BBMP बजट: बेंगलुरु की बुनियादी समस्याओं पर फोकस कम, मेगा प्रोजेक्ट्स पर अधिक

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बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) काउंसिल का कार्यकाल करीब 30 महीने पहले 10 सितंबर 2020 को समाप्त हो गया था. बीबीएमपी काउंसिल के चुनाव किसी न किसी बहाने बार-बार टाले जाते रहे हैं. कर्नाटक विधानसभा के चुनाव दो महीने दूर हैं और बीबीएमपी परिषद के चुनाव इस साल के अंत में होने हैं. इसलिए इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों द्वारा वार्षिक बजट आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर पेश किया जाता है.

बीबीएमपी की स्थापना 27 मार्च 1862 में की गई. निश्चित तौर पर उस वक्त इसका फॉर्मेट आज के विशाल नगरपालिका की तुलना में अलग था. तब से लेकर इसका कवरेज एरिया बढ़कर 740 वर्ग किलोमीटर से अधिक हो गया है, और जनसंख्या, राजस्व, व्यय, आदि सभी बढ़ रहे हैं.

बीबीएमपी का बजट पेश

दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से एक को नियंत्रित करने वाले प्राथमिक निकाय के लिए यह जरूरी है कि उसके कामकाज की जांच सभी नागरिकों द्वारा बारीकी से की जानी चाहिए. इस जांच के पहलुओं में से एक बीबीएमपी के 2023-24 के बजट को देखना है, जिसे बीबीएमपी के स्पेशल कमिश्नर (फाइनेंस) जयराम रायपुरा द्वारा गुरुवार को टाउन हॉल में पेश किया गया.

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बीबीएमपी की जिम्मेदारी

शहर की सफाई, स्वास्थ्य, लाइसेंसिंग, ज़ोनिंग व बिल्डिंग के नियम, व्यापार, सड़कें, फुटपाथ और शिक्षा बीबीएमपी की जिम्मेदारी है. लोगों के जीवन की गुणवत्ता से जुड़ी चीजें जैसे सार्वजनिक खुली जगहों, जल निकायों और पार्कों की देखभाल के अलावा और हरियाली बनाए रखना भी इसके दायरे में है.

यहां से होती है आमदनी

जहां तक बीबीएमपी को होने वाली आमदनी की बात है तो इसका जरिया संपत्ति कर, विज्ञापन, किराये और पट्टे की संपत्ति, लाइसेंसिंग और प्रमाणपत्र शुल्क, जुर्माना, विविध कर आदि हैं. इसके अलावा बीबीएमपी को विभिन्न मदों के तहत राज्य और केंद्र सरकारों से अनुदान और ऋण प्राप्त होते हैं. वेतन के अलावा आने-जाने, साफ-सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक सुविधाओं, आवास, कर्ज चुकाने, पर्यावरण आदि पर पैसा खर्च होता है.

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इस साल के BBMP बजट में बुनियादी ढांचे और मोबिलिटी से जुड़े अहम बिंदु:

