बड़ा खतरा! तवांग ही नहीं कई और जगहों पर है ड्रैगन की बुरी नजर, हमले बढ़ा सकता है चीन

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Indian Army (2)

अरुणाचल प्रदेश में तवांग के बाद चीन अन्य इलाकों पर भी हमला कर सकता है. चीनी सेना के नापाक इरादे साफ नजर आ रहे हैं. तवांग में भारतीय सेना मजबूत स्थिति में हैं. जानकारी के मुताबिक LAC पर दो से तीन जगहों पर झड़प की आशंका जताई जा रही है. LAC पर सभी यूनिट्स को ऑपरेशनल अलर्ट पर रखा गया है. पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक सेना अलर्ट मोड में है. एलएसी पर चीन फिर से हमला कर सकता है. भारतीय जवान पूरी तरह से हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं.

अब जो जानकारी सामने आ रही है चीन तवांग से अलग कहीं और हमला कर सकता है. भौगोलिक तौर से ज्यादा मजबूत इलाके में चीनी सेना टेंशन पैदा कर सकती है. तवांग में भारतीय सेना ज्यादा मजबूत स्थिती में है.यहां पर बोफोर्स, हॉवित्जर जैसी तोपें पहले से तैनात हैं. अगर यहां पर चीन कुछ भी करता है तो उसको बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. इसलिए अब ड्रैनन की नजरें ऐसे इलाके पर है जहां पर सेना की मौजूदगी कम हो और इसका फायदा ये उठा सके. भारतीय सेना ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. तीनों सेनाएं अलर्ट मोड पर हैं.

9 दिसंबर को हुई झड़पें

9 दिसंबर को पीएलए के सैनिकों ने LAC पर पहुंचने की कोशिश की जिसका भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता से जवाब दिया. इस आमने-सामने की झड़प में दोनों तरफ के कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं हैं. इसके तुरंत बाद दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति पर लौट गए. दोनों देशों क एरिया कमांडरों ने फ्लैग मीटिंग करके सीमा पर शांति बनाए रखने पर चर्चा की.

पूरी तैयारी के साथ आए थे चीनी सैनिक

खबर है कि करीब 300 चीनी सैनिक पूरी तैयारी के साथ आए थे, जिन्हे भारतीय सेना ने खदेड़ दिया. वैसे तो पूरे अरुणाचल प्रदेश पर ही चीन अपना दावा करता रहा है लेकिन तवांग को लेकर हमेशा से ही कुछ ज्यादा ही परेशान रहता है. तवांग में बौद्ध धर्म की जड़े काफी गहरी हैं. छठे दलाई लामा की जन्मस्थली होने की वजह से भी तवांग का बौद्ध धर्मावलंबियों के बीच अपना खास महत्व है. चीन इस आधार पर तवांग को अपने करीब समझता है.

1987 में भी टकराव

1987 में भी इस इलाके में भारत-चीन के बीच टकराव देखने को मिला था. ये टकराव तवांग के उत्तर में समदोरांग चू इलाके में हुआ था. 1986 की गर्मियों में चीन ने समदोरांग चू के भारतीय इलाके में अपनी पैठ बना ली थी. भारत ने चीन को अपने सीमा में लौट जाने के लिए कहा, लेकिन चीन मानने को तैयार नहीं था. भारतीय सेना ने ऑपरेशन फाल्कन चलाया .लद्दाख से लेकर सिक्किम तक भारतीय सेना तैनात हो गई. हालात काबू में आ गए और जल्द ही दोनों देशों के बीच बातचीत के जरिए मामला शांत हो गया. हालांकि, 1987 में हिंसा नहीं हुई, न ही किसी की जान गई.

(भाषा इनपुट के साथ)

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