इतिहास बन गया ट्विन टावर, अस्तित्व में आने और अंत की कहानी, पढ़ें आगे क्या?

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Twin Tower

नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार दोपहर धराशायी कर दिया गया. अवैध रूप से निर्मित इन ढांचों को ध्वस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई. लगभग 100 मीटर ऊंचे ढांचों को विस्फोट कर चंद सेकेंड में गिरा दिया गया. दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुब मीनार से भी ऊंचे ट्विन टावर को वाटरफॉल इम्प्लोजन तकनीक की मदद से गिराया गया. ट्विन टावर को ध्वस्त किए जाने के कुछ मिनट बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं. इमारतों को ध्वस्त करने के लिए 3700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया. आइए एक नजर डालते हैं ट्विन टावर के अस्तित्व में आने और उसके अंत की कहानी पर.

  1. नोएडा में रविवार को सुपरटेक के 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को ध्वस्त कर दिया गया. लोगों ने अवैध रूप से निर्मित इन ढांचों के खिलाफ की गई कार्रवाई को सही ठहराते हुए इस कदम की तारीफ की. इन इमारतों को विस्फोट कर ध्वस्त किए जाने से पहले ट्विन टावर के चारों ओर 500 मीटर के दायरे में आम लोगों को जाने की परमिशन नहीं थी.
  2. ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित थे. इन ढांचों को ध्वस्त किए जाने से पहले इनके पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब 5,000 लोगों को वहां से हटा दिया गया. इसके अलावा करीब 3,000 वाहनों तथा बिल्ली और कुत्तों समेत 150-200 पालतू जानवरों को भी हटाया गया.
  3. उत्तर प्रदेश के नोएडा में सुपरटेक ट्विन टॉवर में और उनके आसपास रहने वाले कम से कम 40 लावारिस कुत्तों को रविवार को इमारतें ढहाने से पहले गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित अस्थायी शिविरों में ट्रांसफर किया गया. एक एनजीओ ने अनुरोध किया था कि इमारतें गिराए जाने से पहले सांकेतिक रूप से विस्फोट की आवाज की जाए ताकि क्षेत्र के पक्षियों को बचाया जा सके.
  4. ट्विन टावर को गिराने का कार्य करने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के एक अधिकारी ने बताया कि एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के आसपास मौजूद आवासीय इमारतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. एडिफिस, दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) और नोएडा के अधिकारी ट्विन टावर के पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज की इमारतों का संरचनागत विश्लेषण कर रहे हैं.
  5. नोएडा में रविवार को ट्विन टावर को ध्वस्त करने के दौरान आस-पास के इलाकों में 101.2 डेसिबल की ध्वनि दर्ज की गई. अधिकारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने परिवेशीय शोर को मापने के लिए छह मशीनें लगाई थीं और इस माप के लिए ट्विन टावरों के निकटतम तीन स्थानों के आंकड़े लिए गए थे. तीन मशीनों को पार्श्वनाथ प्रेस्टीज, बारात घर और सिटी पार्क में लगाया गया था.
  6. नोएडा में सुपरटेक समूह के ट्विन टावर को रविवार को ध्वस्त करने में केवल 12 सेकेंड का समय लगा. जेट डिमोलिशन्स कंपनी के प्रबंध निदेशक जो ब्रिंकमैन ने यह जानकारी दी. एडिफिस इंजीनियरिंग ने दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमोलिशन्स कंपनी के सहयोग से ट्विन टावर को ध्वस्त करने के कार्य को अंजाम दिया.
  7. नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार दोपहर ध्वस्त किए जाने के बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं. हालांकि, नजदीक ही स्थित एक सोसायटी की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कई अपार्टमेंट में खिड़कियों के शीशे भी चटक गए. अधिकारियों ने कहा कि गिराए गए ढांचे से गुजरने वाली गेल लिमिटेड की एक गैस पाइपलाइन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
  8. अनुमान के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद इससे उत्पन्न हुए 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 में ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जिले के अधिकारियों की सांठगांठ के साथ भवन नियमों का उल्लंघन किया गया.
