
पंजाब में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सुरक्षा में चूक मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होने जा रही है. यह सुनवाई सुबह 11 बजे से शुरू होने वाली है. वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली की तीन-न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार को पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच करने से रोक दिया है.
इसके साथ ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को पंजाब सरकार, पुलिस एवं केंद्रीय एजेंसियों से पीएम नरेंद्र मोदी के तीन दिन पूर्व पंजाब दौरे से जुड़े सुरक्षा इंतजामों से संबंधित रिकॉर्ड तुरंत हासिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से यह रिकॉर्ड सीलबंद लिफाफे में सोमवार को कोर्ट में पेश करने को कहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने आज केंद्र सरकार और पंजाब सरकार अपना पक्ष रखने वाली हैं. आज की सुनवाई में कई संभावनाएं बन रही हैं. आइए इस पर एक नजर डालते हैं-
1- पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल सुप्रीम कोर्ट को सूचित कर सकते हैं कि सभी साक्ष्य एवं संबंधित दस्तावेज सीज किए जा चुके हैं या और समय की मांग कर सकते हैं.
2- केंद्र सूचित करेगा कि एनआईए ने किसे नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया है और वह किस तरह से सहायता करेगा.
3- केंद्र अदालत को इस मामले में अन्य एजेंसियों की मदद की जरूरत के बारे में जानकारी देगा.
4- याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के नेतृत्व में विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित करने की मांग रखी जा सकती है. इसमें विशेषग्य एजेंसियों के अधिकारियों को शामिल किया जा सकता है.
5- पंजाब सरकार जांच में राज्य के अधिकारियों को भी शामिल करने की मांग कर सकता है.
6- सुप्रीम कोर्ट जांच से संबंधित पहलुओं के बिंदु तय कर सकता है.
7- पीएम सुरक्षा में राज्य सरकार और केंद्र की शक्तियों पर जवाब तलब अदालत द्वारा किया जा सकता है.
8- पूर्व पीएम कि सुरक्षा में हुई इस तरह की चूक की घटनाओं पर भी अदालत में चर्चा या सवाल उठ सकते हैं. उसके बाद उठाए गए कदम कितने कारगर रहे हैं, इस पर गौर किया जा सकता है.
9- सुप्रीम कोर्ट सभी पक्षों पर गौर करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख सकता है.
10- केंद्र व पंजाब द्वारा जांच के लिए गठित टीमों के काम पर रोक लगाने के मौखिक आदेश को लिखित रूप दे सकता है या दोनों ही टीमों को गैरजरूरी करार दे सकता है.
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