
32 सालों का शानदार और गौरवपूर्ण सफर के बाद आईएनएस अजय रिटायर हो गया. इस युद्धपोत ने देश के लिए 32 साल तक अपनी सेवाएं दी. सोमवार को इसको सेवामुक्त कर दिया गया. इतने लंबे समय तक इंडियन नेवी का हिस्सा होने के कारण जब इसको रिटायर किया गया तो वो पल बेहद भावुक करने वाला था. आईएनएस अजय को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी गई. आईएनएस अजय ने करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान को धूल चटाई थी.
विदाई समारोह पारंपरिक तरीके से मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित किया गया था. जिसमें राष्ट्रीय ध्वज, नौसैनिक पताका और जहाज के डिमोशनिंग पेनेंट को आखिरी बार सूर्यास्त के समय उतारा गया था. भारतीय नौसेना के इस पोत P34 का नाम आईएनएस अजय नाम दिया गया था. लंबी दूरी के टॉरपीडो और पनडुब्बी रोधी रॉकेटों जैसे हथियारों से लैस होने के कारण आईएनएस अजय को ‘पनडुब्बी हंटर’ के नाम से भी जाना जाता था.
INS Ajay (P34) of 23rd Patrol Vessel Squadron, under the operational control of #FOMA, will be decommissioned at Naval Dockyard #Mumbai, on 19 Sep 22, after rendering 32 years of glorious service to the #IndianNavy.@DefenceMinindia@SpokespersonMoD@indiannavy@IndiannavyMedia pic.twitter.com/FxkumNN3YA
— Western Naval Command (@IN_WNC) September 16, 2022
23 वें पेट्रोल वेसल स्क्वाड्रन का हिस्सा
आईएनएस अजय को 24 जनवरी, 1990 को तत्कालीन यूएसएसआर में पोटी, जॉर्जिया में कमीशन किया गया था. महाराष्ट्र नेवल एरिया के संचालन नियंत्रण के तहत 23 वें पेट्रोल वेसल स्क्वाड्रन का हिस्सा था. जहाज 32 से अधिक वर्षों से सक्रिय नौसैनिक सेवा में था और अपनी शानदार यात्रा के दौरान, उसने कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार और 2001 में ऑपरेशन पराक्रम सहित कई नौसैनिक अभियानों में भाग लिया.
शानदार विदाई समारोह
अजय के विदाई समारोह में वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान समारोह के मुख्य अतिथि थे. जहाज के पहले कमांडिंग ऑफिसर वाइस एडमिरल एजी थपलियाल एवीएसएम बार (सेवानिवृत्त) विशिष्ट अतिथि थे. इस समारोह में 400 से अधिक कर्मियों ने भाग लिया जिनमें फ्लैग ऑफिसर, सेना, आईएएफ और सीजी के वरिष्ठ अधिकारी, कमीशनिंग क्रू के अधिकारी, पिछले कमीशन के चालक दल के साथ-साथ जहाजों के चालक दल और परिवार मौजूद थे.
आईएनएन अजय का गौरवशाली इतिहास
इसके साथ ही INS अजय का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. इस युद्धपोत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ करगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार और 2001-2002 के भारत-पाकिस्तान गतिरोध के ऑपरेशन पराक्रम शामिल हैं. दुश्मन द्वारा किसी भी दुस्साहस के खिलाफ देश की रक्षा के लिए 2017 में उरी हमले के बाद जहाज को फिर से समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था.
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