Budget 2022: महज 12 घंटे बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance minister Nirmala Sitharaman) आम बजट (Budget) पेश करेंगी. जिससे देश को काफी उम्मीदें हैं. कोरोना महामारी और चुनावी सरगर्मी के बीच आ रहे इस बजट की ओर स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि, रक्षा आदि इकॉनोमी तमाम सेकटर्स टकटकी लगाए हुए हैं.आज हम आपको इस खबर के जरिए सभी पहलूओं के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही ये भी बताएंगे की चुनावों के बीच बजट का फायदा किसे मिलता है? आज राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ संसद के बजट सत्र की शुरुआत हुई. संसद में राष्ट्रपति का संबोधन युवाओं और डिजिटल इंडिया पर केंद्रित रहा.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सरकार के निरंतर प्रयासों से भारत एक बार फिर विश्व की सर्वाधिक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है. 52 मिनट के अभिभाषण में राष्ट्रपति ने किसान, ट्रिपल तलाक, सफल कोविड वैक्सीनेशन और डिफेंस सेक्टर में आत्मनर्भरता की भी बात कही. राष्ट्रपति के संबोधन के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया. जो 1 अप्रैल, 2022 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति को बताता है.
2022-23 के लिए 8 से 8.5 फीसदी विकास दर का अनुमान
इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 8 से 8.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया गया है जबकि 2021-22 में रीयल टर्म ग्रोथ 9.2% रहने का अनुमान है 2021-22 में एग्रीकल्चर ग्रोथ 3.9%. सर्विस सेक्टर में 2021-22 में 8.2% ग्रोथ और सबसे ज्यादा 2021-22 में इंडस्ट्रियल सेक्टर में 11% ग्रोथ रहने का अनुमान है. दरअसल, आर्थिक सर्वेक्षण को बजट की परछाईं भी कहा जाता है. इकोनॉमिक सर्वे में ये साफ हो जाता है कि चालू वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमी का परफॉर्मेंस कैसा रहा. बहरहाल बजट को लेकर जो अनुमान और उम्मीदें हैं वो भी महज 12 घंटे बाद क्लियर हो जाएंगे. कल यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चौथी बार बजट पेश करेंगी, जो मोदी सरकार का दसवां बजट होगा.
130 करोड़ देशवासियों की नजर बजट पर
आपको ये भी बता दें कि आज बजट सत्र में शामिल होने पीएम मोदी भी संसद पहुंचे. बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री ने मीडिया से बातें की..सभी सांसदों से बजट सत्र में शामिल होने की अपील की. कहा कि चुनाव आते-जाते रहेंगे. लेकिन बजट सत्र साल का खाका खींचता है. लिहाजा इसे फलदायी बनाएं. मतलब लोकतंत्र की तरक्की के लिए जितना जरूरी चुनाव है. उतना ही देश की तरक्की के लिए संसद की कार्यवाही. लेकिन इस वक्त 130 करोड़ देशवासियों की नजर बजट पर है. चुनावी सीज़न में लोग ये उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वित्त मंत्री के पिटारे से कुछ सरप्राइज़ गिफ्ट निकल जाए. महंगाई, कृषि, रक्षा, स्वास्थ, रोजगार, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, टैक्स ऐसे कई सेकटर्स हैं. जो इस बजट से बूस्टर डोज की आस लगाए बैठे हैं.हालांकि इसकी तस्वीर तभी साफ होगी जब कल यानी एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. लेकिन कोरोना महामारी और चुनावी दंगल के बीच जिन घोषणाओं और राहत पैकेज की उम्मीद की जा रही है. उस बजट फाइल हम अभी पलटकर देख लेते हैं. दरअसल, आम आदमी को आयकर में छूट मिले करीब 8 साल हो चुके हैं. मोदी सरकार ने साल 2014 में आयकर छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी थी. ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस बार बजट में टैक्स स्लैब में बदलाव कर टैक्सपेयर्स को राहत दे सकती है.
बजट 2022 से उम्मीदें
जानकार भी अनुमान लगा रहे हैं कि मूल आयकर छूट सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख तक किया जा सकता है.वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स स्लैब मौजूदा 3 लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख करने की संभावना है. बजट 2022 से उम्मीदें ये भी हैं कि लाइफ इंश्योरेंस को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C से बाहर किया जा सकता है और इंश्योरेंस सेक्टर के लिए कोई एक लिमिट बढ़ाई जा सकती है. लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम इंश्योरेंस दोनों को नई कैटेगरी के तहत जोड़ा जा सकता है या फिर 80C की लिमिट को ओवरऑल बढ़ाया जा सकता है. ऐसा होने पर लगभग ज्यादातर करदाताओं को बड़ा फायदा होगा. इस बार के बजट में इंश्योरेंस या मेडिक्लेम प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी कम करने की उम्मीद भी करदाताओं को है..वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर है कि बजट 2022 में इसका ऐलान हो सकता है. बीमा प्रीमियम पर लगाए जा रहे 18 फीसदी जीएसटी को कम करके 5 फीसदी तक किया जा सकता है. जीएसटी कम करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीमा योजनाओं को चुनने का प्रोत्साहित किया जा सकता है. देश की इकोनॉमी का ड्राइवर यानी एमएसएमई यानी सूक्ष्म, छोटे और मंझोले इंडस्ट्री भी GST कम करने की मांग कर रही है क्योंकि कोरोना में सबसे ज्यादा प्रभावित यही सेक्टर रहा. करीब साढ़े छह करोड़ MSME वाली इंडस्ट्री ने उत्पादन में गिरावट, नौकरियों में कमी.राजस्व में कटौती हर झटके को सहा लेकिन अब इसमें जीएसटी कटौती के जरिए राहत की मांग हो रही है.
इन राज्यों में बजट के आगे पीछे चुनाव होते हैं
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल, पुडुचेरी, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, ओडिशा, सिक्किम, आंध्रप्रदेश और अरुणाचल प्रदेश. ये वो 14 राज्य हैं जहां आम-बजट के आगे पीछे ही चुनाव होते हैं. लेकिन जो चुनाव परिणाम आते हैं. वो चौंकाने वाले होते हैं. एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, आम बजट के ठीक बाद हुए 42 चुनावों में से 18 में उस पार्टी की सरकार नहीं बनी जो पहले से सत्ता में थी.13 चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा हुआ और 11 बार बजट का चुनाव नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा. चौंकाने वाली बात ये भी है कि जिन 18 चुनावों में नुकसान हुआ. उनमें से 15 बार कांग्रेस और 3 बार बीजेपी को झटका लगा. वहीं जिन 13 चुनावों में फायदा हुआ. उनमें 9 बार बीजेपी और 4 बार कांग्रेस की हिस्सेदारी रही.
ये भी पढ़ें-