लाल बहादुर शास्त्री: अमेरिकी राष्ट्रपति को दिया था करारा जवाब, पाई- पाई का रखते थे हिसाब

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Lal Bahadur Shastri Jayanti 2022 How He His Strategy Defeated To Pakistan

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ- साथ आज पूरा देश दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा है. लेकिन बहुत कम लोगों को ही मालूम होगा कि लाल बहादुर शास्त्री आजाद भारत के ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने अपने 2 साल के कार्यकाल में ऐसा कार्य कर दिया जिसे याद कर देशवासियों का सीना आज भी फक्र से चौड़ा हो जाता है. आज हम लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ीं कुछ ऐसी घटनाओं की चर्चा करने जा रहे हैं, जिसने पांच फीट 2 इंच लंबे शास्त्री जी का कद हिमालय के समान ऊंचा और अडिग बना दिया.

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को हुआ था. उन्होंने 1964 से 1966 तक स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं. पर इतने साल बीत जाने के बाद भी उनके अदम्य साहस और बुलंद निर्णयों के लिए आज भी याद किया जाता है. खास बात यह है कि उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू के अधीन गृह मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया था. लेकिन 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके द्वारा दिया गया “जय जवान जय किसान” का नारा आज भी बहुत लोकप्रिय है. साथ ही शास्त्री जी अपने योजना कौशल के लिए भी जाने जाते थे. उन्होंने भारत में ‘श्वेत क्रांति’ और ‘हरित क्रांति’ जैसी पहलों को बढ़ावा दिया, जिससे देश में खाद्य उत्पादन को बढ़ावा मिला. शास्त्री जी के विचार और दर्शन स्वामी विवेकानंद, एनी बेसेंट और महात्मा गांधी जैसे व्यक्तित्वों से प्रभावित थे.

राष्ट्रपति लिंडन जॉन्सन ने दी धमकी

अगर शास्त्री जी के उन निर्णयों के बार में बात करें जिसने देश के युवा, महिला और बुजुर्ग सहित सभी वर्ग के लोगों को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया था, तो उसमें देशवासियों से हफ्ते में एक वक्त भोजन नहीं करने की अपील थी. दरअसल, 1965 की लड़ाई के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति लिंडन जॉन्सन ने लाल बहादुर शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की तो हम आपको पीएल 480 के तहत गेहूं भेजना बंद कर देंगे. खास बात यह है कि उस समय भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था. लिंडन जॉन्सन की इस धमकी ने शास्त्री जी को अंदर तक झकझोड़ कर रख दिया. उन्होंने देशवासियों से कहा कि अब हम हफ्ते में एक वक्त का भोजन नहीं करेंगे. ऐसे में हमें अमरीका से गेहूं लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

भूखे रहने वाले अपने फॉर्मूले को पहले खुद के ऊपर अप्लाई किया

लेकिन अहम बात यह है कि शास्त्री जी ने एक वक्त भूखे रहने वाले अपने फॉर्मूले को पहले खुद के ऊपर अप्लाई किया था. इसके बाद उन्होंने देशवासियों से हफ्ते में एक वक्त का खाना नहीं खाने की अपली की. कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पत्नी ललिता शास्त्री से कहा कि हम लोग आज एक वक्त का खाना नहीं खाएंगे, क्या आप ऐसा कर सकती हैं? क्योंकि कल मैं देशवासियों से एक वक्त का खाना नहीं खाने की अपील करने जा रहा हूं. लेकिन जब उन्होंने अपने परिवार के साथ एक वक्त खुद भूखे रहकर देख लिया, तो उन्होंने देशवासियों से भी ऐसा करने की अपली की.

घर में लाइट ऑफ रहती थी

एक ऐसा ही बिजली बिल को लेकर उनसे जुड़ा एक और वाकया है. दरअसल, 1963 में कामराज योजना के तहत शास्त्री को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा. ऐसे में बिजली बिल का बोझ कम करने के लिए उन्होंने अपने घर में पावर का प्रयोग कम कर दिया. वे पूरे घर में ड्रॉइंग रूम को छोड़ कर हर जगह की लाइट बुझा देते थे. तब एक पत्रकार ने उनसे ऐसे करने का कारण पूछा तो था उन्होंने कहा था कि अब से मुझे इस घर के बिजली का बिल अपनी जेब से देना पड़ेगा. इसलिए मैंने ड्रॉइंग रूम को छोड़ हर जगह की लाइट बुझा दी है.

अखबारों के लिए लिखते थे लेख

एक और अन्य घटना में शास्त्री जी को सांसद रहते हुए अपने घर का खर्चा उठाना मुश्किल हो रहा था. तब सैलरी महज 500 रुपये थी. तब उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स ,अमृतबाजार पत्रिका और टाइम्स ऑफ इंडिया में लेख लिखना शुरू कर दिया. उन्हें एक लेख के 500 रुपये मिलते थे. इस तरह उनकी 2000 रुपये की अतिरिक्त कमाई होने लगी. ऐसा करके उन्होंने अपने घर का खर्चा उठाया.

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