  • लगभग 50,000 की आबादी वाले प्रत्येक वार्ड का परिसीमन का काम पूरा हो गया है. अब इसकी संख्या 198 से 243 हो गई है.
  • भविष्य में विकेंद्रीकरण का प्रस्ताव: 3 से 4 वार्ड मिलाकर सब-डिवीजन, कुछ सब-डिवीजन से डिवीजन और कुछ डिवीजन से जोन बनाना.
  • बीबीएमपी की संपत्ति जैसे दस्तावेज, नेमप्लेट, फेंसिंग आदि की सुरक्षा के मद में 40 करोड़ रुपये का प्रावधान.
  • बीबीएमपी के स्कूलों में स्मार्ट बोर्ड, लैब और खेल के मैदानों में सुधार के लिए 65 करोड़ रुपये आवंटित. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘बेंगलुरू पब्लिक स्कूल’ मॉडल अपनाया जा रहा है.
  • अमृता नगरोत्थान योजना के तहत 6,000 करोड़ रुपये की लागत से सड़कों, जल निकासी, झीलों, नए पार्कों, नए स्कूल भवनों आदि का विकास. इन कामों को मार्च 2023 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा.
  • 2023-24 के अंत तक राजकालुवे के पुनर्निर्माण का काम किया जाना है.
  • छोटी-बड़ी नालियों (पिलागालुवे) की मरम्मत और रखरखाव के लिए 55 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान है.
  • बीबीएमपी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली 183 झीलों में से 12 झीलों का विकास बड़े पैमाने पर 2023-24 के दौरान 35 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. स्लुइस गेट के लिए 15 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है.
  • गड्ढों से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए 2023-24 के दौरान ‘फिक्स माय स्ट्रीट’ ऐप का विस्तार किया जाएगा.
  • बीबीएमपी में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को 2022-23 में चालू किया जाएगा और 2023-24 के दौरान इसका विस्तार किया जाएगा.
  • मथिकेरे के पास गोकुला रोड पर छोटे फ्लाईओवर, जलाहल्ली में ओआरआर-पाइपलाइन जंक्शन, जयमहल रोड पर महकरी सर्कल, सदाशिवनगर पुलिस स्टेशन जंक्शन पर 2023-24 के दौरान योजना बनाई गई है.
  • 2023-24 के दौरान 150 किलोमीटर सड़क की व्हाइट-टॉपिंग का काम शुरू किया जाएगा.
  • शहर में 350 किमी मुख्य मार्ग और उप-मार्ग को सुनिश्चित लाइट-टेंडर मॉडल के आधार पर विकसित किया जाएगा.
  • सर एम विश्वेश्वरैया रेलवे टर्मिनल पर कनेक्टिविटी के लिए एलिवेटेड रोटरी फ्लाईओवर और सीमलेस कनेक्टिविटी फ्लाईओवर का निर्माण.
  • बीबीएमपी में शामिल 110 गांवों में बीडब्ल्यूएसएसबी द्वारा खुदी गई सड़कों का पुनर्निर्माण.
  • यशवंतपुरा रेलवे स्टेशन से न्यू बीईएल रोड तक इंटीग्रेटेड ओवर ब्रिज का निर्माण.
  • 75 प्रमुख जंक्शन विकसित किए जाएंगे.
  • 60 फीट से कम चौड़ाई वाली भारी ट्रैफिक वाली सड़कें विकसित करने के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान.
  • कुल 9 सिगनल फ्री कॉरिडोर, फ्लाईओवर/ग्रेड सेपरेटर विकसित करने के लिए अतिरिक्त अनुदान. इनमें तुमकुरु रोड से नयनदहल्ली, वेस्ट ऑफ कॉर्ड रोड से कुरुबरहल्ली, आरआर नगर से मगदी रोड, यशवंतपुरा रेलवे स्टेशन के पास अंडरब्रिज, बन्नेरघट्टा रोड का चौड़ीकरण, विल्सन गार्डन और येलहंका में ग्रेड सेपरेटर, हुडी जंक्शन पर फ्लाईओवर, आईटीपीएल-बिग बाजार जंक्शन और होप- खेत, मिनर्वा जंक्शन, ओल्ड मद्रास रोड पर सुरंजन दास जंक्शन शामिल हैं.
  • 2023-24 के दौरान महिलाओं के लिए आवश्यक सुविधाओं वाले 250 शी-टॉयलेट का निर्माण किया जाएगा.
  • प्रत्येक वार्ड को नालों से गाद निकालने के लिए 30 लाख रुपये, गड्ढे भरने के लिए 15 लाख रुपये, फुटपाथ रखरखाव के लिए 25 लाख रुपये, मानसून कंट्रोल रूम स्थापित करने के लिए 5 लाख रुपये और अन्य सिविल वर्क्स के लिए 125 लाख रुपये मिलते हैं, यानी कुल 2 करोड़ रुपये प्रति वार्ड खर्च किए जाते हैं.
  • कुल आठ स्लम एरिया में पुनर्विकास का काम शुरू किया जाएगा.
  • सोडियम लैम्प की जगह एलईडी लगाने के लिए 17.25 करोड़ रुपये आवंटित, 2023-24 के दौरान सभी बीबीएमपी इमारतों पर सोलर रूफटॉप लगेंगे.
  • वायु प्रदूषण कम करने के लिए 75 मुख्य चौराहों पर फाउंटेन और फ्लाईओवर के नीचे और गलियारों के किनारे पार्क बनाए जाएंगे.
  • बेंगलुरू को और अधिक टूरिस्ट-फ्रेंडली बनाने के लिए, केम्पंबुधि झील, संकी झील और उल्सूर झील के आसपास के क्षेत्र में तीन नए टूरिस्ट सर्किट का निर्माण.
  • फव्वारे, खेल के मैदान, फूड कोर्ट और खुले क्षेत्रों के साथ रिहायशी इलाकों में 10 नए सिटी प्लाजा का निर्माण.

