नोटों का जखीरा, 700 लॉकर्स…करेंसी गिनते-गिनते मशीन तक हो गई हैंग; चुनाव से पहले कुछ इस तरह हो रहा है काली कमाई का पर्दाफाश

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2000

विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) से पहले करप्शन के अंडरवर्ल्ड वाले secret vaults अनलॉक हो रहे हैं. उनमें से काली कमाई का पर्दाफाश हो रहा है. नोएडा (Noida) में पिछले 4 दिन से एक रिटायर्ड IPS राम नारायण सिंह (Ram Narayan Singh) के घर के बेसमेंट में रेड्स जारी हैं. इस बेसमेंट के अंदर प्राइवेट वॉल्ट्स रखने की फैसिलिटी बनी थी. करीब 650-700 वॉल्ट्स थे. लेकिन इनकम टैक्स की टीम को इनमें से कुछ लॉकर्स में ब्लैक मनी छिपाए जाने की इनफॉर्मेशन मिली थी. जब आयकर विभाग की टीम पहुंची तो लॉकर्स खोलने का सिलसिला शुरू हुआ. कुछ लॉकर्स ऐसे थे, जो खुल नहीं पाए तो उन्हें कटर से काटा गया. जानकारी के मुताबिक इन प्राइवेट वॉल्ट के अंदर से करोड़ों रुपए की ब्लैक मनी सामने आ गई. कहा तो ये भी जा रहा है कि लगातार नोट गिनने की वजह से कई बार मशीनें hang हो गईं. अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की इस रेड को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं.

प्राइवेट लॉकर्स के अंदर से अभी तक क्या कुछ बरामद हुआ? इन प्राइवेट लॉकर्स में रखी काली कमाई का मालिक कौन है? क्या प्राइवेट लॉकर्स देते वक्त KYC की प्रक्रिया पूरी की गई थी? सरकारी बैंक में लॉकर्स की फैसिलिटी के बावजूद. अब कई लोग प्राइवेट वॉल्ट्स का रुख क्यों कर रहे हैं. क्या ये प्राइवेट वॉल्ट्स या प्राइवेट लॉकर्स. काली कमाई छिपाने की सबसे सेफ जगह बन चुके हैं.? आज इन सारे सवालों के जवाब आपको हम इस खबर में बताने की कोशिश करेंगे. टीवी9 भारतवर्ष के रिपोर्टर्स ने दिल्ली से लेकर मुंबई और गुजरात तक इन प्राइवेट वॉल्ट्स को लेकर पड़ताल की है. एक्सक्लूसिव जानकारी जुटाई है. पहले नोएडा में रिटायर IPS ऑफिसर के घर इनकम टैक्स रेड की अपडेट बताते हैं. 500 और 2000 के नई करेंसी वाले नोट. 2000 के नोटों की तो पूरी लाइन बिछ गई. एक के ऊपर एक रखे नोटों के कई बंडल भी मिले. काली कमाई वाला लॉकर खुला. नोटों का जखीरा मिला. इतने पैसे निकले कि नोट गिनने वाली मशीन गर्म हो गई. करेंसी गिनते गिनते हैंग होने लगी. रेड के बाद बरामद कैश की तस्वीरें सोशल मीडिया के हर प्लैटफॉर्म पर जमकर वायरल हो रही हैं. लोग पूछ रहे हैं कि प्राइवेट लॉकर्स के अंदर से निकली. काली कमाई का किंगपिन कौन है. इन सवालों के जवाब के लिए पूरे मामले को समझना जरूरी है.

