मोदी ने गुजरात को क्या दिया? पूछने वालों को उनके इन कामों को नहीं भूलना चाहिए

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PM Modi

गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के अपने शबाब हैं. सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार-प्रसार में झोंक दी है. ऐसे में चुनाव की तारीखों के एलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार तक करीब 23 रैलियां गुजरात में कर डाली. पीएम मोदी बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक तो हैं ही, परंतु वो कौन सी वजहें हैं जिसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दशकों से लगातार गुजरात के लोगों के दिलो दिमाग पर छाए हुए हैं और लगातार अविजित बने हुए हैं.

हम उन वजहों को जानने की कोशिश करेंगे जिसकी वजह से बीजेपी गुजरात में पिछले 27 सालों से अपना पैर जमाए बैठी हुई है. बीजेपी और पीएम मोदी द्वारा किए गए प्रमुख कामों में से उन 10 कामों को जानने की कोशिश करेंगे जिसकी वजह से गुजरात की पूरी राजनीति पीएम मोदी के इर्द-गिर्द सिमटता हुआ नजर आता है. आखिरकार पीएम द्वारा गुजरात में किए गए वो कौन से काम हैं जिसकी काट अबतक विपक्षी दलों के पास नहीं है.

नर्मदा नहर परियोजना और उसका विस्तार

गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती भूकंप से तबाह कच्छ और भुज में जीवन को पटरी पर लाना तो था ही, लेकिन उसके साथ ही एक और बड़ी समस्या और चुनौती मुंह बाए खड़ी थी सौराष्ट्र रीजन में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने की. गुजरात के लोग बताते हैं की पूरे कच्छ में धूल के आलावा कुछ नजर नहीं आता था. यहां तक की सीमा की रक्षा करने वाले जवानों के पीने का पानी भी ऊंटों से ढोकर लाना पड़ता था.

आज वही कच्छ हजारों टन आम निर्यात कर रहा है तो नर्मदा नदी का पानी पाइपलाइन के जरिए लोगों के घर घर तक पहुंच रहा है. सौराष्ट्र का ये समूचा इलाका ऊंचाई पर होने की वजह से पानी पहुंचना आसान नहीं था, लेकिन गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने टेक्नोलॉजी के सहारे वाटर लिफ्टिंग करवाया और आज वो पूरा इलाका खुशहाल और लहलहा रहा है.

सिर्फ गुजरात ही नहीं नर्मदा नहर परियोजना का लाभ राजस्थान के भी करीब 55 किलोमीटर तक के सीमावर्ती इलाके को मिल रहा है. पानी आमजन को मुहैया कराने के लिए सुरेंद्र नगर में करीब 20 मंजिल ऊंचाई तक लिफ्ट कराकर ले जाया गया. तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच बतौर मुख्यमंत्री, पीएम मोदी का ये एक ऐसा पहल था, जिसने पानी की संकट से जूझ रहे गुजरात के बड़े इलाके को खुशहाल और उर्वर बना दिया. इसके लिए जमीनी और मानसिक लड़ाई लड़नी पड़ी लेकिन जीत गुजरात के उस इलाके की जनता की हुई.

रोरो फेरी पैक्स सर्विस

नवंबर 2020 में शुरू किए गए रो रो सर्विस ने लाखों लोगों के जीवन पर असर डालती है. सूरत के हजीरा पोर्ट से भावनगर के घोघा बंदरगाह के बीच रोरो फेरी सर्विस की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी के पहल पर शुरू हो चुकी है. सूरत से सौराष्ट्र को जोड़ने वाली इस सर्विस से आम लोगों को समय के साथ साथ सहूलियत भी मिल रही है. लोगों को यह सुविधा मिलने के कारण घोघा से हजीरा तक का 12 घंटे का सफर जल मार्ग से महज 4 घंटे का रह गया है. पहले सूरत से सौराष्ट्र के सफर में सड़क मार्ग से जाने पर 10 घंटे का समय लगता था. हजीरा से घोघा के बीच सड़क मार्ग से दूरी 370 किलोमीटर है, जबकि जल मार्ग से मात्र 80 किलोमीटर रह गई है. इतना ही नहीं एक आंकड़े के मुताबिक इससे प्रतिदिन करीब 5000 लीटर पेट्रोलियम की बचत हो रही है.

