केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दो पत्रकारों को पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग का आरोप लगाते हुए कोच्चि में प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर कर दिया. खान ने तब तक मीडिया से बातचीत नहीं की जब तक कि माकपा नियंत्रित ‘कैराली न्यूज’ और कोझीकोड के मीडिया वन के पत्रकारों को वहां से हटा नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, मैं उन लोगों से बात करने में सक्षम नहीं हूं जो मीडिया के रूप में वास्तव में पार्टी कैडर हैं. मैं कैराली से कोई बात नहीं करूंगा. अगर कैराली यहां होगा तो मैं चला जाऊंगा.
उन्होंने कहा, मुझे आशा है कि यहां कोई भी मीडिया वन से नहीं है. मैं आपसे (मीडिया वन से) बात नहीं करना चाहता. बाहर निकलो. मैं आपसे बात नहीं करूंगा और मैं कैराली से बात नहीं करूंगा. कृपया… यदि यहां कोई मीडिया वन और कैराली से है तो कृपया यहां से चले जाएं. नाराज दिख रहे खान ने दावा किया कि मीडिया वन शाह बानो मामले को लेकर उनसे केवल बदला ले रहा है. उन्होंने कहा, आप (मीडिया वन) मेरे खिलाफ अभियान चला रहे हैं.
पत्रकारों को राजभवन से गया था न्योता
जब कुछ अन्य पत्रकारों ने कहा कि राजभवन के पीआरओ ने कार्यक्रम स्थल पर सभी को आमंत्रित किया गया है या अनुमति दी गई है, तो राज्यपाल ने कहा, कोई गलती हो सकती है. खान ने कहा, मैंने बार-बार घोषणा की है कि मैं कैराली से बात नहीं करूंगा, मैं मीडिया वन से बात नहीं करूंगा. वे मेरे खिलाफ पूरी तरह से झूठ के आधार पर अभियान चला रहे हैं. अगर राजभवन से किसी ने कोई चूक की है, तो मैं निश्चित रूप से इस पर गौर करूंगा.
दो पत्रकारों को किया बाहर
खान ने कहा, हालांकि मैंने स्पष्ट कर दिया है कि मैं कैराली या मीडिया वन से बात नहीं करूंगा. इसे बार-बार स्पष्ट किया है. वे मूल रूप से राजनीतिक लोग हैं जो मीडिया का मुखौटा लगा रहे हैं. राज्यपाल के कुछ मीडिया घरानों को बाहर करने को अस्वीकार्य, अलोकतांत्रिक और अनुचित करार देते हुए और आलोचना करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि प्रेस के एक वर्ग को छांटकर, खान जानकारी को लोगों तक पहुंचने से रोक रहे हैं.
राज्यपाल की चुनौती
कोच्चि में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि वो 15 नवंबर को राजभवन तक माकपा मार्च की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही है. गंभीर परिणामों से उनका क्या मतलब है? मैं इसका सामना करने के लिए तैयार हूं. उन्हें आने दो… मैं उनके धरने के लिए तैयार हूं. लेकिन मेरा अनुरोध है कि आप (सीपीएम) इसे 15 नवंबर को न रखें, क्योंकि मैं उस दिन राजभवन में नहीं हूं. जिस दिन मैं वहां पर मौजूद रहूं उस दिन कार्यक्रम रखिएगा. आरिफ मोहम्मद खान से माकपा को सार्वजनिक बहस की चुनौती दी.
विपक्षी पार्टियों का हंगामा
उन्होंने एक बयान में कहा, मीडिया को बाहर करना फांसीवादी व्यवस्था की एक शैली है. यह न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन भी है. सतीशन ने दावा किया, यहां तक कि कांग्रेस समर्थित जयहिंद टीवी को भी कार्यक्रम स्थल तक जाने से रोक दिया गया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पद पर बैठे व्यक्ति को मीडिया सहित किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल सहित उच्च पदों पर आसीन लोगों को इस तरह के कृत्यों से अपने पद की गरिमा को धूमिल नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, जिसने भी मीडिया को कार्यक्रम स्थल से जाने के लिए कहा, वह अलोकतांत्रिक था.
ये फांसीवादी कदम- गोविंदन
वहीं माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने कहा कि आमंत्रित किए जाने के बाद कुछ मीडिया घरानों को संवाददाता सम्मेलन से बाहर करना, एक ‘फांसीवादी’ कदम है. उन्होंने एक बयान में कहा कि वाम दल इस तरह के कदमों का विरोध करेगा और इन तरीकों से केरल की सरकार और लोगों को डराने-धमकाने के प्रयास सफल नहीं होंगे. उन्होंने कहा, राज्यपाल ने पहले भी ऐसा ही रुख अपनाया है. उनकी आलोचना करने वालों को कैडर कहा जाता है. यह लोकतांत्रिक समाज में अस्वीकार्य है. माकपा के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने भी राज्यपाल को ‘तानाशाह’ करार देते हुए कुछ मीडिया समूहों को बाहर करने की आलोचना की. राज्यपाल के फैसले पर सांसद ने कहा कि केरल में एक तानाशाह का जन्म हुआ है. ब्रिटास ने कहा कि खान ने अनुमति लेने के बाद संवाददाता सम्मेलन में शामिल होने आए मीडिया का अपमान किया और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए.