1990 के दशक में पंजाब के साथ-साथ देश के कई कोने खालिस्तान समर्थकों की लगाई आग से जूझ-झुलस रहे थे. धीरे-धीरे वो दौर हिंदुस्तानी एजेंसियों ने दूर किया, तो इसी पंजाब की जमीन पर शुरू हुआ गुंडों मवालियों का दौर. गैंगस्टर, शार्प शूटर्स और कॉन्ट्रैक्ट किलर्स का दौर. ड्रग माफिया का दौर. रातों-रात घर बैठे धन्नासेठ बनने के लालच-ललक का दौर. वो दौर जिसने पंजाब की युवा पीढ़ी को न केवल अपराध की अंधी गलियों में धकेला, अपितु साथ ही साथ ड्रग के सेवन और उसकी तस्करी में भी स्थानीय युवा पीढ़ी धकेल दी गई.
जब पंजाब का युवा राह से भटका तो राज्य की अति की महत्वाकांक्षी युवा पीढ़ी तेज गति से पतन की ओर लुढ़कने लगी. यह खबरें भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान (जिसकी कई सीमाएं पंजाब से जुड़ती हैं) के कानों तक पहुंची तो उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कान खड़े हो गए. क्योंकि आईएसआई के ऊपर तब तक भारतीय एजेंसियों का शिकंजा बुरी तरह से कस चुका था. यहां तक की हिंदुस्तान ने पाकिस्तान से होने वाली आतंकवादियों की घुसपैठ पूरी तरह बंद कर डाली.
पाकिस्तानी की घिनौनी करतूत
लिहाजा ऐसे में पंजाब की बिगड़ती युवा पीढ़ी को ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने, भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की जुगत तलाश ली. मतलब, भारत के खिलाफ भारत में भारत के ही (पंजाब राज्य के) युवाओं का इस्तेमाल. इस बारे में बात करने पर पंजाब (भारत-पाकिस्तान की सीमा पर) में कई साल हिंदुस्तानी खुफिया एजेंसी में तैनात रह चुके एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने टीवी9 भारतवर्ष से कहा,”पंजाब के युवाओं की मजबूरी समझिए या फिर जरूरत, पड़ोसी देश की एजेसियों (पाकिस्तान) ने हमारे बच्चों का हाथों-हाथ लेना शुरू कर दिया. फिर चाहे वो पाकिस्तान में छपी जाली भारतीय करेंसी को हमारी हदों में (भारतीय सीमा में) पहुंचाने का मसलहा हो या फिर ड्रग अथवा हथियारों की सप्लाई (तस्करी).”
पूर्व खुफिया अधिकारी की मानें तो…
इन्हीं पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी के मुताबिक, “अब तो सुना है कि हमारे बच्चों का पाकिस्तान ड्रग सप्लाई में भी दबे पांव इस्तेमाल कर रहा है. चूंकि जमीन पर हमारी सुरक्षा एजेंसियों का पहरा सख्त है. इसलिए अब दुश्मन देश ड्रोन से हमारी सीमाओं में हथियार और ड्रग फेंक जा रहे हैं. जिन्हें पंजाब की सीमा में मौजूद हमारे ही पटरी से उतरे कुछ युवा ले लेते हैं. और फिर वे उससे मुनाफा कमाते हैं. इनमें लॉरेंस बिश्नोई हो या फिर गोल्डी बराड़. यह खुद भले सीधे तौर पर इन काले कामों में इनवाल्व न हों. मगर इनके गुर्गे-गुंडे दुश्मन देश की खुफिया एजेंसी के हाथ में खेल रहे हैं.
रातों-रात अमीर बनने का लालच
कई तो पकड़े भी गए हैं. जब पंजाब की सीमा के अंदर जन्मे गैगस्टर्स को लगा कि यहां वे जल्दी पकड़ लिए जाएंगे, तो उन्होंने विदेशों में जाकर शरण ले ली. यह बात मैं मीडिया खबरों के मुताबिक ही कह रहा हूं, न कि पुष्ट रूप से. मतलब कह सकता हूं कि कहीं न कहीं गोल्डी बराड़ लॉरेंस बिश्नोई से गैंगस्टर, किसी न किसी के हाथों में खेल तो रहे हैं.” दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी एल एन राव के मुताबिक, “लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़. दविंदर बंबिहा गैंग आज भी अपनी क्राइम की दुनिया हो हर जगह से आबाद किए हुए हैं. यह खुद तो सीधे आकर कुछ नहीं करते हैं. मगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड हो या फिर सलमान खान को जान से मारने की धमकीबाजी.
गोल्डी की गिरफ्तारी पर खुश न हों
सबमें इन्हीं कुछ गैंग्स का नाम हर बार निकल कर सामने आ रहा है. इनके पाले हुए गुंडे शार्प शूटर इनसे हासिल मोटी रकम के बलबूते किसी का भी काम तमाम करने को तैयार बैठे हैं. गोल्डी बराड़ की गिरफ्तारी पर खुश होने की जरूरत नहीं है. इस बात की चिंता कीजिए कि उसे हिंदुस्तानी जेलों के भीतर कौन और कैसे काबू रखेगा? अभी तो वो विदेश में बैठकर सिद्धू मूसेलावाला सी दिल दहलाने वाली कॉन्ट्रैक्ट किलिंग को दब-छिपकर अंजाम दिलवा रहा था. अब जब वो खुद ही हिंदुस्तानी जेलों में आकर बंद हो जाएगा तब सोचिए, उसे कौन और कैसे काबू रखेगा? “