कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी में स्कलू-कॉलेजों में हिजाब (Hijab) पहनने को लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ता जा रही है. ऐसे में अब लोग पूछ रहें है कि उडुपी का विवाद मांड्या के कॉलेज कैसे पहुंचा? मुस्कान के साथ जो कुछ हुआ, क्या वो स्क्रिप्टेड था? घटना से ठीक पहले 5 कैमरामैन (Cameraman)कॉलेज में क्या कर रहे थे? वीडियो और कैमरामैन पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं. आज एक बार फिर मांड्या के कॉलेज का वीडियो की चर्चा है. सेकंड ईयर की स्टूडेंट मुस्कान के साथ जो कुछ हुआ, उसकी निंदा अब हर वर्ग कर रहा है. जिस वक्त मुस्कान अल्लाहू अकबर के नारे लगाकर जय श्रीराम के नारों का जवाब दे रही थी, उसी दौरान एक साथ तीन से चार कैमरामैन अलग-अलग एंगल से वीडियो बनाते नजर आए.
चौंकानेवाली बात ये है कि ये मोबाइल कैमरा नहीं थे बल्कि प्रोफेशनल कैमरा था, यानी जिस तरह वीडियो शूट हुआ, जिस तरह मुस्कान के एक एक हाव भाव को कैप्चर किया गया. कैमरे को जूम इन, जूम आउट किया गया. मुस्कान के चेहरे के एक एक रिएक्शन को फॉलो किया गया. वो प्रोफेशनल कैमरा वर्क ही था और ये सब वीडियो के शुरुआत से दिखना शुरू भी हो गया. वीडियो के 30वें सेकंड में पहली बार कंधे पर कैमरा लेकर दौड़नेवाले प्रोफेशनल नजर आए. ये कैमरा पर्सन साइड एंगल से शूट कर रहा था. वीडियो के 38वें सेकंड में एक कैमरापर्सन उन लोगों को कवर कर रहा था, जो जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे. वीडियो के 43वें सेकंड में पीली शर्ट पहने एक और कैमरापर्सन मुस्कान को कवर करता दिखाई दिया. इसी दौरान एक और कैमरामैन पीछे-पीछे दौड़ता नजर आया. इसी दौरान मुस्कान कैमरे के सामने एक बार फिर अल्लाहू अकबर के नारे लगाती नजर आईं.
कई कैमरापर्सन की मौजूदगी को लेकर खड़े हुए सवाल
इसी वीडियो में एक वक्त ऐसा भी आया जब मुस्कान के पास एक साथ तीन-तीन कैमरापर्सन दिखाई दिए जबकि चौथा कैमरा उसके फेस की तरफ था. इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि अगर ये घटना अचानक हुई, अचानक हिजाब और बुर्के को देखकर हंगामा हुआ. जय श्रीराम के नाम पर नारेबाजी हुई तो फिर इतने सारे कैमरापर्सन कैसे आ गए. हम आपको बताएंगे कि कर्नाटक सरकार का इस पूरे मामले पर क्या कहना है, लेकिन उससे पहले जानते हैं कि ये पूरा विवाद शुरू कैसे हुआ. इसे समझने के लिए हमारे संवाददाता विपिन चौबे कर्नाटक के उडुपी पहुंचे. ये वही वजह है जहां सबसे पहले हिजाब को लेकर कंट्रोवर्सी शुरू हुई थी. हमारे रिपोर्टर ने कॉलेज के साथ जुड़े लोगों से डिटेल में जानकारी हासिल की. वो CFI के ऑफिस भी पहुंचे और हिजाब विवाद पर उनका वर्जन भी जाना.
टीवी9 भारतवर्ष के रिपोर्टर कर्नाटक से उठे हिजाब वाले सियासी बवाल के केंद्र बिंदू में थे. उडुपी में पिछले साल के आखिर और इस साल की शुरुआत में ये पूरा बवाल शुरू हुआ था. छह लड़कियों वाले इस वीडियो को कई लोगों ने देखा शेयर किया. मामला लोकल लेवल का था और वहीं हल हो जाना चाहिए था, लेकिन इसे फैलाया गया और फिर उडुपी से उठी चिंगारी कर्नाटक के दूसरे शहरों के साथ देश के अलग-अलग इलाकों में फैल गई. लेकिन इस सबके बीच हमारे संवाददाता ने उस लड़की को भी ढूंढ निकाला जो इस विवाद के सेंटर प्वाइंट में थी. उडुपी के प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में बीते साल के आखिर में क्या कुछ हुआ था. लेकिन आशिका की इसी बात को कर्नाटक के एजुकेशन मिनिस्टर ने अलग तरीके से एलोबेरेट किया. बी नागेश ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि कल तक जो लड़कियां हिजाब पहनकर क्लास कर रही थी, वो हिजाब को लेकर इतनी वोकल कैसे हो गईं, क्योंकि ड्रेस कोड वाला रूल आज से नहीं था बल्कि पहले से लागू था.
