
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शुक्रवार को एक खास कार्यक्रम में शामिल हुए. ये कार्यक्रम ओडिया जाति के जनक के रूप में माने जाने वाले उत्कल गौरव मधुसूदन दास की 175वीं जयंती के मौके पर आयोजित किया गया था. ‘सालेपुर महोत्सव-2023 एवं उत्कल ग्लोरम मधु जयंती’ के नाम से कार्यक्रम ओडिशा के कटक जिले के सालेपुर में आयोजित हुआ. धर्मेंद्र प्रधान ना सिर्फ कार्यक्रम में शामिल हुए, बल्कि उन्होंने लोगों की भारी भीड़ के बीत भव्य रोड शो भी निकाला.
इसके बाद उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित भी किया और उत्कल गौरव को मॉर्डन ओडिशा के निर्माता और आधुरिक विचारकों में से एक बताया. दरअसल ये कार्यक्रम उत्कल गौरव मधुबाबू जयंती कमेटी ने आयोजित किया था. उन्होंने बताया कि अलग ओडिशा राज्य का गठन करने में उनकी अहम भूमिका थी. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने पर खुशी जताते हुए स्थानीय लोगों के प्यार, सम्मान और आशीर्वाद के लिए उन्हें धन्यवाद कहा.
ସ୍ୱୟଂ ପାଇଁ ନୁହେଁ, ସମୂହଙ୍କ ପାଇଁ ସ୍ୱପ୍ନ ଦେଖିବା ।
ସାଲେପୁରବାସୀଙ୍କୁ ଧନ୍ୟବାଦ ।pic.twitter.com/yGoE32a3q0
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) April 28, 2023
सबका साथ, सबका विश्वास
Thank you Salipur for the outpouring of love!
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— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) April 28, 2023
ସେ କେବଳ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର ଉତ୍କଳ ପ୍ରଦେଶ ଗଠନର ବରେଣ୍ୟ କର୍ଣ୍ଣଧାର ନଥିଲେ ବରଂ ମଧୁବାବୁ ଏକ ବିଚାର, ସ୍ପନ୍ଦନ, ଅଭିମାନ, ସ୍ୱାଭିମାନ ଓ ଜୀବନ ବଞ୍ଚିବାର ଏକ ପ୍ରତୀକ । pic.twitter.com/7PncQn0v2Y
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) April 28, 2023
‘सालेपुर पर्व सामाजिक लोक पर्व’
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने इस कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें और वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है जिसमें वह कार्यक्रम में शामिल होने के साथ-साथ भव्य रोड शो निकालते हुए भी नजर आ रहे हैं. इस कार्यक्रम में सैंकड़ों लोगों ने शिरकत की. इस दौरान वह धर्मेंद्र प्रधान के कहने पर फोन की लाइट से अंधेरे में रोशनी करते नजर आए. धर्मेंद्र प्रधान ने सालेपुर पर्व को सामाजिक लोक पर्व बताया और ऐसे हर्ष और उल्लास हमेशा बने रहने की प्रार्थना की.
धर्मेंद्र प्रधान ने याद किए उत्कल गौरव के योगदान
इसी के साथ धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि उत्कल गौरव ने ओडिशा के सामाजिक और औद्योगिक विकास में क्रांति लाने वाले सम्मिलनी की स्थापना की थी. इसके अलावा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शिक्षा, औद्योगीकरण, ग्रामीण विकास और श्रम सुधारों में भी अहम योगदान दिया.वह न केवल अलग उत्तर प्रदेश के गठन के नेता थे बल्कि वह न्याय, स्पंदन, गर्व, चरित्र और जीवन के प्रतीक हैं.
उन्होंने खुद को उड़िया जाति, उड़िया भाषा के वक्ता और उड़िया संस्कृति के एक हिस्से की जिम्मेदारी के रूप में मधुसूदन दास के विचारों और कार्यों से प्रभावित बताया. उन्होंने कहा, प्रख्यात साहित्यकार सुरेंद्र मोहंती स्वाविमणि ने मधुबाबू को ‘सदी का सूरज’ करार दिया है. आज मुझे सदी के सूरज की कुछ किरणें पाने का सौभाग्य मिला. कार्यक्रम में उन्होंने कई प्रतिभावान व्यक्तियों को सम्मानित करने पर भी खुशी जाहिर की.
ଓଡ଼ିଆ ଗର୍ବ, ଗୌରବ ଏବଂ ଓଡ଼ିଆ ଅସ୍ମିତାର ଜ୍ୱଳନ୍ତ ପ୍ରତୀକ ଥିଲେ ମଧୁବାବୁ । ଓଡ଼ିଆ ଭାଷାଭାଷୀ ଅଞ୍ଚଳଗୁଡ଼ିକୁ ଏକାଠି କରିବା ପାଇଁ ତାଙ୍କର ଅବଦାନ ଥିଲା ସବୁଠୁ ଅଧିକ । pic.twitter.com/sYoZKOwrsZ
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उन्होंने ट्वीट किया, वयोवृद्ध संत कुलब्रद्ध मधुसूदन दास की आज 175वीं जयंती है. इस पावन अवसर पर युगपुरु की पावन जन्मभूमि कटक जिले के सातवमपुर से सालेपुर में आयोजित “सालेपुर महोत्सव-2023 एवं उत्कल ग्लोरम मधु जयंती” कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आना मेरे लिए अत्यंत हर्ष की बात है.
‘उड़िया जाति के उत्थान में उत्कल गौरव ने खुद को किया समर्पित’
धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक न्यू यूटा के विजन को साकार करने में उत्कल गौरव का योगदान अवर्णनीय है. उन्होंने खुद को उड़िया जाति और सभ्यता के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. स्वरोजगार और स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन के लिए उत्कल टेनरी की स्थापना ओडिशा में की गई थी. धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि मधुबाबू रूढ़िवादी गौरव, गौरव और रूढ़िवादी गौरव के ज्वलंत प्रतीक थे. ओरोडी भाषी क्षेत्रों के एकीकरण में उनका योगदान सबसे बड़ा था.
धर्मेंद्र प्रधान ने दावा किया कि मोदी सरकार ओडिशा के इतिहास में मधुबाबू जैसे गुमनाम सेनानियों के बलिदान, कल्पना और वीरता को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्रीय मंत्री का कहना है कि विकास, परिवर्तन, समाज का प्रवाह एक दिन में नहीं होता, अचानक सूरज उगता है और नया इतिहास बनता है. आज नया इतिहास बनाने का समय है. उन्होंने अपने लिए नहीं बल्कि समूह के लिए सपने देखे थे. मेरे मन में दृढ़ विश्वास है कि 21वीं सदी में हमारा देश, हमारा समाज मधु बाबू को दुनिया की सबसे बड़ी शख्सियत बनाएगा. महान रोल मॉडल.