देश की सियासत में एक और ‘किताब बम‘ ने धमाका कर दिया है. इन दिनों ऐसी ही एक किताब ने सियासी तूफान मचा रखा है. मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट सचिव रहे केएम चंद्रशेखर की किताब एज गुड एज माई वर्ड: ए मेमॉयर में कई विस्फोटक खुलासे हुए हैं. इन्हीं में एक के मुताबिक, यूपीए कार्यकाल में गैस की कीमतें तय करने के मामले में कथित रूप से मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ‘फेवर’ किया गया. इस सनसनीखेज दावे पर टीवी 9 भारतवर्ष ने केएम चंद्रशेखर से खास बातचीत की.
सवाल: आपने अपनी किताब में लिखा है कि गैस के दाम कम हो सकते थे. कम दाम में सरकार गैस खरीद सकती थी, लेकिन कॉरपोरेट घराने का दबाव था. उसकी सिफारिश के आधार पर समर्थन दिया गया. उसके बाद गैस के दाम बढ़ गए और बढ़े हुए दाम पर सरकार ने गैस खरीदी?
जवाब: मैं उस वक्त कैबिनेट सचिव था. तब ही ये सब शुरू हो गया था. मुझसे कहा गया कि रिपोर्ट बनाइए और मैंने पूरा पढ़ा. देखा कि कॉरपोरेट घराने ने ढाई डॉलर में टेंडर ले लिया था. उन्होंने एक समझौता भी किया था, पर एक नया फॉर्मूला आ गया. चार डॉलर से ज्यादा का और मैंने बोला कि ऐसे नहीं करना है.
वो कौन सी डील थी?
सवाल: सर कौन सी वो डील थी ? जिसके बारे में आपने किताब में लिखा? कौन सा कॉरपोरेट घराना था, जिसने गैस डील में UPA सरकार को प्रभावित किया?
जवाब: ये तो मैंने किताब में बताया. मुकेश अंबानी की डील थी.
तो अब ये खुलासे क्यों?
अब सवाल ये है कि इतने सालों बाद ही ये खुलासे क्यों किए गए, जबकि उस वक्त खुद केएम चंद्रशेखर कैबिनेट सचिव थे.
सवाल: आपने जो किताब लिखी, उस किताब में कई विवादित मुद्दे हैं. आपको किताब लिखते वक्त हिचक नहीं हुई? क्योंकि आप उस समय कैबिनेट सचिव थे और सारे ही पहलू आपके सामने थे.
जवाब: जो भी मैंने लिखा है वो न्यूट्रल हो कर लिखा, दोनों सरकारों के बारे में लिखा है. उसमें जानकर विवाद को जन्म नहीं दिया है, जो हुआ मैंने बस वही लिखा है. इसलिए नहीं लिखा कि ज्यादा कंट्रोवर्सी हो जाए, जो हुआ है उसे सच ही बोलना पड़ेगा.