इस कंट्रोवर्सी के पीछे बड़ी साजिश- कर्नाटक के शिक्षा मंत्री
बी नागेश के बयान को उडुपी में बीजेपी के एक और नेता ने आगे बढ़ाया और आरोप लगाया कि सबकुछ पूरी प्लानिंग से किया गया. उनका निशाना SDPI की तरफ था. PFI, CFI नहीं चाहते कि उनकी लड़कियां शिक्षित हों, क्योंकि लड़कियां अगर शिक्षित हो जाएंगी तो फिर लड़के उन्हें धर्म के हिसाब से कंट्रोल नहीं कर पाएंगे. हालांकि इसके बाद हमारे रिपोर्टर विपिन चौबे ने उडुपी में उस संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के लोगों से भी बात की. ऐसा कोई नहीं है जो इस मामले में नहीं बोला. कर्नाटक और से लेकर यूपी और दिल्ली तक हिजाब के नाम पर सियासत चमकाने की कोशिश हो रही है, लेकिन कर्नाटक के शिक्षा मंत्री को लगता है कि इस कंट्रोवर्सी के पीछे बड़ी साजिश है.
जब मुस्लिम बहन बेटियों का समर्थन खुलेआम बीजेपी को मिलने लगा, जब मुस्लिम बेटियां एक-दो मिनट के अपने वीडियो डालने लगी, बीजेपी सरकार की तारीफ करने लगी, सदियों के बाद इतना बड़ा सम्मान मिला, इसके लिए गौरव गान करने लगीं तो कुछ वोटों के ठेकेदारों की नींद हराम हो गई. वो बैचेन हो गए कि अरे हमारी ही बेटी मोदी-मोदी करने लग गई. उनके पेट में दर्द होने लगा. मोदी की तारीफ में मुस्लिम बहनों के बयान उनके वीडियो देखकर इन ठेकेदारों को लगा कि इन बेटियों को रोकना होगा. ये मोदी की तरफ चली जाएंगी तो घर में ही उनका राज आ जाएगा, इसलिए मुस्लिम बहन-बेटियों का उनका हक रोकने के लिए, उनके विकास की आकांक्षाओं को रोकने के लिए नए नए तरीके खोजे जा रहे हैं. वो लोग मुस्लिम बहनों को बरगला रहे हैं ताकि मुस्लिम बेटियों का जीवन हमेशा पीछे ही रहे.
प्रधानमंत्री ने आज इसी तरह का बयान उत्तराखंड की पब्लिक मीटिंग में भी दिया था, लेकिन सवाल तो ये है कि पीएम को ये बयान क्यों देना पडा. क्या कर्नाटक की सरकार को इसमें कुछ नया एंगल पता चला है और सबसे बडी बात मांड्या में हिजाब Vs भगवा विवाद को लेकर भी अब बातें क्यों होने लगी हैं. क्या वाकई हिजाब के नाम पर परदे के पीछे कोई और है. क्या हिजाब कंट्रोवर्सी जानबूझकर क्रिएट की गई? क्या हिजाब के नाम पर परदे के पीछे कोई बड़ा खेल हुआ? मुस्लिम बेटियों को आगे करके हिंदू-मुसलमान करने की कोशिश हुई? हिजाब VS विवाद का असली मास्टरमाइंड कौन है? ये सवाल क्यों उठे, किस बैकड्रॉप में उठे.
यूपी के युद्ध में हिजाब के बहाने एक दूसरे पर वार पलटवार हो रहे हैं. ओवैसी पिछले चार दिनों से मोर्चा संभाले हुए हैं. रोज हिजाब के मुद्दे को हवा देते हैं ताकि वोटों की फसल वाली बयार उनकी पार्टी की तरफ बह निकले. अब तक समाजवादी पार्टी इस मुद्दे पर चुप थी. कुछ भी खुलकर कहने से बच रही थी, लेकिन जैसे ही लगने लगा कि ओवैसी के बयान पार्टी के वोटर्स को डेंट पहुंचा सकते हैं. वेस्ट यूपी के दूसरे चरण के मतदान में इसका असर हो सकता है तो फिर इमरान मसूद ने मोर्चा संभाल लिया. कांग्रेस का हाथ छोड़कर साइकिल की सवारी करनेवाले मसूद ने कह दिया कि ओवैसी हिजाब की बात ना करें, हैदराबाद संभालें.
इस सबके बीच बीजेपी ने भी हिजाब वाली कंट्रोवर्सी पर रिएक्ट किया. मांड्या के वीडियो पर बात की. यूपी के डिप्टी सीएम ने साफ-साफ कहा कि नारेबाजी दोनों तरफ से सही नहीं है. जहां तक हिजाब की बात है तो फिर स्कूल-कॉलेज के लिए ड्रेस कोड है, इसे फॉलो करना चाहिए. हिजाब बनाम भगवा को लेकर नेताओं को उत्तर में सियासत दिखी तो दक्षिण में साजिश के तार नजर आए. कर्नाटक के एजुकेशन मिनिस्टर बी नागेश ने एक इंटरव्यू में कहा कि कर्नाटक में हिजाब विवाद के पीछे इस्लामिक संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की एक विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ है.
कुछ लोग इस पूरे मामले को भड़काने में लगे- कर्नाटक के शिक्षा मंत्री
राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात के सबूत मिले हैं. बी नागेश ने बताया कि संगठन के भड़काने का ही नतीजा है कि कुछ लड़कियां हिजाब के लिए आवाज बुलंद करने लगीं. बी नागेश का दावा है कि ये विवाद एक महीने से चल रहा है, लेकिन हंगामा अचानक हुआ. अचानक हिजाब की मांग होने लगी. पहले तो ऐसी मांग नहीं की गई. आरोप लगाया कि कुछ लोग इस पूरे मामले को भड़काने में लगे हैं. कर्नाटक के हिजाब कांड पर प्रदर्शन हो रहे हैं. सवाल हो रहे हैं. सियासत हो रही है. देश के कई शहरों और कस्बों में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन इस बीच यूपी में भी हिजाब को लेकर एक स्टूडेंट के साथ बदसलूकी का इल्जाम लगा है. एक मुस्लिम छात्रा ने इल्जाम लगाया है कि हिजाब को लेकर उसे सरेआम रोका-टोका गया.
यूपी में भी हिजाब को लेकर विवाद हुआ शुरू
कर्नाटक में हिजाब पर हंगामा अभी थमा भी नहीं था कि चुनावी तपिश वाले यूपी में भी हिजाब को लेकर विवाद का आगाज हो गया. मामला जौनपुर के तिलकधारी महाविद्यालय का है., जहां जरीना खान नाम की बीए फाइनल ईयर की स्टूडेंट ने इल्जाम लगाया कि पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर ने हिजाब पहनने के लिए उसे डांटा और धमकाया. इस बच्ची ने इल्जाम लगाए तो मीडिया ने कॉलेज के प्रिंसिपल से सवाल किए तो प्रिंसिपल साहब ने भी सफाई देने में देर नहीं की. प्रिंसिपल साहब का कहना है कि उन्हें जो पता लगा, वो मीडिया रिपोर्ट्स से पता लगा है. वो मामले को देखेंगे और छात्रा और प्रोफेसर से बात करेंगे और फिर आगे की कार्रवाई तय होगी. उनके आश्वासन पर लड़की और उसके परिवार को पूरा भरोसा है.
जौनपुर की घटना ने कर्नाटक के बाद यूपी का नाम भी हिजाब विवाद की लिस्ट में दर्ज करा दिया है, जहां चुनावी तपिश के चलते हिजाब को लेकर सियासी पारा बढ़ता जा रहा है. हिजाब और हक की संवैधानिक व्याख्या हो रही है. लेकिन हिजाब को लेकर सिर्फ कर्नाटक और यूपी में ही हलचल और हंगामा नहीं हो रहा है. कर्नाटक से उठा हिजाब विवाद राष्ट्रीय आकार लेता जा रहा है या यूं कहें कि ले चुका है. शहर-शहर सड़क से लेकर कॉलेज तक मजहबी विचार, विरोध और ललकार की बयार बह रही है. कर्नाटक से उठे विवाद का आफ्टर इफेक्ट देश के कई शहरों में दिखाई दे रहा है. हिजाब के समर्थन में लोग सड़कों पर दिखाई दिए. हिजाब पहनने को मौलिक अधिकार बताया. कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में सड़क किनारे हिजाब पहनकर, हाथ में पोस्टर लेकर कतारबद्ध खड़ी ये महिलाएं एक सुर में हिजाब विरोध को उनके हक पर चोट पर बता रही हैं.