कुल प्राप्तियां: 11,163.97 करोड़ रुपये

कुल खर्च: 11157.83 करोड़ रुपये

सरप्लस: 6.14 करोड़ रुपये

जानिए क्या है कागजों में और क्या है हकीकत?

पिछले महीने हमारे सामने केंद्रीय बजट, उसके राज्य का बजट और शुक्रवार को बीबीएमपी बजट पेश किया गया. सभी बजटों की तरह यह भी कागजों पर अच्छा दिखता है. इस बजट में बेंगलुरू को परेशान करने वाले कुछ मुद्दों जैसे ट्रैफिक जाम और बाढ़ आदि पर ध्यान दिया गया है. हालांकि जब हकीकत की बात आती है तो यह हमेशा कागजी बातों से परे होता है. कुछ परियोजनाएं लंबित हैं. सर एम विश्वेश्वरैया रेलवे टर्मिनल के लिए सड़क संपर्क का निर्माण इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. विभिन्न एजेंसियों द्वारा फाइलों में काम करने के दिन अब लद गए हैं.

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शहर के नागरिक निकाय के तौर पर बीबीएमपी पर रेलवे, बीएमआरसीएल, बीएमटीसी, ट्रैफिक पुलिस, बीईएससीओएम, बीडब्ल्यूएसएसबी जैसे सभी हितधारकों और एजेंसियों के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी है. उसे प्रभावी तरीके से परियोजनाओं का कार्यान्वयन भी सुनिश्चित करना है.

ट्रैफिक जंक्शन का हाल

बेंगलुरू में ज्यादातर ट्रैफिक जंक्शन दशकों पहले और बहुत कम ट्रैफिक की आवाजाही के लिए डिजाइन किए गए थे. आज उनमें से कई को फिर से डिजाइन करने की जरूरत है. ट्रैफिक की आवाजाही को बेहतर बनाने और कहीं भी आने-जाने के समय को कम करने के लिए बीबीएमपी लीक से हटकर बदलाव करना होगा. बेंगलुरु में वाहनों की औसत गति बेहद कम है.

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दुनिया के दूसरे सबसे भीड़भाड़ वाले शहर होने का टैग इसे मिला हुआ है. ऐसे में इस समस्या को जितनी जल्दी हो सके दूर करने की जरूरत है. बेहतर होता यदि बीबीएमपी सार्वजनिक डोमेन में जंक्शनों के प्रस्तावित बदलावों को रख सके, नागरिकों से सुझाव/इनपुट मांगे और फिर समयबद्ध तरीके से काम को आगे बढ़ा सके.

