चल रही है. इसे और तेज चलने की जरूरत है.’
नगालैंड सरकार ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि वह नगर निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू करने पर सहमत हो गई है. सरकार ने कहा था कि नौ मार्च को हुई एक परामर्श बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें सभी हितधारक मौजूद थे.
शीर्ष अदालत ने पूर्व में राज्य के शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने में देरी पर नगालैंड सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि लैंगिक समानता का एक महत्वपूर्ण पहलू स्थगित होता प्रतीत हो रहा है. कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग द्वारा की गई शिकायत पर ध्यान दिया था कि राज्य सरकार स्थानीय निकाय चुनावों में इस्तेमाल के लिए संसदीय चुनाव की मतदाता सूची को अपनाने को लेकर कानून में बदलाव के संबंध में उसके अनुरोध का जवाब नहीं दे रही है.
इनपुट- एजेंसी/भाषा