तमिलनाडु के एक गांव तिरुचिरापल्ली से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक स्थानीय निवासी ने अपनी बेटी की शादी के लिए जमीन बेचना चाहता था. जब उसने जमीन बेचने की कार्रवाई आगे बढ़ाई तो उसको गहरा सदमा लगा. उसको पता चला कि उसकी जमीन वक्फ बोर्ड की है. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली स्थिति तब बनी जब जांच आगे हुई. आगे की पूछताछ के बाद पूरा गांव पर वक्फ बोर्ड की मालकियत का बताया गया. जिसको भी इस बात की भनक लगी वो हैरान रह गया. जिस घर और गांव में दशकों से लोग रह रहे हैं उसपर वक्फ बोर्ड का दावा चिंता करने वाला है.
रिपोर्टों के अनुसार एन राजगोपाल तिरुचिरापल्ली जिले के थिरुचेंदुरई गांव में अपनी कृषि भूमि बेचना चाहते थे. लेकिन उन्हें बताया गया कि उनके पास 1.2 एकड़ जमीन तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की है और अगर वह इसे बेचना चाहते हैं, तो वह बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना होगा. आगे पूछताछ की तो पता चला कि तिरुचेंदुरई का पूरा गांव वक्फ बोर्ड का है. मजे की बात यह है कि गांव एक हिंदू-प्रधान क्षेत्र है लेकिन राजगोपाल का कहना है कि दोनों समुदाय यहां शांति और सद्भाव से रहते हैं.
1996 में राजगोपाल ने खरीदी थी जमीन
मीडिया से बात करते हुए राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने 1996 में गांव में जमीन का एक टुकड़ा खरीदा था और तब यह वक्फ बोर्ड की जमीन नहीं थी. ग्रामीणों ने आज बोर्ड के साथ बातचीत की लेकिन गतिरोध के बाद बातचीत बंद कर दी गई. उन्होंने आगे मीडिया को बताया कि उनके पास जमीन के सारे दस्तावेज हैं लेकिन जब उन्होंने इसे बेचना चाहा तो रजिस्ट्रार ने उन्हें बताया कि यह वक्फ बोर्ड का है और इसे बेचने के लिए उन्हें इससे अनुमति लेनी होगी.
हिंदू बहुल है गांव
राजगोपाल ने जोर देकर कहा कि वह अपनी बेटी की शादी के लिए जमीन बेचना चाहते हैं. लेकिन शादी रुक गई है क्योंकि वह इसका खर्च उठाने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं आत्महत्या करना चाहता था. मैं अस्वस्थ हूं.” तिरुचेंथुरई तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली जिले में कावेरी नदी के तट पर स्थित एक गांव है. इसी गांव में चंद्रशेखर स्वामी का 1500 साल पुराना मंदिर है और यह मंदिर 369 एकड़ जमीन पर बना हुआ है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि मंदिर की यह भूमि वक्फ बोर्ड से संबंधित कैसे हो सकती है.
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