कर्नाटक : राज्‍य के ह‍िंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने जैसी घोषणाओंं से क्‍या अपनी छव‍ि मजबूत कर रहे हैं सीएम बोम्मई ?

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Basavaraj Bommai

कर्नाटक सरकार बीते द‍िनों राज्‍य में नया धर्मांतरण कानून लेकर आई थी. ज‍िसमें धर्मांतरण कराने वाले लोगों के ख‍िलाफ सख्‍त सजा और जुर्माने का प्रावधान क‍िया गया है. इसके एक सप्‍ताह बाद मुख्‍यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक अहम घोषणा की है. ज‍िसके तहत मुख्‍यमंत्री बोम्‍मई ने कहा है क‍ि उनकी सरकार राज्‍य के ह‍िंदू मंद‍िरों को सरकारी न‍ियंत्रण से मुक्‍त करेगी. ज‍िसके ल‍िए मुख्‍यमंत्री बोम्‍मई ने अगले विधानसभा सत्र में एक व‍िधेयक लाने की घोषणा की है.

क्‍या ऐसी घोषणाओं से बोम्‍मई अपनी छव‍ि मजबूत कर रहे हैं ?

धर्मांतरण कानून के बाद मंद‍िरों को सरकारी न‍ियंत्रण से मुक्‍त कराए जाने की घोषणा के बाद ऐसी चर्चाएं चलने लगी हैं क‍ि मुख्‍यमंत्री बोम्‍मई ऐसे कदमों से राज्‍य में अपनी छव‍ि मजबूत करने में जुटे हुए हैं. असल में कर्नाटक में 2023 में व‍िधानसभा चुनाव प्रस्‍ताव‍ित हैं. तो वहीं बोम्‍मई को पूर्व मुख्‍यमंत्री येदियुरप्पा की जगह पर मुख्‍यमंत्री बनाया गया है. ऐसे में कई बार यह अटकलें लगती रही हैं क‍ि बीजेपी आलाकमान बोम्‍मई की मुख्‍यमंत्री पद से व‍िदाई करने जा रहा है. ऐसे में राजनीत‍िक व‍िश्‍लेषकों का कहना है क‍ि ऐसी घोषणाओं से जहां वह राज्‍य के ह‍िंदू मतदाताओं के बीच अपनी छव‍ि मजबूत करते जा रहे हैं, तो वहीं साथ ही ऐसी घोषणाओं से वह अपने व‍िरोधि‍यों को संदेश देते हुए बीजेपी संगठन में भी अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं.

अभी सरकारी व‍िभागों के न‍ियत्रण में मंदि‍र, नए व‍िधेयक से मंद‍िर प्रबंधन को अधिकार देने की तैयारी

वर्तमान में राज्य के हिंदू मंदिर विभिन्न प्रकार के सरकारी नियंत्रण में हैं. ज‍िसके तहत राज्‍य के ह‍िंंदू मंद‍िरों को मुजराई विभाग और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के अधीन रखा गया है. यह व‍िभाग नौकराशाहों के अधीन संचाल‍ित होते हैं. 2020-21 में मुजराई विभाग ने राज्य भर में मंदिरों के विकास के लिए 208.29 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी. ज‍िसमें से सबसे ज्यादा 15.33 करोड़ रुपये पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के गृह जिले के ल‍िए आवंटि‍त क‍िए गए थे. वहीं बुधवार को मुख्‍यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा है क‍ि वह नए व‍िधेयक के माध्‍यम से हम मंदिर प्रबंधन को मंद‍िर के विकास और देखभाल का अधिकार देंगे.

कर्नाटक में 34 हजार से अधिक ह‍िंदू मंद‍िर,  तीन श्रेणियों में बांटा गया

कर्नाटक राज्‍य में 34,563 मंदिर हैं, ज‍िनका न‍ियंत्रण वर्तमान में मुजराई विभाग और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के अधीन है. वहीं राज्‍य सरकार ने सभी मंदिरों को तीन श्रेण‍ियों में बांटा हुआ है, ज‍िसके तहत मंद‍िरों से प्राप्‍त होने वाले राजस्‍व के आधार पर उन्‍हें ए, बी और सी श्रेणी में रखा गया है. राज्‍य सरकार ने ए श्रेणी में 205 मंद‍िरों को रखा है. ए श्रेणी में सभी वह मंदि‍र हैं, जो सालाना 25 लाख रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्‍त करते हैं. इसके बाद बी श्रेणी के तहत 139 मंद‍िर हैं, जो 5 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच सालाना राजस्व प्राप्‍त करते हैं. इन सबके बाद सी श्रेणी वाले मंद‍िर हैं.

2018-20 में मंदिरों को प्राप्‍त हुए 1,383.63 करोड़ से अधिक

मजुराई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक 2018-20 में ए और बी श्रेणी के मंदिरों ने 1,383.63 करोड़ रुपये का राजस्‍व प्राप्‍त क‍िया था. साथ ही अधिकारी ने कहा क‍ि कोरोना के चलते मंदि‍रों के राजस्व में भारी गिरावट देखी गई हैं. वहीं मंदिर के फंडों का ऑडिट भी लंबे समय से एक लंबित चल रहा है.

कांग्रेस ने घोषणा का क‍िया विरोध

मुख्‍यमंत्री की तरफ से राज्‍य के ह‍िंंदू मंद‍िरों को सरकारी न‍ियंत्रण से मुक्‍त कराए जाने की घोषणा के बाद ही कांग्रेस इसके व‍िरोध में आ गई है. इस कदम का विरोध करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने कहा कि मंदिर राज्य की संपत्ति और राजस्व का एक प्रमुख स्रोत हैं. उन्‍होंने कहा क‍ि पार्टी विधेयक का विरोध करेगी. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा क‍ि ज्यादातर मंदिर पहले से ही स्वतंत्र हैं. कुछ ही मुजराई विभाग के पास हैं. जनता के हित में फैसला ठीक है. उन्‍होंने कहा क‍ि बोम्मई ने चुनावों को ध्यान में रखते यह घोषणा की है.

कुक्के सुब्रमण्य मंदिर राज्‍य का ‘सबसे अमीर’ मंदिर

कुक्के सुब्रमण्य मंदिर, सुब्रमण्य राज्‍य का सबसे अमीर मंदि‍र है. वर्ष 2019-20 के राजस्व आंकड़ों के अनुसार कुक्के सुब्रमण्य मंदिर, सुब्रमण्य को 99.82 करोड़ रुपये का राजस्‍व प्राप्‍त हुआ था. जबक‍ि उसके बाद मूकाम्बिका मंदिर, कोल्लूर को 45.65 करोड़ रुपये का सालाना राजस्‍व था. वहीं चामुंडेश्वरी मंदिर और मैसूर के महल  मंदिर को 35.23 करोड़ रुपये का राजस्‍व प्राप्‍त हुआ था. जबक‍ि दुर्गा परमेश्वरी मंदिर, कतील को  25.42 करोड़ रुपये का सालाना राजस्‍व प्राप्‍त हुआ था.

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