
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को पांच साल के लिए बैन कर दिया है. पीएफआई पर संगीन आरोप हैं. पीएफआई से जुड़े लोग कई प्रदेशों में बर्बर हत्याओं में लिप्त पाए गए हैं. पीएफआई के आपराधिक हिंसक कृत्यों में एक कॉलेज के प्रोफेसर का अंग काटना भी शामिल है. इसके अलावा संगठन पर आरोप है कि उसने अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्याएं करवाईं. पीएफआई का लिंक सिमी, आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों से भी मिला है.
गृह मंत्रालय की ओर जारी गजट में बताया गया है कि पीएफआई कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल है. इस संगठन ने देश की संवैधानिक सत्ता के प्रति अनादर दिखाया. PFI को बाहर (विदेश) से फंड और वैचारिक समर्थन मिल रहा था. इससे जुड़े लोगों ने केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में कई हत्याएं की. सरकार ने बताया कि पीएफआई देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुका है. पीएफआई के बारे में सरकारी जांच एजेंसियों ने पाया कि इस संगठन के वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों के कई उदाहरण हैं. इतना ही नहीं इसके कुछ कार्यकर्ता इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) में शामिल हो गए हैं.
इन लोगों की हुईं बर्बर हत्याएं
PFI कैडरों ने सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों में भाग लिया. ISIS से जुड़े कुछ पीएफआई कैडर लड़ाई में मारे भी गए हैं. पीएफआई मेंबरों पर संजीत (केरल, नवंबर, 2021), वी.रामलिंगम, (तमिलनाडु, 2019), नंदू (केरल, 2021), अभिमन्यु (केरल, 2018), बिबिन (केरल, 2017), शरथ (कर्नाटक, 2017), आर. रुद्रेश (कर्नाटक, 2016), प्रवीण पुजारी (कर्नाटक, 2016), शशि कुमार (तमिलनाडु, 2016), प्रवीण नेतरु (कर्नाटक, 2022) की हत्याओं को मामले पहले से ही दर्ज हैं.
टेरर लिंक के पुख्ता सबूत
केंद्र सरकार ने इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI पर बड़ा एक्शन लेते हुए बैन कर दिया है. सरकारी गजट में जारी नोटिफिक्शन में PFI पर पांच साल के बैन लगाया गया है. पीएफआई के खिलाफ छापेमारी में टेरर लिंक के सबूत मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है. PFI के साथ ही उसके मददगार संगठनों पर भी बैन लगा दिया गया है. देश विरोधी गतिविधियों के आरोपों के बाद बीते एक हफ्ते के दौरान देशभर के 15 राज्यों में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी हुई थी. एनआईए और ईडी ने PFI के ठिकानों पर दबिश दी थी.
22 सितंबर को पहली बार रेड
मंगलवार को दिल्ली और केरल समेत कई राज्यों में हुई एनआईए रेड में पीएफआई से जुड़े 200 से ज्यादा संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई थी. जबकि 22 सितंबर को 15 राज्यों में हुई छापेमारी में 106 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. पीएफआई लंबे वक्त से जांच एजेंसियों के रडार पर थी. इसकी गतिविधियों को लेकर लंबे वक्त से सवाल उठाए जा रहे थे. कल हुई छापेमारी में गिरफ्तार आरोपियों और रेड में मिले संदिग्ध दस्तावेजों से पीएफआई पर बैन तय माना जा रहा था. अब एजेंसियों गिरफ्तार आरोपियों से उनकी फंडिंग और टेरर लिंक की पूछताछ कर रही हैं.
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