तमिलनाडु भी उन राज्यों में शामिल है जहां पर सरकार और मुख्यमंत्री के बीच तनातनी जारी है. इस बीच तमिलनाडु की सरकार ने कल मंगलवार को स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य विधानसभा को संबोधित करने के दौरान राज्यपाल को राज्य सरकार द्वारा तैयार अभिभाषण को ही पढ़ना चाहिए और उसमें उनके निजी विचारों या आपत्ति के लिए कोई स्थान नहीं है.
तमिलनाडु सरकार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 176 के तहत साल के पहले विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण “राज्य सरकार की नीतियों, योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में बताने वाला होता है.” राज्य सरकार का यह स्पष्टीकरण सोमवार को तमिलनाडु विधानसभा में हुए घटनाक्रम के सिलसिले में आया है. सोमवार को राज्यपाल आरएन रवि ने ना सिर्फ अपने अभिभाषण का कुछ हिस्सा नहीं पढ़ा बल्कि उन्होंने कुछ और टिप्पणियां भी कीं, जिसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने लिखित भाषण से इतर कही गई बातों के खिलाफ प्रस्ताव पेश कर दिया. इस पर डीएमके के विधायक नारेबाजी करने लगे.
निजी विचारों के लिए कोई स्थान नहींः सरकार
बयान में कहा गया है, “संविधान के अनुसार, परंपरा है कि राज्यपाल (राज्य) सरकार द्वारा तैयार भाषण पढ़ते हैं. इस अभिभाषण में राज्यपाल के निजी विचारों और आपत्तियों के लिए कोई स्थान नहीं है. इतना ही नहीं, यह उनका व्यक्तिगत वक्तव्य नहीं है, बल्कि सरकार का भाषण है.” बयान में यह भी कहा गया है कि अतीत में भी तमाम राज्यपालों ने इस परंपरा का लगातार पालन किया है.
अभिभाषण का मसौदा छह जनवरी की सुबह राजभवन भेजा गया था और फिर कुछ सुधारों के बाद उसी शाम दोबारा भेजा गया. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल आरएन रवि के कार्यालय ने कुछ बदलावों का सुझाव दिया था जिसके बाद तीसरा मसौदा अगले दिन उनके कार्यालय भेजा गया. उसमें कहा गया है, आठ जनवरी को राज्यपाल की मंजूरी के साथ उसे सरकार के पास वापस भेजा गया था.
‘राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही भाषण छपाई के लिए गया’
सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि राज्यपाल अभिभाषण से कुछ हिस्सों को हटाना चाहते थे. बयान के अनुसार, “ऐसा कुछ नहीं हुआ. (अभिभाषण के मसौदे की) फाइल राज्यपाल की मंजूरी के साथ आठ जनवरी को सुबह 11:30 बजे प्राप्त हुई. उसे नौ जनवरी को दोपहर 12:30 बजे छपने के लिए भेजा गया.”
इससे पहले सत्तारूढ़ डीएमके और राज्यपाल रवि के बीच विधानसभा में हुए विवाद के एक दिन बाद शहर के कुछ हिस्सों में हैशटैग गेटआउट रवि (रवि बाहर जाओ) लिखे पोस्टर दिखाई दिए. इन पोस्टरों में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तस्वीर को प्रमुखता दी गई है.
ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा ‘गेटआउट रवि’
दूसरी ओर, राजभवन पोंगल कार्यक्रम के निमंत्रण में तमिलनाडु सरकार के प्रतीक चिन्ह की अनुपस्थिति को लेकर एक और विवाद उत्पन्न हो गया है. विधानसभा में रवि के राज्य सरकार के साथ गतिरोध के बाद सोमवार को ट्विटर पर यह हैशटैग (गेटआउट रवि) ट्रेंड कर रहा था. विधानसभा में सत्तारूढ़ डीएमके के अध्यक्ष स्टालिन ने राज्यपाल के विधानमंडल में अपने पारंपरिक अभिभाषण से विचलन के खिलाफ और उनकी सरकार द्वारा तैयार किए गए मूल अभिभाषण को बरकरार रखने के पक्ष में एक प्रस्ताव पेश किया था.
पुडुकोट्टई में हालांकि स्थानीय बीजेपी पदाधिकारियों द्वारा राज्यपाल रवि की प्रशंसा में पोस्टर लगाए गए थे. भारतीय जनता पार्टी के कई ट्विटर खातों ने उनका समर्थन किया और इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) की आलोचना की.
इनपुट- एजेंसी/ भाषा