  9. शीर्ष अदालत ने कहा था कि अवैध निर्माण से कठोरता से निपटने की जरूरत है ताकि कानून का शासन का अनुपालन सुनिश्चित हो सके. मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को 28 अगस्त को ट्विन टावर को गिराने का कार्य सौंपा गया था. कंपनी ने इस जोखिम भरे कार्य के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स के साथ एक करार किया था. शीर्ष न्यायालय द्वारा सीबीआरआई को परियोजना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था.
  10. एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमॉलिशन्स ने इससे पहले 2020 में कोच्चि (केरल) स्थित मराडू कॉम्प्लेक्स को ढहाया था, जिसमें 18 से 20 मंजिलों वाले चार आवासीय भवन थे. साल 2019 में जेट डिमॉलिशन्स ने जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में बैंक ऑफ लिस्बन की 108 मीटर ऊंची इमारत को ढहाया था.
  11. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार दोपहर 2.30 बजे करीब 100 मीटर ऊंचे एपेक्स और सेयेन टावरों को गिरा दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट परिसर के अंदर इन दो टावरों के निर्माण में मानदंडों का उल्लंघन पाया था. टावरों को ध्वस्त करने में 3700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया.
  12. 2011 में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन टावरों के निर्माण के दौरान उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट मालिक अधिनियम, 2010 का उल्लंघन किया गया है. इसके मुताबिक केवल 16 मीटर की दूरी पर स्थित दो टावरों ने कानून का उल्लंघन किया था.
  13. 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए मामला आने से पहले नोएडा प्रशासन ने 2009 में दायर योजना (40 मंजिलों वाले दो अपार्टमेंट टावर) को मंजूरी दे दी थी. इस मामले में अप्रैल 2014 में फ़ैसला रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पक्ष में आया था.
  14. इसी के तहत इन टावरों को गिराने का आदेश भी जारी किया गया था. यह भी आदेश दिया गया कि सुपरटेक को टावर गिराने का खर्च वहन करना चाहिए और उन लोगों को 14 फीसदी ब्याज के साथ पैसा वापस करना चाहिए जिन्होंने यहां पहले से ही घर खरीदा है.
  15. उसी साल मई में सुपरटेक ने फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि निर्माण कार्य उचित मानदंडों के मुताबिक ही किया गया है. अगस्त 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि नियमों का उल्लंघन किया गया था.
    नतीजतन 28 अगस्त 2022 ट्विन टावरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया.
  16. नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित विवादास्पद ट्विन टावर को आज दोपहर 2.30 बजे गिरा दिया गया. ट्विन टावर गिराने जाने के बाद सुपरटेक ने बयान जारी कर करीब 500 करोड़ के नुकसान की बात कही है.
  17. सुपरटेक ने रविवार को यह भी कहा कि ट्विन टावर का निर्माण नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी की मंजूरी मिलने के बाद ही किया गया था और इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी. रियल एस्टेट फर्म ने कहा कि ट्विन टावर के ध्वस्त होने से उनकी दूसरी रियल एस्टेट परियोजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. समय से खरीदारों को घर दिए जाएंगे.
  18. ट्विन टावर के ध्वस्त होने के बाद नोएडा अथॉरिटी के सामने कई चैलेंज हैं, जिसमें सबसे बड़ा चैलेंज मलबे को हटाना है. इसके अलावा सोसाइटी के आसपास सफाई और लोगों की घर वापसी भी उसके लिए बड़ा चैलेंज है.
  19. डिमोलिशन साइट पर अथॉरिटी ने पानी के छिड़काऊ, मकैनिकल स्वीपिंग और स्मॉग गंस लगाई हैं, ताकि धूल से हवा की क्वालिटी ख़राब न हो. यहां प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए एक स्पेशल डस्ट मशीन भी लगाई गई है.
  20. ट्विन टावर गिरने के बाद अधिकारियों ने बताया कि ट्विन टावर के पास स्थित एटीएस सोसायटी की 10 मीटर बाउंड्री वॉल को नुकसान पहुंचा. इस पर नोएडा अथॉरिटी ने कहा कि जो भी छोटे-बड़े नुकसान होंगे, उसकी भरपाई वह खुद करेगी.
  21. ट्विन टावर को ढहाने के बाद तीन मंजिला ऊंचे मलबे को हटाना नोएडा अथॉरिटी के लिए बड़ा चैलेंज है. लेकिन इस बात का हल डिमोलीशन से पहले ही तय हो गया था. ट्विन टावर के मलबे को नोएडा कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में ट्रांसपोर्ट किया जाएगा. इस प्रक्रिया में तीन महीने का समय लगेगा. अनुमान है कि मलबे से 4000 टन लोहा निकलेगा.

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