अभी तक 5 करोड 77 लाख कैश मिल चुका है

असल में नोएडा के सेक्टर 50 में फॉर्मर IPS राम नारायण सिंह का बंगला है. आर एन सिंह यूपी पुलिस में डीजी अभियोजन रह चुके हैं.
उनके इसी बंगले नंबर A46 में इनकम टैक्स की टीम ने रेड की थी. बंगले के नीचे प्राइवेट वॉल्ट्स वाली फैसिलिटी है. आरएन सिंह के बेटे ही बेसमेंट में लॉकर फर्म चलाते हैं. उसमें से कुछ लॉकर्स में काली कमाई सामने आई. इस रेड को लेकर अभी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से ज्यादा डिटेल्स नहीं दी गई है. लेकिन जब हमारे रिपोर्टर जितेंद्र शर्मा ने ऑफ कैमरा अफसरों से बात की तो उन्होंने कुछ जानकारियां शेयर कीं. पता चला है कि घर के अंदर मानसम नोएडा वॉल्ट्स एजेंसी बनी थी. इस एजेंसी में करीब 700 लॉकर बनाए गए थे. इनकम टैक्स के अफसरों को दस लॉकर्स पर शक हुआ. इनमें से कुछ लॉकर्स को गैस कटर के जरिए काटा गया. इन्हीं में से कुछ लॉकर्स के अंदर कैश बरामद हुआ. अभी तक 5 करोड 77 लाख कैश मिल चुका है. एक दो लॉकर्स से कुछ ज्वेलरी भी जब्त की गई. हालांकि इस पूरी रेड को लेकर खुद पूर्व आईपीएस और लॉकर फर्म चलाने वाले उनके बेटे की तरफ से सफाई आई…आर एन सिंह की तरफ से बाकायदा एक स्टेटमेंट जारी भी किया गया. कहा गया कि इन लॉकर्स से उनका कोई लेना देना नहीं. जब आईटी डिपार्टमेंट की टीम आई तो सभी लॉकर्स के मालिकों की जानकारी दी गई. लॉकर मालिकों की मौजूदगी में वॉल्ट खुलवाए हैं.लेकिन आईटी विभाग के मुताबिक कई लॉकर ऐसे मिले, जिनके मालिक का नाम पता ही साफ नहीं था. कुछ लॉकर के मालिक का नाम पता भी नहीं मिला. इस संदेह पर लॉकर कटवाए और खुलवाए गए. इनमें कैश निकला जिसकी गिनती शुरू हुई.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम ने घर के सदस्यों से भी पूछताछ की. सवाल ये किया गया कि क्या लॉकर देते वक्त KYC की प्रक्रिया पूरी की गई थी. हमारे रिपोर्टर जितेंद्र शर्मा ने बताया कि लिस्ट में जिन लोगों के नाम पर लॉकर निकले. उनमें से कई रिटायर्ड और मौजूदा आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, डॉक्टर, कारोबारी भी हैं लेकिन रेड के बाद इनमें से ज्यादातर अपने प्रतिनिधियों को मौके पर भेज रहे हैं. अगर पांच करोड 77 लाख निकले और इन्हें अपना बताने वाला कोई नहीं. इस रकम को OWN करने वाला कोई नहीं. तो सवाल तो बनते हैं. अगर पैसा रखना था तो फिर बैंक में क्यों नहीं जमा किया? कहीं ये लॉकर काली कमाई छिपाने का जरिया तो नहीं? फिलहाल आयकर विभाग की टीम कार्रवाई कर रही है. कुछ लॉकर्स बचे हुए हैं..जिनकी जानकारी ली जा रही है. कुल मिलाकर कितना कैश मिला. इसकी जानकारी तो ऑफिशियल स्टेटमेंट के बाद ही सामने आएगी लेकिन इतना जरूर है कि प्राइवेट वॉल्ट में कैश की बरामदगी ने काली कमाई के नोट संसार का नया द्वार जरूर खोल दिया है.

कानपुर से शुरू हुआ था छापेमारी का सिलसिला

वैसे जब भी इस तरह की रेड्स होती हैं तो उन्हें सियासी पार्टियों से जोड़कर देखा जाता है. तीखे वार पलटवार होते हैं. हालांकि पूर्व आईपीएस के परिवार की तरफ से सफाई आई.कि उनका किसी पार्टी से कोई कनेक्शन नहीं है. लेकिन सच्चाई ये भी है कि चुनाव से पहले सिर्फ एक यही रेड सुर्खियों में नहीं रही. कुछ दिन पहले कानपुर से छापेमारी का सिलसिला शुरू हुआ था. इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर इनकम टैक्स और  डीजीजीआई ने रेड की थी. रेड का कनेक्शन पीयूष जैन के होम टाउन कन्नौज तक भी पहुंचा. इस छापेमारी के दौरान 200 करोड़ से ज्यादा की नगदी और कई किलो सोना चांदी बरामद हुआ था. पीयूष जैन के ठिकानों पर रेड का मुद्दा समाजवादी पार्टी और बीजेपी ने खूब उठाया..और अभी तक भी चुनावी रैलियों में इस रेड की बात होती है. इसी तरह 31 जनवरी को वाराणसी में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम ने कई आभूषण कारोबारियों के ठिकाने पर रेड की थी. इन कारोबारियों पर चुनावी आचार संहिता के दौरान अवैध तरीके से लाखों करोड़ों के लेन देन का आरोप लगा. आगरा में भी बीते महीने IT डिपार्टमेंट की टीम ने चार SHOE एक्सपोर्टर के 11 ठिकानों पर रेड की थी.हो सकता है कि रेड का ये दौर चुनाव के दौरान भी दिखाई दे लेकिन इतना जरूर है कि प्राइवेट वॉल्ट से कैश मिलने के बाद कैशलोक का नया एंगल जरूर सामने आया है. सवाल है कि लोग आजकल प्राइवेट और सरकारी बैंकों की बजाए…प्राइवेट वॉल्ट क्यों prefer कर रहे हैं. प्राइवेट वॉल्ट की पूरी कहानी क्या है. इसके लिए हमने एक स्पेशल रिपोर्ट तैयार की है. इसे आपको जरूर देखना चाहिए.

