सोशल मीडिया पर गलत और भ्रामक खबरों की जांच करने वाली पीआईबी फैक्ट चेक ने एक दिन पहले यू-ट्यूब चैनल की कई गलत खबरों को उजागर किया था. अब सरकार ने यूट्यूब से विभिन्न लोक कल्याणकारी पहलों के बारे में झूठे व सनसनीखेज दावे करने तथा फर्जी खबरें फैलाने के लिए तीन चैनलों पर रोक लगाने के लिए कहा है.
पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट ने मंगलवार को तीन चैनलों को फर्जी खबरें फैलाने वाला घोषित किया था. एक आधिकारिक सूत्र ने बुधवार को कहा, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब को तीन चैनलों आज तक लाइव, न्यूज हेडलाइंस और सरकारी अपडेट्स को हटाने का निर्देश दिया है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि आज तक लाइव इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़ा हुआ नहीं है.
एकदम झूठी खबर परोस रहे थे चैनल
न्यूज हेडलाइन यू-ट्यूब चैनल के एक वीडियो में दावा किया जा रहा था कि मुख्य न्यायाधीश के आदेशानुसार चुनाव बैलट पेपर से होंगे. जोकि बिल्कुल निराधार है. इस चैनल के वीडियो में दावा किया जा रहा था कि यूपी की 131 सीटों में दोबारा से चुनाव होगा. जबकि सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कोई मामला कभी आया ही नहीं. ये भी बिल्कुल गलत जानकारी है. इसके अलावा यू-ट्यूब चैनल के एक वीडियो में दावा किया जा रहा था कि मुख्य न्यायाधीश ने पीएम मोदी के खिलाफ कड़ी कारवाई की है और उन्हें दोषी घोषित किया है.
गलत तस्वीरों के साथ खबरें करते थे पोस्ट
एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि ये चैनल दर्शकों को गुमराह करने के लिए टीवी समाचार चैनलों और उनके प्रस्तोताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि यह यकीन दिलाया जाए कि उनके द्वारा साझा की गयी खबरें प्रामाणिक हैं. उसने कहा था, ये चैनल अपने वीडियो में विज्ञापन दिखाते और यूट्यूब पर भ्रामक सूचनाओं से वित्तीय लाभ हासिल करते भी पाए गए.
पीआईबी फैक्ट चेक ने खोली थी पोल
पीआईबी फैक्ट चेक ने कहा कि यूट्यूब पर ये तीन चैनल भारत के सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और कृषि ऋणों को माफ करने आदि के बारे में झूठी और सनसनीखेज खबरें फैलाते हैं. उन्होंने यह भी दावे किए कि सरकार उन लोगों को पैसे दे रही है जिन्होंने बैंक खाते खुलवाए, आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाए हैं. इन यूट्यूब चैनलों के लगभग 33 लाख सब्सक्राइबर हैं और इनके वीडियो को 30 करोड़ से अधिक बार देखा गया है.