काम की गुणवत्ता को लेकर सवाल

बीबीएमपी के काम की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि वह काम बढ़ाने के लिए बहुत कुछ छोड़ देता है. ज्यादातर गड्ढे खराब गुणवत्ता, सामग्री और कारीगरी के कारण भी होते हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीबीएमपी कम से कम प्रमुख कार्यों के लिए संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के नामों को शुरू करने से इनकार करता है. खराब क्वॉलिटी की सामग्री और कारीगरी के कारण ज्यादातर गड्ढे बनते हैं. दुर्भाग्य की बात है कि बीबीएमपी कम से कम प्रमुख प्रोजेक्ट्स से संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के नामों को जाहिर करने से इनकार कर देता है.

फिलहाल हम जो देख रहे हैं वह यह है कि बिल्कुल नई सड़कें और फुटपाथ भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं. नतीजतन धीमी गति से ट्रैफिक की आवाजाही और दुर्घटनाएं हो रही हैं. जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों की पहचान को लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है. केवल दोषी लोगों के नाम जाहिर करने का कदम उठाने शहर का बेहतर विकास हो सकता है.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना जरुरी

जहां तक आवाजाही की बात है तो फ्लाईओवर से ज्यादा जरूरी है पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना. नगरपालिका पूरे शहर में बीएमटीसी फीडर सेवाओं को सब्सिडी देने के लिए धन निर्धारित कर सकती थी. यह बीएमटीसी, बीबीएमपी और खासतौर पर जनता के लिए सुखद स्थिति होती. क्या तब भी फ्लाईओवर, सड़कों को चौड़ा करने की जरुरत होगी? फुटपाथ की क्षमता बढ़ाना और साइकिल चालकों के लिए जगह देना बेहद महत्वपूर्ण हैं और बीबीएमपी ने इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ करने का एक और अवसर गंवा दिया है. पूरे शहर में फुटपाथ, पेड़ और खंभों पर लटके सैकड़ों बेतरतीब केबलों की समस्या को पूरी तरह से और लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है.

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स्ट्रीट लाइट्स का रखरखाव दयनीय

जीरो डार्क स्पॉट के साथ सड़कों पर लाइट की उचित व्यवस्था से शहर के लोग सुरक्षित महसूस करते हैं. इस मामले में हकीकत कुछ और ही है. एलईडी लाइट्स बिजली बचाती हैं, लेकिन उनकी चमक का लेवल खराब है और स्ट्रीट लाइट्स का रखरखाव दयनीय है.

असली सत्ता नागरिकों से दूर

जहां तक समयबद्ध तरीके से शिकायतों का निपटारा करने की बात है तो इस मामले में किसी भी तरह की जवाबदेही नहीं है. ऐप ठीक से काम नहीं करते हैं, कोई भरोसेमंद फीडबैक सिस्टम नहीं है और कई मामलों में अधिकारियों का तबादला एक आंतरिक मामला है. इस वजह से बीबीएमपी का संपर्क नागरिकों से टूट जाता है. बीबीएमपी में लगातार तीन साल से कोई जनप्रतिनिधि नहीं होने से जवाबदेही पीछे छूट गई है. वार्ड समितियों का कामकाज संतोषजनक स्तर से भी नीचे है. कुल मिलाकर कोई जवाबदेही नहीं है, और असली सत्ता नागरिकों से दूर होती जा रही है.

बीबीएमपी बजट कागज पर अच्छा

कुल मिलाकर बीबीएमपी बजट कागज पर अच्छा लग सकता है, इसे लगना भी चाहिए. लेकिन इसमें पारदर्शिता, जवाबदेही, गुणवत्ता, लीक से हटकर सोच, प्रभावी कार्यशैली, शहर से जुड़े मामलों में लीडरशिप, मध्यम से लंबी अवधि के समाधान जैसी बातें नहीं हैं. इन सबके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ध्यान न देना भी निराशाजनक है.

इनपुट- राजकुमार दुगर

(डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में व्यक्त विचार अकेले लेखक के हैं)

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