भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान की हेकड़ी निकाल दी है. दरअसल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को बताया कि 62 साल पुराने सिंधु जल संधि की समीक्षा और संशोधन को लेकर दो महीने पहले भेजे गए नोटिस का पाकिस्तान ने जवाब दे दिया है. बागची ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने तीन अप्रैल को एक पत्र भेजा है, जिसे सिंधु जल आयुक्त ने अपने भारतीय समकक्ष को लिखा है. प्रवक्ता ने कहा कि हम इस पत्र पर गौर कर रहे हैं और अपने पक्षकारों के साथ परामर्श करेंगे. गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान ने नौ सालों की बातचीत के बाद 1960 में सिंधु जल संधि पर साइन किये थे. इस संधि पर साइन करने वालों में विश्व बैंक भी शामिल था. वहीं भारत ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए 25 जनवरी को उसे नोटिस भेजा था. ये भी पढ़ें: Pakistan Economic Crisis: पनडुब्बी भी बनी खिलौना, किसी में बैटरी नहीं तो नई में इंजन गायब, ग्रीस भी गुर्राया सिंधु जल संधि पर भारत के पत्र का जवाब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को पुष्टि की कि उसने सिंधु जल संधि पर भारत के पत्र का जवाब दिया है. मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान संधि को लागू करने और अपनी जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक उसने अपने पत्र में कहा है कि इस संधि को लेकर भारत की जो भी चिंता है, वह उस पर ध्यान देने के लिए तैयार है. ये भी पढ़ें: भारत से संबंध बहाल करना चाहते थे जनरल बाजवा! पूर्व पीएम इमरान खान ने किया दावा भारत कर सकता है पानी इस्तेमाल बता दें कि इस संधि के मुताबिक भारत बिना रोकटोक के पूर्वी नदियों का पानी इस्तेमाल कर सकता है. भारत से जुड़े प्रावधानों के तहत रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के पानी का इस्तेमाल परिवहन, बिजली और कृषि के लिए करने का अधिकार उसे (भारत को) दिया गया. ये भी पढ़ें: Kerala: जी20 के डेवलपमेंट वर्किंग ग्रुप की बैठक शुरू, 150 देशों के डेलीगेट्स ले रहे हिस्सा अपने रुख पर अड़ा था पाकिस्तान ऐसा माना जा रहा है ति भारत ने यह नोटिस किशनगंगा और रातले पनबिजली परियोजनाओं से जुड़े मुद्दे पर मतभेद के समाधान को लेकर पाकिस्तान के अपने रुख पर अड़े रहने के मद्देनजर भेजा गया है. भारत ने यह नोटिस सिंधु जल संधि के अनुच्छेद 12 (3) के प्रावधानों के तहत भेजा था. ये भी पढ़ें: Gurkha Veterans: हिरासत-हथकड़ी और निर्वासन की धमकी 13 गोरखाओं के साथ UK में बदसलूकी, जानें पूरी कहानी
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