नई दिल्ली. तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने वाले और इसकी वजह से एक व्यक्ति की जान लेने वाले शख्स की सजा 2 साल से कम करके पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 8 महीने कर दी थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए दोषी की सजा को पहले की तरह बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट की ओर से दोषी की पीड़ित परिवार को 25 हजार रुपये देने की बात पर 2 साल की सजा को कम करने का मामला अनुचित सहानुभूति का है. सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच कर रही थी. मंगलवार को बेंच ने यह ऑर्डर पास किया है. यह भी पढ़ें: होशियारपुर में ही छिपा है Amritpal Singh, करीबी जोगा सिंह गिरफ्तार, अमृतसर में भारी प्रदर्शन दरअसल पंजाब सरकार ने कोर्ट में दी गई अपील में कहा था कि इसे कायम नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि यह अनुचित सहानुभूति का मामला है. केस में दोषी पाए गए दिल बहादुर ने नरमी बरतने की अपील की थी. बहादुर ने अपनी अपील में कहा था कि वह प्रोफेशन से ड्राइवर है और उसे अपने परिवार की देखरेख करनी है. ट्रायल कोर्ट ने बहादुर को तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी.जब यह केस हाई कोर्ट पहुंचा तब तक बहादुर 7 महीने 15 दिन की सजा काट चुका था. हाई कोर्ट ने उसकी सजा को कम करते हुए 8 महीने कर दिया जिसमें उसके द्वारा काटी गई सजा को भी शामिल किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की सजा को बरकरार रखते हुए कहा है कि अप्रैल 2017 में हाई कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था वह निचली अदालत द्वारा दी गई सजा में हस्तक्षेप करना है. कोर्ट ने कहा कि दोषी के प्रति सहानुभूति दिखाना अस्थाई है, यह फैसला रद्द किए जाने और अलग रखे जाने के योग्य है. दो जजों की बेंच ने दोषी को 4 हफ्तों के अंदर सरेंडर करने को कहा है. इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि बेंच को हमेशा क्राइम और पनिशमेंट समानता रखना जरूरी है. यह भी पढ़ें: क्या है सरबत खालसा, जिसकी आड़ में बचने की कोशिश कर रहा अमृतपाल सिंह?
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