धर्मांतरण के मामलों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक मुस्लिम संगठन की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और छह राज्यों से जवाब मांगा है. याचिका में अंतर-धार्मिक विवाह के कारण धर्मांतरण को रेगुलेट करने वाले राज्यों के कानूनों को चुनौती देने वाले 21 मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट इसपर सहमत हो गया है. मामले की अगली सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जज पी एस नरसिम्हा की पीठ ने अधिवक्ता एमआर शमशाद के माध्यम से दायर जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर नोटिस जारी किया और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को जवाब दाखिल करने को कहा.
मुस्लिम संगठन ने कहां से कितनी याचिकाओं को ट्रांसफर करने की मांग की?
- गुजरात हाई कोर्ट में लंबित तीन याचिकाओं
- इलाहाबाद हाई कोर्ट में पांच
- हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में तीन
- झारखंड हाई कोर्ट में तीन
- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में छह
- और कर्नाटक हाई कोर्ट में लंबित एक याचिका
पीठ ने कहा, इन याचिकाओं में नोटिस जारी करें, जिनमें स्थानांतरण याचिका सहित अब तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है.
अदालत याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई कर रही है, जिसमें उन दलीलों को भी शामिल किया गया है, जिनमें प्रलोभन या बल प्रयोग द्वारा कथित धर्मांतरण पर सवाल उठाया गया है और राज्यों के धर्मांतरण रोधी कानूनों की वैधता को चुनौती दी है. इसके अलावा, गुजरात और मध्य प्रदेश द्वारा दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें संबंधित हाई कोर्टों के अंतरिम आदेशों को चुनौती दी गई है. इन आदेशों के तहत धर्मांतरण पर राज्यों के कानूनों के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी गई थी.
कई पक्षों ने हलफनामे में दी गई दलीलों पर जताई थी आपत्ति
अदालत में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि पिछली सुनवाई में कई पक्षों ने अतिरिक्त हलफनामे में दी गई दलीलों पर आपत्ति जताई थी और इसलिए वह इसे वापस ले रहे हैं. एक पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि उपाध्याय ने न केवल अतिरिक्त हलफनामे में, बल्कि रिट याचिकाओं में भी आपत्तिजनक दलीलें दी हैं.
अदालत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगी
पीठ ने दातार से कहा, आप यहां अदालत के एक अधिकारी के रूप में उपस्थित हो रहे हैं. इसलिए, सुनिश्चित करें कि याचिका में भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया है. पीठ ने कहा कि याचिकाओं में अगर एक जैसे सवाल उठाए गए हैं तो अदालत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगी.
तीन हफ्ते बाद होगी सुनवाई
पीठ ने कहा कि उसने शुक्रवार को अंतिम दलीलें सुननी शुरू नहीं कीं, क्योंकि कई याचिकाओं में नोटिस जारी नहीं किए गए थे और सभी पक्षों के जवाब रिकॉर्ड में आ जाने के बाद मामले की सुनवाई शुरू होगी. पीठ ने इसके साथ ही सुनवाई को तीन सप्ताह बाद के लिए निर्धारित कर दिया.
भाषा इनपुट के साथ