भारत में कोरोना (Covid-19) और उसके नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron Variant) का प्रसार तेजी से हो रहा है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग आज से कोरोना वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज (बूस्टर डोज) लगाने की शुरुआत कर रहा है. इसमें अभी केवल फ्रंटलाइन वर्कर्स (Frontline Workers) और हेल्थकेयर वर्कर्स (Healthcare Workers) को ही यह डोज लगाई जाएगी. इनके अलावा 60 साल से ऊपर के ऐसे बुजुर्ग जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें भी तीसरी डोज दी जाएगी. जिन्होंने पहले वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई हैं, वे सीधे अपॉइंटमेंट ले सकते हैं या फिर वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर यह डोज ले सकते हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को ट्वीट कर बताया कि बूस्टर डोज के लिए एक करोड़ से अधिक फ्रंटलाइन वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों को एसएमएस भेजकर इसके बारे में याद कराया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक, 1.05 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स, 1.9 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र के अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 2.75 करोड़ लोगों को कार्यक्रम के अनुसार बूस्टर डोज दी जाएगी.
इस शर्त पर ही लगेगी बूस्टर डोज
सरकारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक, बूस्टर डोज उन्हें दी जाएगी, जिन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज लगे 9 महीने बीत गए हैं. मतलब यह है कि अगर आपने पिछले साल जनवरी से मार्च के बीच दूसरी डोज लगवाई होगी तो आप तीसरी डोज के पात्र होंगे. बूस्टर डोज के लिए अब फिर से रजिस्ट्रेशन करने की जरूरत नहीं होगी. क्योंकि कोविन पर आपका अकाउंट बन चुका है. अब बस मैसेज आने के बाद आप कोविन के जरिए बूस्टर डोज के लिए स्लॉट बुक कर सकते हैं.
सरकार की तरफ से आएगा एक मैसेज
यदि आप तीसरी डोज के दायरे में आते हैं तो आपको सरकार की ओर से एक मैसेज भेजा जाएगा. तीसरी डोज का यह मैसेज कोविन प्लेटफॉर्म की ओर से भेजा जाएगा. बूस्टर डोज में वही वैक्सीन दी जाएगी, जिसकी पहली दो डोज इस पात्र को लगी होगी. अगर पात्र ने पहली दो डोज कोवैक्सीन की ली होंगी तो तीसरी डोज भी कोवैक्सीन की ही लगेगी. इसी तरह अगर पहली दो डोज कोविशील्ड की लगवाई होगी तो तीसरी डोज भी कोविशील्ड की ही लगेगी.
बूस्टर डोज और प्रीकॉशन डोज में क्या फर्क है
जैसे वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगने पर वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मिला है, ठीक उसी तरह बूस्टर डोज का सर्टिफिकेट भी मिलेगा. वैक्सीन की ये बूस्टर डोज कोरोना से बचाने के लिए बेहद जरूरी है. मौजूदा समय में कोरोना के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट ने इसकी जरूरत को और बढ़ा दिया है. इन दिनों बूस्टर डोज के साथ प्रीकॉशन डोज की भी बात की जा रही है. कई लोगों का मानना है कि ये दोनों अलग अलग है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बूस्टर डोज के स्थान पर एहतियाती (प्रीकॉशन) डोज का इस्तेमाल किया था. इस वजह से प्रीकॉशन डोज का इस्तेमाल किया जाने लगा, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि बूस्टर और एहतियाती डोज का एक ही मतलब है.
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