प्राइवेट लॉकर्स का कॉन्सेप्ट नया नहीं

कुछ इसी तरह की प्राइवेट वॉल्ट, सेफ्टी लॉकर वाली फर्म नोएडा में चल रही थी जहां से ब्लैक मनी बरामद हुई लेकिन आपको बता दें कि प्राइवेट लॉकर्स का कॉन्सेप्ट नया नहीं है. आजादी से पहले से हिंदुस्तान में प्राइवेट लॉकर सिस्टम काम कर रहा है. दिल्ली, मुंबई कोलकाता में काफी पुराने प्राइवेट वॉल्ट मौजूद हैं. दिल्ली में तो सन 1937 से चल रही सेफ डिपॉजिट कंपनी है. कोलकाता में 1940 से सेफ डिपॉजिट वॉल्ट ऑपरेट हो रहा है. इन सेफ्टी वॉल्ट्स के क्लाइंट USA, UK, Singapore और Canada में हैं. कुछ ऐसे सेफ्टी वॉल्ट हैं, जो तीन दशक से ऑपरेट नहीं हुए. ज्यादातर लोग इन्हें काफी सेफ और सिक्योर मानते हैं. अब सवाल है कि आखिर सरकारी और प्राइवेट बैंक में लॉकर होने के बावजूद लोग प्राइवेट वॉल्ट की तरफ क्यों जा रहे हैं..तो इसके पीछे कुछ कारण हैं. सरकारी सिस्टम 6 से सात घंटे की विंडो देता है जबकि प्राइवेट वॉल्ट औसतन 12 घंटे खुले रहते हैं. सरकारी बैंक छुट्टियों के दिन बंद रहते हैं..लेकिन कुछ प्राइवेट वॉल्ट साल के 365 दिन खुले रहते हैं. सरकारी सिस्टम में एक महीने में लॉकर खोलने की लिमिट तय है. उसके बाद लॉकर खोल नहीं सकते…लेकिन प्राइवेट वॉल्ट कस्टमर पर ये रूल लागू नहीं है. जब चाहे आसानी से इसे ऑपरेट कर सकते हैं. अब चूंकि प्राइवेट लॉकर सर्विस ज्यादा प्रोवाइड करते हैं, इजली एक्सेसिबल हैं. इसलिए उनका किराया भी ज्यादा है..

कस्टमर्स में प्राइवेट वॉल्ट का क्रेज बढ़ा है

उदाहरण के तौर पर स्मॉल, मीडियम, लार्ज और एक्स्ट्रा लार्ज लॉकर्स के लिए SBI मेट्रो और अर्बन एरिया में 2000, 4000, 8000 और 12000 रुपए सालाना चार्ज करता है. लेकिन अगर इसी तरह मुंबई जैसे शहर में प्राइवेट वॉल्ट की बात की जाए तो ये किराया 3000, 5000, 10000 और 15 हजार तक भी हो सकता है और कुछ मामलो में एनुअल रेंट 45000 तक भी चला जाता है. साफ है किराया ज्यादा है लेकिन सहूलियत भी सरकारी सिस्टम से ज्यादा मिलती हैं. इसीलिए कस्टमर्स में प्राइवेट वॉल्ट का क्रेज बढ़ा है. इसके अलावा चूंकि कई बार पब्लिक सेक्टर के बैंक लॉकर मिलते नहीं. इसलिए भी कस्टमर प्राइवेट वॉल्ट्स का रुख करते हैं लेकिन कुछ सेफ्टी वॉल्ट कंपनिया ऐसी भी हैं, जो KYC प्रक्रिया को लेकर सीरियस नहीं रहती. ग्राहक बनाने के लालच में नॉर्मस की अनदेखी करती हैं, जिसकी वजह से प्राइवेट वॉल्ट्स में रेड सुर्खियां बन जाती है.

RBI ने बैंक लॉकर्स को लेकर नया नियम जारी किया है

वैसे जो लोग बैंकों के लॉकर में पैसे, गहने, जेवरात या फिर जरुरी कागजात रखते हैं तो उनके लिए एक और जरूरी इनफॉर्मेशन हमारे पास है. ये उन्हें बेहद ध्यान से देखनी और सुननी चाहिए. RBI ने बैंक लॉकर्स को लेकर नया रूल जारी किया है, जो एक जनवरी 2022 से लागू हो चुका है. नए नियम के मुताबिक बैंक में आगजनी, चोरी, इमारत ढहने या बैंक कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी के मामले में बैंकों की देनदारी उसके लॉकर के वार्षिक किराये के 100 गुना तक सीमित होगी यानी बैंक अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. कोर्ट के आदेश के बाद आरबीआई ने बैंक लॉकर को लेकर बैंकों की जवाबदेही पर ये नियम बनाया है. आरबीआई ने लॉकर मैनेजमेंट को लेकर सभी सरकारी और निजी बैंकों के लिए निर्देश जारी किए हैं. नए निर्देश मौजूदा सेफ जमा लॉकर और बैंकों के पास वस्तुओं की सेफ कस्टडी दोनों पर लागू होंगे. हालांकि नियम ये भी कहता है कि प्राकृतिक आपदा या ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानी भूकंप, बाढ़, आसमानी बिजली, आंधी-तूफान के मामले में बैंक किसी नुकसान के लिए जिम्मेदारी नहीं होगा.

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