भोपाल में हिजाब पहनकर फुटबॉल खेलती नजर आईं मुस्लिम स्टूडेंट्स
हिजाब के समर्थन में सिर्फ मार्च ही नहीं निकाले जा रहे हैं बल्कि अनोखे तरीके से भी विरोध दर्ज कराया जा रहा है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुस्लिम स्टूडेंट्स हिजाब पहनकर फुटबॉल खेलती नजर आईं. इसका मकसद था ये दिखाना और साबित करना कि हिजाब किसी भी तरह उनकी राह में रोड़ा नहीं बनता है. इन लड़कियों ने सिर्फ फुटबॉल ही नहीं क्रिकेट भी खेला और क्लियर कट मैसेज दिया कि हिजाब छोड़ना किसी कीमत पर कबूल नहीं. हिजाब में फुटबॉल और क्रिकेट मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री के 8 फरवरी को दिए उस बयान के विरोध में खेला गया, जिसमें उन्होंने अगले सेशन से हिजाब पर बैन लगाने की बात की थी. विरोध हुआ तो अगले ही दिन पलट गए.
इस बीच भोपाल में लड़कियों का हिजाब-बुर्के में बुलेट और बाइक चलाते वीडियो भी वायरल हो रहा है. लेकिन विरोध का ये वीडियो खुद विवादों में आ गया है. कांग्रेस की ओर से इल्जाम लगाया गया है कि बीजेपी कुछ भी कर सकती है, क्योंकि बुलेट की नंबर प्लेट बीजेपी के झंडे के रंग में रंगी दिखाई दे रही है. हिजाब कांड पर देश में संविधान से लेकर इस्लाम तक का जिक्र हो रहा है. सियासत भी हो रही है, लेकिन हिजाब गर्ल को लेकर हिंदुस्तान से ज्यादा कोहराम पाकिस्तान में मचा हुआ है. इसकी आड़ में हिंदुस्तान एकता और भाईचारे पर चोट के लिए प्रपंच कथाओं का प्रसारण किया जा रहा है, जो कल भी जारी था और आज भी बदस्तूर जारी रहा. सरहद पार चल रही प्रोपेगेंडा फैक्ट्री ने हिजाब के विवाद को तूल देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है.
पाकिस्तानी के पत्रकारों से लेकर मौलानाओं की ब्रिगेड सब हिंदुस्तान के खिलाफ हिजाब को ग्लोबल एजेंडा बनाने में जुटे हैं. संतरी से लेकर मंत्री तक, पूरी सरकार नफरती एजेंडे पर जोर-शोर से कायम है और उसे लगातार विस्तार देने में जुटी है. बेशर्मी पर उतर चुके पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हिंदुस्तान के इंटरनल मैटर पर भारतीय दूतावास के प्रभारी को तलब किया. हिजाब कांड के बहाने पाकिस्तान सिर्फ हिंदुस्तान को बदनाम करने की ही नहीं बल्कि एकता और भाईचारे पर चोट करने की साजिश भी रच रहा है. मुस्कान को खिलाफत की पोस्टर गर्ल बनाकर पेश कर रहे हैं और लगातार जहर उगल रहे हैं. इन मोहतरमा ने तो इस ड्रामे में अपना पार्ट निभा दिया. अब बारी थी दूसरे किरदार की, जो कोई आम शख्सियत नहीं, बल्कि भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासित हैं. उन्होंने ने भी डायलॉग अदायगी में देर नहीं लगाई.
हिंदुस्तान में दूसरे मजहब से नफरत भरा नजरिया रखने का इल्जाम लगाने से पहले अब्दुल बासित शायद शर्मो-हया घोंटकर पी गए थे, क्योंकि पाकिस्तान में दूसरे धर्म के लोगों की कितनी इज्जत और सुरक्षा है, ये दुनिया जानती है. 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब 15 फीसदी थी, जो अब घटकर मात्र 2 फीसदी रह गई है. 1947 से लेकर अब तक हिंदुस्तानियों का लगातार कत्लेआम हो रहा है. उनका जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है, लेकिन पाकिस्तानियों को अपने घर की फिक्र से ज्यादा परवाह है हिंदुस्तान की बेटी मुस्कान की, जो प्रपंची पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा मार चुकी है. मुस्कान दो टूक लफ्जों में कह चुकी है कि पाकिस्तान को पहले अपनी फिक्र करनी चाहिए, लेकिन पाकिस्तान तो पाकिस्तान ठहरा भला ऐसे कैसे मानेगा. लगातार मजहबी माचिस से हिंदुस्तान में आग लगाने में जुटा है. एक ओर पाकिस्तान के हुक्मरान और उनके शागिर्द, उनके चमचे लगातार हिजाब कांड को हिंदुस्तान के खिलाफ मौका बनाने में जुटे हैं, लेकिन पाकिस्तान की असलियत क्या है, ये किसी से नहीं छुपा है.
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