देश में फास्ट ट्रैक कोर्ट की हालत अब धीरे-धीर आम कोर्ट की ही तरह हो गई है. देश के फास्ट ट्रैक कोर्ट में पिछले तीन साल में लंबित मामलों की संख्या में 40 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. 2020 के बाद से फास्ट ट्रैक कोर्ट में पेंडिंग पड़े मामलों की संख्या 10.7 लाख से 15 लाख पहुंच गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अब इन कोर्ट में भी मामलों की संख्या आम कोर्ट की तरह ही बढ़ती जा रही है. हालांकि, 2020 से लेकर 2022 का दौर कोरोना महामारी से भी प्रभावित रहा है, लेकिन केसों की भारी तादात की वजह से लोगों को न्याय मिलने में भी देरी होगी.
फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की जिम्मेदारी राज्य सरकार के कंधों पर होती है. इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से नाबालिगों के खिलाफ रेप और शोषण जैसे मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत सुनवाई और न्याय के लिए फास्ट ट्रैक विशेष असादलें भी हैं. इन दोनों अदालतों में पेंडिंग मामले खतरनाक रूप से बढ़ रहे हैं. इन दोनों अदालतों में केसों की संख्या करीब 2 लाख पहुंच गई है.
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