यूपी चुनाव के गुणा-गणित के बीच एक बहस बड़ी होती जा रही है कि क्या पूर्वांचल ही यूपी चुनाव का सेंटर प्वाइंट बनेगा. अबकी बार योगी Vs अखिलेश किसे मिलेगा जनादेश? ये सवाल इसलिए उठे क्योंकि आज समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के आज़मगढ़ से चुनाव लड़ने की ख़बर आई है. हालांकि अखिलेश ने गेंद जनता के पाले में डाल दी है. इन सबके बीच ये चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि क्या पूर्वांचल ही यूपी चुनाव का सेंटर प्वाइंट बनेगा? आखिर क्या कहता है पूर्वांचल का सियासी गणित?
कहते हैं कि यूपी की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर गुजरता है यानी जिसने पूर्वांचल में अधिक सीटें हासिल कर लीं उसे यूपी की सत्ता मिल गई. शायद इसीलिए सीएम योगी का नाम गोरखपुर से फाइनल हुआ और आज अखिलेश यादव के आज़मगढ़ की गोपालपुर सीट से चुनाव लड़ने की ख़बर आई. हालांकि अखिलेश ने कहा कि वो जब भी चुनाव लड़ेंगे आज़मगढ़ की जनता से अनुमति लेकर ही लड़ेंगे.
कहते हैं कि धुआं वहीं उठता है, जहां आग होती है. इसीलिए अखिलेश ने आज़मगढ़ से चुनाव लड़ने की बात से इनकार नहीं किया, लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि अचानक अखिलेश यादव के आज़मगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा क्यों उठी? क्या यूपी चुनाव का सेंटर प्वाइंट पूर्वांचल ही बनेगा? या फिर सीधी लड़ाई योगी Vs अखिलेश, किसे मिलेगा जनादेश?
बीजेपी ने कहा- अखिलेश यादव अभी से डर गए हैं
दरअसल, अखिलेश यादव आज़मगढ़ से लोकसभा सांसद हैं. 2019 की मोदी लहर में उन्हें आज़मगढ़ की जनता का आशीर्वाद मिला था. इसीलिए वो इस चुनाव में भी यहां जनता की अनुमति की बात कह रहे हैं, लेकिन बीजेपी कह रही है कि पहली ही लिस्ट में गुंडे-माफियों को टिकट देकर समाजवादी पार्टी बैकफुट पर आ गई है. बीजेपी की लहर से अखिलेश भयभीत हो गए हैं.
बहरहाल, जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं. योगी बनाम अखिलेश की जंग तेज हो रही है और पूर्वांचल की लड़ाई भी दिलचस्प होती दिख रही है. अब हम आपको बताते हैं कि आखिर अखिलेश यादव के आज़मगढ़ के गोपालपुर विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा क्यों उठी है? दरअसल, गोपालपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की मजबूत पकड़ मानी जाती है. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. बीते पांच विधानसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो यहां चार बार समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की, जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी के खाते में ये सीट गई.
यूपी के 28 जिले पूर्वांचल में आते हैं
इसके अलावा गोपालपुर सीट पर यादव और मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है. शायद इसीलिए अखिलेश के यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा जोर पकड़ रही है. यहां ये जानना भी जरूरी है कि आखिर यूपी चुनाव में पूर्वांचल इतना अहम क्यों है? तो आपको बता दें कि यूपी के 28 जिले पूर्वांचल में आते हैं, जिनमें कुल 164 विधानसभा सीटें हैं यानी करीब एक तिहाई सीट. 2017 के चुनाव में पूर्वांचल में बीजेपी ने 115 सीट पर कब्जा जमाया था, जबकि समाजवादी पार्टी को 17, BSP को 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थीं.
अब ये समझिए कि आखिर राजनीतिक पंडित ऐसा क्यों कहते हैं कि यूपी की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से होकर जाता है. दरअसल, वर्ष 2007 में BSP ने पूर्वांचल में बड़ी जीत हासिल की तो मायावती पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रहीं. इसके बाद साल 2012 में पूर्वांचल में बड़ी जीत हासिल कर अखिलेश यादव ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. साल 2017 में पूर्वांचल के लोग बीजेपी के साथ खड़े हुए तो पार्टी ने यूपी में प्रचंड बहुमत हासिल किया. यूपी के चुनाव का एक और अहम चैप्टर है–कास्ट फैक्टर, तो पूर्वांचल को लेकर आपको बता दें कि यहां नाई, बिंद, मल्लाह, लोहार, पाल, राजभर, चौहान, काची समेत कई जातियां हैं. अब चुनावी सीजन में लोग ये भी जानना चाहते हैं कि कौन सी जाति का वोट कितना है और वो किस पार्टी को मिलने जा रहा है?
ये भी पढ़ें: Uttar Pradesh Election: उन्नाव की इस सीट पर आजतक नहीं खुला BJP का खाता, 2017 में भगवा लहर भी नहीं आई काम
ये भी पढ़ें: TV9 Exclusive: विधानसभा चुनाव के लिए क्या है AIMIM की रणनीति, अखिलेश यादव का साथ देने पर क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी