वैसे तो जब भारत आजाद हुआ था और धर्म के नाम पर देश का बंटवारा हुआ तभी से अलग खालिस्तान की मांग उठने लगी थी. लेकिन ये दबी थी. क्योंकि उस वक्त हालात अलग थे. खैर, 1984 ऑपरेशन ब्लूस्टार और ब्लैक थंडर सबने देखा. इसके बाद हालात सामान्य होने लगे थे. कभी-कभी खालिस्तान की मांग को लेकर थोड़ा बहुत सुनाई देता था मगर जैसे हालात आज हैं वैसे नहीं हुए थे. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थक दूतावासों पर हमला कर रहे हैं तो कहीं पर हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा है. भारत सरकार ने इस पर कड़ा रूख अख्तियार किया है. ऑस्ट्रेलिया प्रधानमंत्री के भारत दौरे के दौरान भी पीएम मोदी ने सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे को उठाया था. शनिवार को ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के दफ्तर में खुल खालिस्तानियों ने हमला कर दिया. भारतीय तिरंगे को नीचे उतारा गया. इसके बाद एक अधिकारी ने इसका विरोध किया. भारत ने ब्रिटिश हाई कमीशन को तलब भी किया. उनके अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि हम कड़ी कार्रवाई करेंगे. ये मामला शांत ही नहीं हुआ था अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित इंडियन कॉन्सुलेट के दफ्तर में तोड़फोड़ की गई. नई दिल्ली ने सबसे सीनियर यूएस डिप्लोमेट के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया. अमेरिकी अधिकारियों ने इस घटना की निंदा करते हुए आश्वस्त किया कि हम दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे.
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