स्कूली ड्रॉप आउट जीरो की तरफ ले जाना

गुजरात के प्राइमरी स्कूलों में ड्रॉप आउट को जीरो पर ले जाना नरेंद्र मोदी और बीजेपी की एक बड़ी सफलता है. 2002 में प्राइमरी स्कूलों में ड्रॉपआउट रेट 37.22% था, जो 2022 में 3.39% रह गया. गुजरात एक ऐसा राज्य रहा है जहां कन्वेंशनल एजुकेशन पर कमजोर रहा है, जबकि कमर्शियल एजुकेशन पर ज्यादा ध्यान रहा है. मोदी सरकार की लंबी रणनीति और लगातार कोशिश की वजह से सूबे में साइंटिफिक एजुकेशन खासकर फोरेंसिक यूनिवर्सिटी, चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी, एनर्जी यूनिवर्सिटी और लॉ यूनिवर्सिटी जैसे तमाम एजुकेशन को खुलवाकर राज्य पठन पाठन का माहौल बनाया गया है, ताकि राज्य के युवाओं को आकर्षित किया जा सके. 2014 मे केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से ही गुजरात को एजुकेशन हब बनाने की कोशिश की गई है.

देश का पहला स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सरदार बल्लभ भाई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स

पीएम मोदी के विजन के तहत गुजरात को नंबर वन स्टेट बनाए रखने के लिए अहमदाबाद में बहुत बड़ा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बनाया रहा है, जो 34 स्टेडियम का ये समूह होगा. भारत सरकार यदि बिड जीतती हैं तो 2036 में होने वाला ओलंपिक खेल सरदार वल्लभ भाई पटेल स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में ही होगा. इमसें अलग-अलग 18 खेलों के स्टेडियम होंगे. उस कॉम्पलेक्स का नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर रखा गया है. नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम उस कॉम्पलेक्स का एक छोटा सा हिस्सा है. गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी अहमदाबाद को स्पोर्ट्स हब बनाने की बात लगातार कर रही है.

गुजरात में धार्मिक स्थलों और पर्यटन को बढ़ावा

51 शक्तिपीठों में से एक पावागढ़ में मां काली पीठ पर इसी साल जून में ध्वजा पताका फहराया. साढ़े तीन हजार फीट ऊंचे पहाड़ की चोटी पर माता काली के दरबार में 500 सालों बाद ध्वजा पताका फहराकर प्रधानमंत्री ने गुजराती अस्मिता को मजबूत किया. यहां एक साथ 2000 श्रद्धालु दर्शन कर पाते हैं. 2017 से लगातार काम चल रहा था जिसके निर्माण में 125 करोड़ का खर्च किया गया. धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पावागढ़ मंदिर का इतिहास 500 सालों से भी पुराना है. 1540 में मुगल आक्रमणकारी मोहम्मद बेगड़ा ने पावागढ़ पर हमला कर मंदिर के शिखर को खंडित कर दिया था. मंदिर के शिखर को तोड़कर यहां सदानशाह पीर की दरगाह बना दी गई थी और तब से मंदिर का शिखर खंडित था.

इसी क्रम में अक्टूबर 2020 में गिरनार की पहाड़ी पर अंबाजी मंदिर में श्रद्धालुओं की यात्रा को आसान करने के लिए रोप वे का निर्माण किया गया. जिसके बाद गिरनार की तलहटी से अंबाजी तक की दूरी मात्र 7.5 मिनट में ही तय होने लगी है. पहले दर्शन के लिए 9999 सीढियां चढ़नी पड़ती थी. इसके आलावा दांडी कुटीर और डाकोर जी भगवान रणछोड़ जी जैसे तीर्थस्थलों का विकास किया गया है.

