भोपाल। भारत में पहली बार एम्स भोपाल में मृतक शरीर में स्पर्म को लेकर शोध किया जा रहा है। मृत्यु के बाद हार्ट, किडनी, लीवर जैसे अंग कुछ ही घंटों में काम करना बंद कर देते हैं. मृत्यु के 18 घंटे तक मनुष्य के शरीर का स्पर्म जीवित रहता है। शोध के दौरान यह उजागर हुआ है। शोधार्थियों के अनुसार इससे गर्भधारण भी संभव है।
एम्स भोपाल के जो प्राथमिक नतीजे सामने आए हैं। उसकी रिपोर्ट आईसीएमआर को भेजी जा रही है। इस शोध पर एम्स के फॉरेंसिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राघवेंद्र विदुआ, डॉ अनीता अरोरा, एडिशनल प्रोफेसर पैथोलॉजी डॉक्टर अश्वनी टंडन सहित दो दर्जन जूनियर रिसर्च फेलो इस पर 1 साल से काम कर रहे हैं।
एम्स में अभी तक 60 मृत शरीर पर शोध किया गया है। स्पर्म को लेकर इनके नतीजे बड़े उत्साहजनक रहे हैं। शोधार्थी और भी कई बिंदुओं पर अभी जांच कर रहे हैं। नतीजे आने में 2 साल का समय और लग सकता है।
शोधार्थियों ने स्पर्म को -80 डिग्री पर फ्रीज किया है। इसके बाद इसे सामान्य तापमान पर रखा गया। इस तरह स्पर्म को 5 दिनों तक जीवित रखा गया है।
शोध के मुख्य बिंदु –
मृत शरीर में स्पर्म कब तक जीवित रह सकता है।
भारतीय समाज में परिवार की फीमेल के लिए इस व्यवस्था की कितनी स्वीकार्यता है।
व्यक्ति की मौत के कितने समय बाद तक स्पर्म गतिशील रह सकते हैं। स्पर्म की संख्या कितने समय में कम होना शुरू होती है,और किस रफ्तार से घटती है।
प्रिजर्वेशन तकनीकी को बेहतर बनाकर स्पर्म बैंक बनाया जा सकता है?
उपरोक्त बिंदुओं पर एम्स के शोधार्थी काम कर रहे हैं। प्रथम चरण में 18 घंटे तक मृत शरीर में स्पर्म जीवित रहता है। इसे 5 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यह परिणाम से स्पष्ट हुआ है।
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