एक आत्मघाती हमलावर जिसे सेना ने पिछले महीने पकड़ा था, उसका कथित रूप से दिल का दौड़ा पड़ने से निधन हो गया है. सेना ने हमलावर के पकड़े जाने के बाद दावा किया था कि उसने भारतीय सेना को नुकसान पहुंचाने के लिए एक पाकिस्तानी कर्नल से धन प्राप्त किया था. आतंकी तबारक हुसैन ने पूछताछ में कबूल किया था कि उसे भारत में एक आत्मघाती मिशन पर भेजा गया था. सेना ने उसे कंधे और पैर में गोली लगने के बाद घायल अवस्था में गिरफ्तार किया था और उसका राजौरी के सेना अस्पताल में इलाज किया जा रहा था.
घुसपैठ की नाकाम कोशिश के दौरान तबारक को 21 अगस्त को नियंत्रण रेखा के पास झंगेर नौशेरा में घायल हालत में पकड़ लिया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के सबजाकोट के रहने वाले मिस्त्री मलिक का बेटा था. आतंकवादी ने पहले कहा था कि वो चार-पांच अन्य लोगों के साथ आया था और उसे भारतीय सेना को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी कर्नल कर्नल यूनुस द्वारा 30,000 रुपये दिए गए थे.
सेना के अधिकारियों ने अपना खून देकर बचाई थी जान
गोली लगने से उसकी हालत गंभीर बनी हुई थी. सेना के अधिकारियों ने कथित तौर पर आतंकवादी की जान बचाने के लिए उसे रक्तदान किया था. ब्रिगेडियर राजीव नायर ने कहा था, हमने उसे कभी आतंकवादी के रूप में नहीं सोचा. हमने उसकी जान बचाने के लिए किसी अन्य मरीज की तरह उसका इलाज किया. यह भारतीय सेना के अधिकारियों की महानता है जिन्होंने उन्हें अपना खून दिया, भले ही वो उनका खून बहाने आए थे. उनका ब्लड ग्रुप बहुत दुर्लभ था, ए नेगेटिव.”
घायल होने के बाद छोड़कर भाग गए थे साथी
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कोटली के सब्ज़कोट गांव के निवासी 32 वर्षीय तबारक हुसैन को रविवार को नौशेरा सेक्टर में गिरफ्तार किया गया था, जब उसके साथी उसे छोड़कर भाग गए थे. भारतीय सैनिकों ने घुसपैठियों को रोकने की कोशिश की थी जिसमें तबारक हुसैन घायल हो गया था और बाकी भागने में कामयाब रहे थे.
दोआब (Doab) किसे कहते हैं? और जानिए भारत के दोआब क्षेत्रों के बारे में