पशुधन हेल्थ का विकास डेयरी व्यवसाय में गुजरात का जलवा

पीएम मोदी के पहल पर गुजरात में किसानों को मजबूती देने और राज्य में डेयरी उद्योग को मजबूती देने के लिए पशुधन हेल्थ पर विशेष बल दिया गया है. राज्य का डेयरी उद्योग व्यवसाय 1 लाख करोड़ की सीमा पार कर गया है जिसमें महिलाओं की भागीदारी पहले से बढ़ी है. गुजरात देश का पहला राज्य है जहां मवेशियों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन शुरू किया गया. कैटरेक्ट के ऑपरेशन के आलावा गुजरात ही पहला राज्य है जहां पशुओं के डेंटल केयर के क्षेत्र में काफी तरक्की की गई है.

गुजरात देश का एक ऐसा राज्य है जहां पशुओं के लिए स्वास्थ्य कार्ड, पशु स्वास्थ्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है और मवेशियों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सुविधा भी बनाई गई. इसके अलावा गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रसिद्ध भैंस बन्नी के नस्ल में सुधार पर भी काफी काम किया जा रहा है. बन्नी भैंस का पहला आईवीएफ बछड़ा गिर सोमनाथ में पैदा हुआ है. इस तरह से दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए आनुवंशिक रूप से बेहतर भैंसों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है.

कच्छ के रण के धूल का फूल बनाया पीएम मोदी ने

“कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा” ये टैगलाइन और इसके पीछे की सोच गुजरात के पर्यटन उद्योग की कहानी बताने के लिए काफी है. दो दशक पहले गुजरात का कच्छ इलाका पिछड़ा इलाकों में शुमार था लेकिन पीएम मोदी ने जब से कच्छ के रण में रणोत्सव मनवाना शुरू किया पूरे इलाके का ही कायापलट हो गया. ये पीएम मोदी की देन है कि आज गुजरात का कच्छ पर्यटन के लिए अग्रणी इलाकों में शुमार है.

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और गुजरात गौरव

देश को एकता के सूत्र में पिराने वाले सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए देखा था, जो उनके पीएम बनने के बाद पूरा हुआ. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के प्रोजेक्ट की पूरे देश में चर्चा इसलिए भी हुई थी कि देश के प्रत्येक राज्य से मूर्ति के निर्माण के लिए लोहा भी इकट्ठा किया गया था. केवड़िया में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध से लगभग सवा तीन किलोमीटर दूर देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की विश्व प्रसिद्ध ऊंची मूर्ति की परिकल्पना और उसकी देश और दुनिया में ख्याति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात कनेक्ट की थ्योरी को और मजबूती देता है.

केवडिया में सरदार पटेल की मूर्ति से गुजराती अस्मिता और गौरव को मजबूती तो मिली ही, साथ ही आर्थिक रूप से उस इलाके के लोगों को टूरिज्म से बड़ा फायदा हो रहा है. लगभग 35 टूरिस्ट लगभग रोज वहां घूमने और दर्शन करने आते हैं.

एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क गुजरात में

बतौर मुख्यमंत्री 2012 में नरेंद्र मोदी ने एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा पार्क बनवाया था. गुजरात के पाटन में लगभग पांच हजार एकड़ में बने इस सौर ऊर्जा पार्क के प्लांट से 605 मेगावाट बिजली का उत्पादन क्षमता थी. नर्मदा नहर के ऊपर सोलर पैनल का जाल बिछाकर बिजली पैदा करने की शुरुआत भी मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी की परिकल्पना थी. आज गुजरात का मोढेरा गांव देश का पहला ऐसा गांव बन गया है जहां 100% सोलर एनर्जी से लोगों की जरूरतें पूरी की जा रही है.

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